घूमने के लिए किसी खास मौके की जरूरत मुझे नहीं लगती - एक हिट लगना चाहिए बस | ऑफिस के कैन्टीन मे बैठे चाय की चुस्की लेते हुए बात निकली की कहीं चला जाए लेकिन कहाँ ?,और खास कर ये सवाल जब दोस्तों के साथ आता हो तो जवाब आने के लिए पता नहीं कितना कप चाय खतम हो जाए और कितना मीटिंग करना पड़े | यहा दो लोग थे तो जवाब जल्दी मिल गया की चलते है बॉर्डर पार "पाकिस्तान-करतारपुर" |
करतारपुर जाने के लिए डेट बुक करनी पड़ती है, रेजिस्ट्रैशन करना होता है होम मिनिस्ट्री के वेबसाईट पर : https://prakashpurb550.mha.gov.in/kpr/
हमने 22 फेब 2020 के दिन के हिसाब से अपनी प्लैनिंग की और डेट बुक हो गई | रेजिस्ट्रैशन के बाद कुछ ही दिनों मे पुणे सेंट्रल पुलिस स्टेशन से एक मेल मैसेज/ फोन आया - कहा गया की लोकल पुलिस स्टेशन से एक फॉर्म मे NOC लेकर जमा करना होगा | साथ मे address proof और बाकी के डिटेल्स | 22 फेब से 3 दिन पहले ही कान्फर्मैशन आया की हम जा सकते है 1 दिन की पाकिस्तान की यात्रा पर | ये नॉर्मल है । 3 दिन पहले ही मेल या फिर website से अप्रूवल लेटर मिलता है।
पुणे से मुंबई वहाँ से कॉननेकटिंग फ्लाइट अमृतसर वाया दिल्ली। हम पहुचे अमृतसर रात के 1 बजे | गुरु के नगरी मे क्या रात क्या दिन, हार्मिन्दर साहिब के कम्पाउन्ड के पास ही हमने रूम लिया | रात के अंधेरे मे गोल्डन टेम्पल का सुनहला रंग अमृतसरोवर मे मानो पिघले सोने की तरह दिख रहा हो | मंदिर के दर्शन मात्र से ही सारी थकान दूर हो रही है - रात की शांति मे मंदिर को निहारना खतम ही नहीं हो रहा था, मानो एक ही दिन मे सारी शांति, मन की तन की और आँखों की सब भर जाने वाली है | कुछ देर मंदिर के फेरे लगाने के बाद अब भूख लग चुकी थी और रात काफी हो रही थी हम पहुचें लंगर खाने को | प्रसाद हाल मे 24 घंटे 7 दिन ये लंगर चलता है|अमृतसर मे हो तो भूखे सोने की चिंता तो कम से कम न ही होनी चाहिए | 1 दिन पूरा शहर घूमने के बाद दूसरे दिन शुरू होती है एक यात्रा तो शायद पहले कभी असंभव से लगती हो |
डेरा बाबा नानक के लिए ट्रेन तड़के सुबह अमृतसर से अपना पहला पड़ाव गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक | स्टेशन पे गुरुद्वारा की बस सुविधा और हम पहुचे गुरुद्वारा | 1-2 घंटे की रेस्ट, फिर शुरू हुआ आगे का शफर बस से इमग्रैशन ऑफिस तक का। ये बस सेवा बाबा नानक गरुद्वारा कॉमेटी की तरफ से बहुत ही सुखद व्यवस्था |
शानदार ऑफिस, सजावट बनावट - जहा हमारा पासपोर्ट और करतारपुर रेजिस्ट्रैशन ऐप्लकैशन वेरीफिकेशन प्रोसेस सुरू हुआ और हम 2 ड्रॉप पोलिओ मेडिसन लेने के बाद पहुच चुके थे ज़ीरो लाइन | अगर आपके मोबाईल मे ऑटोमैटिक टाइम ज़ोन सेटिंग है तो आपको शायद ये देखने को मिले |
इमग्रैशन की फॉर्मैलटीज़ पूरी होने के बाद हम बैटरी कार से पहुचे ज़ीरो लाइन | अब सुरू होने वाला था ऐसा यादगार सफर,जो सायद, था तो कुछ ही घंटों का लेकिन मानो सदियों पीछे ले गया हो | स्कूल की किताबों के वो इतिहास के पन्ने नजर आने लगे थे | वो दौर की सारी कहानियाँ मानो सब घूमने लगे हो | इंडिया - पाकिस्तान से जुड़ी हर वो बात जो कही जहन मे रहीं होंगी, सारी की सारी मानो 30 सेकंड के फास्ट फॉरवर्ड से पास हो रहीं हो | भगत सिंह, लाला लाजपत राय से लेकेर पार्टिशन, गदर, क्रिकेट , कारगिल , देश भक्ति गाने,कश्मीर सब एक फ्रेम मे आँख के सामने आ गया था। हमारी आंखे तो दो देश की तरह चीजों को देख रही थी | मेरे साथ सिख श्रद्धालु, वो तो मानो ऐसे भावनाओ मे थे जिसमे उसका धर्म, गाँव , कल्चर उनकी भाषा सब मिक्स हो रहा हो| ज़ीरो लाइन क्रॉस करने का वो फीलिंग सायद शब्दों मे नहीं उतारा जा सकता |
