लाल टिब्बा मसूरी के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है, जो मसूरी का सबसे ऊंचे शिखर में एक है।
लाल टिब्बा एक तरफ घाटी और एक स्पष्ट दिन पर बर्फ से ढकी हिमालय श्रृंखला को देखने के लिए सबसे ऊंचा और सबसे सुंदर स्थान है। यह ब्रिटिश काल के दौरान सैन्य छावनी क्षेत्र भी था।
लाल टिब्बा जाने के लिए कंक्रीट का पहाड़ी रास्ता बना है जोकि बहुत सकरा है। यह रास्ता 9 सीखिए ड्राइवर के लिए तो बिल्कुल नहीं है। इस रास्ते पर वैसे तो कार चली जाती है लेकिन उचित हो कि आप फोर बाई फोर व्हील ड्राइव से जाएं।
लाल टिब्बा नाम कितनै ही अजीब क्यों ना लगे किंतु इसका भी एक अर्थ है। लाल टिब्बा के शिखर से सूर्य को देखने पर सूर्योदय के समय सूर्य के साथ-साथ लाल टिब्बा से दिखने वाले आसपास के पहाड़़ के ऊंची चोटी भी ऑरेंज कलर के और शाम में सूर्यास्त के समय रेड कलर के हो जाते हैं, जिसकी वजह से इसका नाम लाल तथा टिब्बा का अर्थ सबसे ऊंचे पहाड़ की चोटी होता है और यह शिखर मसूरी का सबसे उच्च शिखर है, जिसकी वजह से इसका नाम लाल टिब्बा पड़ गया।
लाल टिब्बा का शाब्दिक अर्थ 'रेड हिल' है। 2,275 मीटर (7,164 फीट) की ऊंचाई पर स्थित, लाल टिब्बा मसूरी के दर्शनीय स्थलों की यात्रा को पूरा करने के लिए एक आदर्श स्थान है। इस स्थान पर लंबे समय तक अंग्रेजों का शासन रहा है, लेकिन अब यहां भारतीय सैन्य सेवा संस्थान का नियंत्रण है । मसूरी के सबसे सुंदर स्थानों में यह स्थान मसूरी से अधिक ठंडा और आरामदायक है । आज भी यहां ब्रिटिश वास्तुकला के अवशेष हैं।लाल टिब्बा से हिमालय, बद्रीनाथ, केदारनाथ, नीलकंठ, श्री हेमकुंड साहिब, यमुनोत्री और गंगोत्री के पहाड़ों का एक अद्भुत ही नजारा देखने को मिलता है, जिसकी खूबसूरती हमेशा के लिए आपकी यादों में बस जाएगी।
लाल टिब्बा मसूरी से लगभग 8 किमी. की दूरी पर स्थित है,जहां जाने के लिए करीब 5-6 किमी. की चढ़ाई करनी पड़ती है। लाल टिब्बा की चढ़ाई आप पैदल, शेयर टैक्सी, निजी कार या बाइक के जरिए भी पूरा कर सकते हैं।
लाल टिब्बा पर पार्किंग की सुविधा कम उपलब्ध है, यहां बाइक के लिए ₹ 30 और निजी कार या टैक्सी वगैरह के लिए ₹ 100 देना पड़ेगा।
एक और विशेष बात जो लाल टिब्बा के बारे में प्रसिद्ध है यह की सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य सहित पहाड़ के ऊंची चोटी का रंग ऑरेंज और रेड होना, ये दुनिया के सिर्फ दो ही जगहों पर होता है, जिसमें से एक लाल टिब्बा और दूसरा स्विट्जरलैंड है।
लाल टिब्बा से दिखने वाले नजारे –
लाल टिब्बा की पैदल या गाड़ी से चढ़ाई करते समय आपको चार दुकान (यह इसी नाम से पूरे उत्तराखंड में प्रसिद्ध है) और दो चर्च भी देखने को मिलेंगे।
लाल टिब्बा पर उपस्थित जापानी दूरबीन को सन् 1967 ई० में स्थापित किया गया था, जिसकी मदद से आप इसके आसपास के सारे नजारे जैसे – हिमालय, बद्रीनाथ, केदारनाथ, नीलकंठ, श्री हेमकुंड साहिब, यमुनोत्री और गंगोत्री वगैरह के पहाड़ों को देख सकते हैं।
वलाल टिब्बा पर जाने की कोई टिकट नहीं लगता है, लेकिन लाल टिब्बा पर आपको 2 कैफे मिलेंगे, जिसका नाम लाल टिब्बा बाइनोकुलर एंड कैफे ‘ और क्लिक कैफे’ हैं। इन दोनों कैफे के छत से लाल टिब्बा के आसपास का पूरा नजारा देखने को मिलता है।
क्लिक कैफे के छत से आप लाल टिब्बा के आसपास के नजारे को नि:शुल्क देख सकते हैं, लेकिन लाल टिब्बा बाइनोकुलर एंड कैफे के छत से लाल टिब्बा के आसपास के नजारे को देखने के लिए ₹ 50 देना पड़ता है, जिसमें आपको नि:शुल्क गाइड करने वाला व्यक्ति और एक जापानी दूरबीन की सुविधा भी दी जाती है। इस दूरबीन की मदद से गाइड करने वाला व्यक्ति लाल टिब्बा से दिखने वाले सभी चीजों की जानकारी देता है।अगर आप लाल टिब्बा बाइनोकुलर एंड कैफे में कुछ खाने पीने का ऑर्डर करते हैं, तो आपको टिकट नहीं लेना पड़ेगा। ये इनका खुद का नियम है।
लाल टिब्बा जाते समय मेरे सुझाव
1 . मौसम के अनुसार आप मोटे जैकेट के साथ-साथ एक छाता रखना न भूलें।
2 . आप अपने शरीर की स्थिति को देखते हुए लाल टिब्बा की चढ़ाई करें। यदि आपकी उम्र अधिक है और आपको चढ़ाई का अनुभव नहीं है तुम मेरा सुझाव है कि आप अपनी कार अथवा टैक्सी से ही जाएं।
3 . चढ़ाई करते समय अपने पास 2 लीटर पानी और कुछ खाने की चीजें जरूर रखें।
4 . आपको ध्यान रहे कि लाल टिब्बा पर कोई कॉमर्शियल होटल और गेस्ट हाउस वगैरह न होने के कारण आपको लाल टिब्बा जाने के बाद उसी दिन वापस भी आना पड़ेगा।
5 . लाल टिब्बा पर उपस्थित रेस्टोरेंट्स में आप वहां के मैगी और मोमोज का आनंद ले सकते हैं यहां पर भारतीय भोजन रेस्टोरेंट मुझे नहीं दिखाई दिया।
मुझे उम्मीद है कि “लाल टिब्बा” के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर लाल टिब्बा से संबंधित आपका कोई भी सवाल हो, तो आप पूछ सकते हैं। मैं आपको जवाब देने की कोशिश जरूर करूंगा।