स्वतंत्रता दिवस नजदीक हैं और मैंने सोचा हुआ हैं कि तब तक कुछ ऐसी ऐसी जगहों की मानसिक सैर आप लोगों को करवाई जाए ,जहाँ असल में जाकर आप देश के वीरों की कहानियों को जान सके। जहाँ देशभक्ति की कहानियां पढ़कर या तो आपके खून में उबाल आये या आप सोचने को मजबूर हो जाओ कि कैसे महान लोग इस देश में जन्म ले चुके हैं।पंजाब में ऐसी ही एक जगह हैं जो कुछ सालों पहले ही पर्यटकों के लिए बनी हैं ,नाम हैं - "पंजाब स्टेट वॉर हीरोज मेमोरियल एन्ड म्यूजियम"।
अमृतसर में NH-1 पर, अटारी रोड पर स्थित यह म्यूजियम एक ऐसा म्यूजियम हैं जो आपको काफी रोचक जानकारियां देगा देश के असली हीरोज के बारे में ,जहाँ आपके परिवार और बच्चो को एक मनोरंजक तरीके से देशभक्ति का पाठ पढ़ाया जायेगा और हां ,जहाँ की दीवारे भी अपने आप में विशिष्ट हैं। जब आप अटारी बॉर्डर पर समारोह देखने जाए तो रास्ते में मैन हाईवे पर ही ,करीब 1 घंटा इस म्यूजियम को जरूर विजिट कर आये। चलिए आगे बढ़ते हैं -
नानकशाही ईंटों से बनी इमारत करती हैं आपका स्वागत :
यह म्यूजियम लाल रंग की विशिष्ट ईंटों से बना हैं जिन्हे कहते हैं -नानकशाही ईंटे। मुख्य झालीदार दरवाजे से जैसे ही आप इस म्यूजियम में टिकट लेने के लिए आगे बढ़ते हैं तो पाते हैं कि टिकट काउंटर भी इन्ही ईंटों की इमारतों के अंदर बना हैं। इन्ही लाल दीवारों के पास एक बड़े होर्डिंग पर ''नानकशाही ईंटों '' के बारे में बहुत कुछ लिखा हुआ है। पंजाब में इस प्रकार की ईंटों से बनी ऐसी कई इमारतें हैं, जो स्वाधीनता संग्राम की कहानी कहती हैं।पंजाब ने कई सभ्यताओं को उदय-अस्त होते हुए देखा हैं और ये ईंटे तो उन्हीं प्राचीन सभ्यताओं से प्रचलन में हैं।चाहे बात हो हड़प्पा मोहनजोदड़ो सभ्यता की ,या बात हो प्राचीन किलों ,सुरंगों ,मीनारों की ,या बात हो जलियावाला बाग़ की उन दीवारों की ,जिनमे आज भी ब्रिटिश गोलियों के निशान मौजूद हैं ,सभी जगह इन ईंटों का इस्तेमाल होना मिल ही जाता हैं।
इन ईंटों की खासियत यह हैं कि इन्हे अत्यधिक उपजाऊ जगह की मिटटी से बनाया जाता था। अमृतसर और लाहौर में यह ईंटे बनाने की काफी भट्टियां हुआ करती थी। गुड़, उड़द , चने की दाल,चुना,जायफल ,मेथी के पाउडर जैसी 12 चीजों के घोल से इन्हे बनाया जाता था।इनसे बनी इमारतें अग्नि और आवाज़ प्रतिरोधी होती थी। चुना होने की वजह से दीवार पर से सिलन भी सोख लिया जाता था।मुग़लकाल में इन्हे डेकोरेटिव ईंटों की तरह यूज किया जाता था। 20वीं शताब्दी के कुछ दशकों के बाद इनका प्रयोग बंद हो गया था। आप फोटो में देखिये इस ईमारत को ज़ूम करके ,कैसे छोटी छोटी ईंटों को कलात्मक रूप से इस म्यूजियम के मैनेजमेंट ने दीवारों की बनावट में प्रयोग में लिया हैं। इन्ही दीवारों के साथ एक विमान का मॉडल भी आपका स्वागत करता हैं। हालाँकि यह कौनसे विमान का मॉडल हैं यह मैं पढ़ नहीं पाया।
