हमारी सलाह होगी कि आप खुद अपने दोस्तों के साथ जाकर ज्यादा जोखिम लेने की बजाय किसी ट्रैकिंग ग्रुप के साथ ही कालू वाटरफॉल जाने का प्लान बनाए। क्योंकि ऐसे ग्रुप के साथ जाने पर सबसे पहले तो आपको एक प्रशिक्षित गाइड की सिक्योरिटी मिल जाएगी। गाइड के गाइडेंस में किसी तरह की अनहोनी की आशंका काफी कम हो जाएगी। और साथ ही ग्रुप में बहुत सारे लोगों के चलते किसी भी दुर्घटना के बाद रेस्क्यू का काम भी आसानी से किया जा सकेगा। मुंबई और पुणे इन दोनों शहरों में आपको अनगिनत ऐसे ट्रेकिंग ग्रुप मिल जाएंगे जो 1000-2000 रुपए की रेंज में एक दिन की कालू वाटरफॉल ट्रिप आयोजित करते हैं। वैसे तो कालू वाटरफॉल घूमने के लिए एक दिन काफी है। बाकी अगर आप इस जगह 2 दिनों का वीकेंड बिताना चाह रहे हैं, तो फिर इसके आसपास ठहरने की भी सुविधा है। अगर आप एक दिन ठहरने का प्लान बना ही रहे हैं तो फिर अगले दिन नानेघाट स्थित प्रसिद्ध रिवर्स वाटरफॉल जाने का भी सोच सकते हैं।क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें
तो इस कभी न भुलाए जा सकने वाले सफर की शुरुआत मेरे घर यानी कल्याण से होती है। कल्याण से करीब 85km दूर मालशेज घाट तक का सफर मैंने अपनी बाइक से तय किया। और सफर के दौरान मुझे यह एहसास हुआ कि मेरी मंजिल मालशेज घाट(Malshej Ghat) तक पहुंचने का रास्ता भी मन मोह लेने के मामले में मेरी मंजिल से जरा भी कम नहीं है। बाकी यह तो हम सब जानते हैं कि मंजिल से ज्यादा और असली मजा उस तक पहुंचने के लिए तय किए सफर में ही होता है।सच कह रहा हूं... सड़क के दोनों ओर दूर-दूर तक फैली हरियाली को देखते हुए और मीठी-मीठी ठंड लेकर बहती हवा को चीरते हुए बाइक चलाते वक्त ऐसा लग रहा था मानों मेरी गाड़ी के पहिए अपनी रफ्तार से सड़क पर बढ़ते रहे और सामने दिखाई दे रहा सूरज अपनी जगह पर थम जाए। मैं देर तक और दूर तक इसी तरह खामोशी ओढे सड़क पर वक्त-बेवक्त हॉर्न बजाते हुए बेवजह आगे बढ़ते चले जाऊं।