मीलों चलती राहों पर, हवाओं की सरसराहट जो शरीर को छूती सी, देती गर्मी में जो ठंडक । बारिश की बूंदों में भीगी सी, वो सोंधी सी खुशबू भी मिट्टी को महकाती हुई मन में भाव जगाती सी सर्दी की कपकपाहट में, दो चाय की प्याली भी। ऐ मेरे सफर की यादों तुम मुझे वो मुकाम दो, लोगो के चेहरे पर भी मेरे नाम से मुस्कुराहट हो। ~ पूजा सक्सैना