45 मीटर ऊँची एक विशाल तलवार ,जो हैं पंजाब के वीरों की ताकत,बलिदान और साहस का प्रतिक :
इस म्यूजियम के प्रसिद्धि की एक सबसे ख़ास वजह से यहाँ पर लगायी गयी करीब 130 फ़ीट ऊँची तलवार। काफी दूर से ही ,इसे देख कर आप अंदाजा लगा लेंगे कि आप इस वॉर मेमोरियल के आसपास ही हैं। टिकट लेते ही ,जब आप म्यूजियम की गेलेरी की ओर बढ़ेंगे तो सबसे पहले आपके आँखों के सामने यही तलवार नजर आएगी।
यह तलवार एकमंजिला ईमारत के ऊपर स्थित हैं। जिसे पूरा देखने के लिए आपको अपने सर को ऊँचा उठाना ही होगा। एकमंजिला ईमारत की सीढिया चढ़कर इसके पास पंहुचा जा सकता हैं। स्वचालित सीढियाँ भी यहाँ बनी हैं। सीढ़ियों से पहले पास के बगीचे में आपको कुछ और भारतीय लड़ाकू विमानों ,तोपों के मॉडल और उनकी लिखित जानकारियां दिखाई देगी। ऊपर, एक पानी से भरे क्षेत्र में इस तलवार को लगाया गया हैं। इसकी मुट्ठी में चार शेर के मुँह की आकृति दिखेगी। यही अमर जवान ज्योति भी स्थापित की गयी और हज़ारों शहीदों की शहादत को बताया गया हैं।
आठ गैलेरीज के माध्यम से पंजाब के हर महत्वपूर्ण काल की घटनाये जाने :
यहाँ से वापस निचे उतर कर आपको पीछे वाली आसमानी रंग की बिल्डिंग की ओर बढ़ना होगा। इसमें प्रवेश पर पता लगता हैं कि यहाँ म्यूजियम 8 गेलेरी में बंटा हुआ हैं।
आठों गेलेरी में अलग -अलग कालों के युद्धों ,घटनाओं ,गाथाओं को असली जैसे दिखने वाले मॉडल ,चित्रों और फिल्मों से बताया हुआ हैं। असल में यह म्यूजियम पंजाब के वीरों की गाथाओं को आपके सामने पेश करता हैं। इन गेलेरियों में ब्रिटिश काल से पूर्व ,ब्रिटिश काल के समय और स्वतंत्रता के बाद के नायकों का चित्रण किया गया हैं। आठों गेलेरी अलग अलग थीम पर बनी हैं जैसे किसी में 1962 के चीन से युद्ध की जानकारी ,तो किसी में भारत विभाजन ,1965 -1971 युद्ध ,बांग्लादेश निर्माण ,कारगील युद्ध से जुडी बाते जानने को मिलेगी। जो मॉडल (पुतले ) अंदर लगे हुए हैं वो असल फीलिंग देते हैं -जैसे कारगिल के युद्ध को बताने के लिए टाइगर हिल बनायीं हुई हैं उस की चोटी पर सैनिक लटके हुए हैं , यह सब चीजे उन घटनाओं की आपके मन में इमेजिनेशन काफी वास्तविक बनाती हैं। सभी के साथ साथ टच स्क्रीन लगायी हुई हैं जिनसे आप स्क्रॉल करके उस पर्टिकुलर चीज की जानकारी पढ़ सकते हैं।
कुछ गेलेरी दूसरे माले पर हैं तो वहां आने जाने के लिए स्वचालित सीढ़ियां भी लगायी हुई हैं।अगर आपको इतिहास में अच्छा इंटरेस्ट हैं और आपके पास समय हैं तो पंजाब के इतिहास की हर एक चीज गाइड की मदद से आप अच्छी तरह से जान सकते हैं।
