कुछ लोगों का मानना है कि क्योंकि उस वक्त के राजा लोग का ज्यादातर समय भोग विलास में ही बीतता था इसलिए उन लोगों ने इस तरह के मंदिर बनाए। लोगों का यह भी मानना है कि हमारे पूर्वजों ने सामान्य जन मानस को सेक्स एजुकेशन देने के लिए मंदिरों में इस तरह की मूर्तियों का निर्माण कराया होगा। इसके साथ ही यह भी सोच काफी सशक्त है कि इस तरह की मूर्तियों का निर्माण ज्यादा से ज्यादा लोगों को मंदिर की ओर आकर्षित करने के लिए किया गया। क्योंकि उस दौर में ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म का रुख कर रहे थे। इसलिए नग्न मूर्तियों के जरिए उन्हें हिन्दू मंदिरों से दोबारा जोड़ने का काम किया गया। वैसे इस तरह की संरचना का आध्यात्मिक पहलू यह भी है कि हिन्दू धर्म में आदमी को धर्म, अर्थ, योग और काम इन चारों रास्ते से होकर गुजरना होता है। इसलिए खजुराहो मंदिर के बाहर कामुक मूर्तियों का निर्माण कराया गया, ताकि आम आदमी मंदिर के बाहर ही इस तरह की सारी काम भावनाओं को भोग लेने के बाद भगवान से जुड़ जाए।
खजुराहो का मंदिर समूह अपनी भव्य छतों (जगती) और कार्यात्मक रूप से प्रभावी योजनाओं के लिए भी उल्लेखनीय है। यहाँ की शिल्पकलाओं में धार्मिक छवियों के अलावा परिवार, पार्श्व, अवराणा देवता, दिकपाल और अप्सराएँ तथा सूर सुंदरियाँ भी हैं। यहाँ वेशभूषा और आभूषण भव्यता मनमोहक हैं।2). खजुराहो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। कभी यह स्थान खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था। यही कारण है कि इसका नाम खजुराहो पड़। लेकिन खजुराहो आज खजूर के वन नहीं बल्कि कामुक मूर्तियों से सजी मंदिरों के लिए जाना जाता है।3). खजुराहो मंदिर के अन्दर के कमरे एक दुसरे से जुड़े हुए है। कमरों में एक तरह से कलाकृति की गयी है की कमरों की खिडकियों से सूरज की रौशनी पुरे मंदिर में फैले। और लोग भी मंदिर को देखते ही आकर्षित होते है।4). खजुराहो प्रसिद्ध पर्यटन और पुरातात्विक स्थल है। जिसमें हिन्दू व जैन मूर्तिकला से सुसज्जित 25 मन्दिर और तीन संग्रहालय हैं। 25 मन्दिरों में से 10 मंदिर विष्णु को समर्पित हैं, जिसमें उनका एक सशक्त मिश्रित स्वरूप वैकुण्ठ शामिल है। नौ मन्दिर शिव के, एक सूर्य देवता का, एक रहस्यमय योगिनियों (देवियों) का और पाँच मन्दिर दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के तीर्थकारों के हैं। खजुराहो के मन्दिर में तीन बड़े शिलालेख हैं, जो चन्देल नरेश गण्ड और यशोवर्मन के समय के हैं।5). कुछ अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर की भी यह विशेशता है कि अगर कुछ दूर से आप इसे देखें तो आपको लगेगा कि आप सैंड स्टोन से बने मंदिर को नहीं बल्कि चंदन की लकड़ी पर तराशी गई कोई भव्य कृति देख रहे हैं। अब सवाल उठता है कि अगर यह मंदिर बलुआ पत्थर से बना है तो फिर मूर्तियों, दीवारों और स्तम्भों में इतनी चमक कैसे, दरअसल यह चमक आई है चमड़े से ज़बरदस्त घिसाई करने के कारण।
Khajuraho Temples is a group of Hindu and Jain temples built by the Chandelas reflecting the acceptance and respect for diverse religions during those times. They are famous for intricately carved statues and sculptures, some of which are remnants of the ancient culture of Kama Sutra.
खजुराहो नृत्य महोत्सव 202248वां खजुराहो नृत्य महोत्सव आगामी 20 फरवरी, 2022 से मध्य प्रदेश के खजुराहो में शुरू होने वाला है। देश के विभिन्न नृत्य रूपों को प्रदर्शित करने वाला यह महोत्सव देश के सबसे प्रमुख नृत्य महोत्सवों में से एक है और इस वर्ष आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर मनाए जा रहे 'अमृत महोत्सव' का हिस्सा भी है। इसका उद्घाटन मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल करेंगे। 1975 में शुरू हुआ यह उत्सव इस वर्ष 20 फरवरी से 26 फरवरी 2022 तक आयोजित किया जाएगा।
Not adding any info here for this place, its a must visit place , not for its  famous part😜, but for the architecture marvel.