किताबें पढ़ता हूं औऱ लिखता भी हूं। सिनेमा देखता भी हूं औऱ बनाता भी हूं। सिनेमाई सफर पर हमेशा सवार रहने की प्रेरणा सिर्फ यात्रा देती है । इसलिए सफर को सांस की तरह महसूस करता हूं। इसलिए तो ज़िंदा हूं। सिनेमाई साधू की तरह जीवन जीता हूं औऱ कहानीबाज की तरह इस धरती की कोख से कहानियों को पैदा करता हूं। बस बात सफर की है। - #कहानीबाज रजनीश बाबा मेहता kahanibaaj.blogspot.com