ज़ीरो लाइन क्रॉस करने के बाद बैटरी कार से हम पहुचे पाकिस्तानी इमग्रैशन ऑफिस | अपने $20 का फीस जमा किया और 500 इंडियन रुपया के पाकिस्तानी रुपये एक्सचेंज किए,करीब 750 पाकिस्तानी रुपये मिले | इमग्रैशन ऑफिस मे हमारे पासपोर्ट की जांच हुई और वो करतारपुर रेजिस्ट्रैशन वाला डाक्यमेन्ट ले लिया गया| वॉल्वो बस लगी हुई थी जो हमे 4 km अंदर करतारपुर गुरुद्वारा ले गई | रावी नदी के ऊपर से जब हम गुजर रहे थे तो सिख श्रद्धालु वैसे ही प्रणाम कर रहे थे जैसा कभी हम पुल से गंगा नदी पार करने के समय करते है | पंजाब के लिए ये नदी का कुछ खास ही महत्व है |
गुरुद्वारा सही मे एक बेमिसाल स्ट्रक्चर है | बहुत ही खूबसूरती से साफ सुथरी बड़े ही दूर तक फैली है | संगमरमर से बनी इमारत बहुत ही मनमोहक है | परिसर घूमने मे काफी समय निकलने वाला है | हम एक एक गली बरामदे हाल्स सरोवर देख रहे थे । एक पल के लिए यकीन नहीं हुआ की पाकिस्तान सरकार की ये बनावट है |
प्रोजेक्ट प्लान, आर्ट गॅलरी, निशान साहब सब कुछ एक नंबर | ऐसी जगह जहा भारत और पाकिस्तान दोनों के ही लोग घूम रहे हो , कई सारे मिथक टूट रहे थे | सिख अपने धर्म गुरु के पावन स्थान पर गए है | लेकिन दोनों तरफ के गैर सिख एक दूसरे के बारे मे बनी धारणाओ को तोड़ने गए है । एक पाकिस्तानी vlogger ने सही ही कहा था अपने करतारपुर vlog मे कि - "हम शायद ही इस जगह के धार्मिक महत्व को समझ सके लेकिन इतना तो समझ ही रहे है की ये एक छोटा सा कदम दो देशों , दो समुदायों के बीच शताब्दियों के जमे बर्फ को थोड़ा तो पिघला ही रही है |" वहाँ पँहुच रहे गैर सिख लोग इस बात का प्रमाण है की कुछ तो हैं दिलों मे जो खीच रही एक दूसरे को अपनी ओर। एक एक लोग गरम जोशी से मिल रहे है, पाकिस्तानी रेंजर्स हो या होम गार्ड, गुरुद्वारे के स्टाफ हो या वहाँ पहुच रहे पाकिस्तान के लोग । किसी से कुछ भी बात करने की आजादी बता रही थी दिल मे क्या है ।
गुरु आज भी जोड़ रहे है और जब थे तब भी जोड़ा ही था, गुरु नानक देव के अलावा और कौन हो सकता है इस बेमिसाल पहल का कारण ।
दोपहर हो चुका है हमने लंगर खाया और पास मे लगे बाजार घूम लिए है । पानी पूरी खाई , कुछ चॉकलेट खरीदे और बस ले ली फिर इमग्रैशन के लिए । 3 बजे शाम हम वापस अपने ज़ीरो लाइन की तरफ, डेरा बाबा नानक की बस सेवा हमे स्टेशन तक छोड़ने के लिए खड़ी है ।
वापस आना भी उन कुछ पलों मे था जब फिर से वो सब इतिहास के पन्ने आखों के सामने एक एक कर झलकने लगे । इस तरह एक यादगार सफर का अंत तो हुआ लेकिन उम्मीदों का नहीं । पाकिस्तान घूमने का निमंत्रण भी साथ ले कर वापस आ रहा हूँ, मुझे ये बताया गया की वहाँ की मिट्टी भी इधर जैसी ही है, बस TV से निकल कर देखना है।
एलबम मे कुछ तस्वीरे और यादें । -