बच्चो के लिए ख़ास ,यहाँ का 7D थिएटर :
आठों गेलेरी को पूरी विजिट करने के बाद आपको आसमानी रंग की बिल्डिंग से वापस बाहर निकल कर गार्डन के किनारे किनारे 7डी थिएटर में पहुंचना होता हैं ,अगर आपने इसका टिकट लिया हैं तो। वरना ,आप यहाँ के केफेटेरियाँ में भी जा सकते हैं ,सुना हैं वो बंकरनुमा बना हैं,उसमे फीलिंग भी बंकर में होने की आती हैं। मैं सीधा 7 डी शो में गया था। 7D शो बच्चो को काफी पसंद आएगा। इसमें आपको 3d चश्मा देकर विशेष प्रकार की कुर्सियों पर बिठा दिया जायेगा। सामने स्क्रीन पर अब कारगिल वॉर और सारागढ़ी युद्ध की कहानी शुरू की जायेगी। इसमें आपको फिल्म तो थ्री डी में दिखेगी ही ,साथ ही साथ उसमे चल रहा वातावरण महसूस भी होगा। जैसे : फिल्म में जैसे ही कैप्टेन विक्रम बत्रा भागते हैं तो आपकी सीट भी तेजी से ऊपर निचे होती हैं। आप उनके भागने को महसूस कर पा रहे हैं। नदी या पानी का सीन आने पर आप पर भी पानी की बौछारे गिरायी जाती हैं। बर्फ बारी के सीन पर आपके चारो तरफ कुछ स्प्रे छिड़का जाता हैं जिससे सब तरफ सफ़ेद रुए उड़ते हैं बर्फ़बारी की फ़ीलिंग आती हैं।
दोनों कहानियों के बाद कुछ रोलर कोस्टर में बैठने की फीलिंग वाली फिल्म भी चलायी जाती हैं। बच्चे डर के मारे चिल्लाते हुए आप देख पाएंगे ,सुन पाएंगे। मैंने दो-तीन 7D शो दुबई में देखे हैं ,इवन इंडिया में भी कुछ जगह अच्छा लगा। लेकिन , यहाँ के 7d शो की काफी कुर्सियों मे प्रॉब्लम हैं, रखरखाव एवं और ज्यादा वास्तविकता फील करवाने वाली टेक्निक की जरुरत यहाँ लगी। परन्तु ,आपके परिवार और बच्चो को तो यह शो दिखाना बनता ही हैं।शो देखकर आप पाकिस्तान से युद्ध के दौरान जब्त किये कुछ टैंक्स भी आप देख सकते हैं। हमारे INS विक्रांत का मॉडल भी इसी थिएटर के पास देखने को मिलेगा।
टिकट : 150 रूपये प्रति व्यक्ति म्यूजियम के लिए और 50 रूपये प्रति व्यक्ति 7डी शो के अलग से।
Note : सोमवार को यह म्यूजियम बंद रहता हैं।
कैसे पहुंचे : यहाँ पहुंचने के लिए अमृतसर से टैक्सी ,शेयर्ड कैब या पब्लिक बस किसी भी तरीके से आया जा सकता हैं।स्वर्ण मंदिर के बाहर मुख्य बाजार में भी कई टूर ऑपरेटर के एजेंट्स अटारी बॉर्डर के लिए टूरिस्ट ढूंढते मिल जाते हैं वो इस म्यूजियम तक भी छोड़ देते हैं ।अटारी गाँव जाने वाली पब्लिक बसों से भी यहाँ पंहुचा जा सकता हैं।अमृतसर रेल और सड़क मार्ग से आसानी से पंहुचा जा सकता हैं। नजदीकी एयरपोर्ट ,अमृतसर एयरपोर्ट ही हैं।
अन्य रमणीय स्थल : स्वर्ण मंदिर ,पार्टीशन म्यूजियम ,भारत पाक सीमा , जलियावाला बाग ,गोविंदगढ़ ,दुर्गियाना मंदिर।
प्रसिद्द व्यंजन : कुल्छे और फिरनी जरूर खाये।
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जय हिन्द।
-ऋषभ भरावा