पिंजौर गार्डन का नाम हरियाणा के सबसे खूबसूरत गार्डन में आता है| जब भी आप चंडीगढ़ से शिमला जाए या शिमला घूमकर वापस चंडीगढ़ या अपने घर की तरफ मुड़े तो रास्ते में इस खूबसूरत गार्डन को जरूर देखें| गुजरात से मेरे स्टूडेंट पंजाब और हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए आऐ थे| पंजाब में मेरे घर से चलकर अपनी गाड़ी चलाते हुए अमृतसर, चंडीगढ़, शिमला, फागू, नारकंडा आदि जगहों को देखते हुए जब वापसी में दोपहर को शिमला से चले थे| हमें शिमला से निकलते ही दोपहर के दो बज गए थे| तीन चार दिन लगातार गाड़ी चलाते हुए मैं भी थक गया था| शरीर और मन को थकान दूर करने के लिए कोई अच्छी जगह देखने की जरूरत थी| शिमला से मेरा घर 320 किमी है दोपहर दो बजे चलकर तो शाम तक पहुँच नहीं सकता था| खैर उस दिन मेरा मकसद था आराम से घूमते हुए चंडीगढ़ के आसपास रुका जाए और अगले दिन घर पहुंचा जाए| शिमला से कंडाघाट, सोलन पार करते ही मैंने मन बना लिया कि वापसी में स्टूडेंट के साथ हरियाणा का मशहूर पिंजौर गार्डन को देखा जाए|
शिमला से दोपहर दो बजे चलकर रास्ते में घूमते हुए हम शाम को छह बजे तक पिंजौर पहुंच गए| शाम का समय था न दिन था रात था| सूरज ढल रहा था| मैंने पिंजौर गार्डन के सामने बनी हुई पार्किंग में गाड़ी लगाई | फिर हम पिंजौर गार्डन को देखने के लिए चल पड़े| पिंजौर गार्डन में प्रवेश करने के लिए टिकट 25 रुपये की है| हमने 125 रुपये देकर 5 टिकट खरीद ली| टिकट चैक करवाने के बाद हम पिंजौर गार्डन में प्रवेश कर गए| फूलों, फुवारो से सजे हुए इस खूबसूरत गार्डन में प्रवेश करते ही सफर की सारी थकान छू मंत्र हो गई| मैं लगातार तीन चार दिन से पहाड़ में गाड़ी चला रहा था| मुझे कुदरत की गोद में कुछ पल स्कून के चाहिए थे जो मुझे पिंजौर गार्डन में मिले थे| हम तकरीबन दो घंटे तक पिंजौर गार्डन में रुके थे|
मुगलों के जमाने में का खूबसूरत गाँव था पंचपुरा जिसको बाद में पिंजौर कहा जाने लगा| इस खूबसूरत गार्डन को पिंजौर गार्डन और यादवेन्द्र गार्डन के नाम से भी जाना जाता है| इस खूबसूरत गार्डन का नाम उत्तर भारत के मुगल काल में बने हुए गिने चुने हुए सुंदर बागों में से आता है| अगर इस खूबसूरत गार्डन के ईतिहास की बात की जाए तो इसका निर्माण 17 वीं शताब्दी में पंजाब के मुगल गवर्नर फिदाई खां ने करवाया था| बाद में पिंजौर के ऊपर पटियाला रियासत के महाराजा का कब्जा हो गया| बाद में जब हरियाणा राज्य का गठन हुआ तो महाराजा पटियाला ने इस गार्डन को हरियाणा सरकार को दे दिया| हरियाणा सरकार ने इस गार्डन का पटियाला के महाराजा यादवेन्द्र सिंह के नाम पर रख दिया| इसीलिए इस खूबसूरत गार्डन को यादवेन्द्र गार्डन के नाम से भी जाना जाता है| इस खूबसूरत गार्डन का संचालन अब हरियाणा सरकार का पर्यटन विभाग करता है|
बाहर से देखने से पिंजौर गार्डन एक किले की तरह दिखाई देता है| पिंजौर गार्डन में आप ऊपर से नीचे की ओर जाते हो| सबसे पहले शीशमहल आता है| हम शीशमहल में पहुँच कर फोटोग्राफी करते हैं और इसकी खूबसूरती को निहारते है| इस खूबसूरत गार्डन का डिजाइन इस तरह से किया गया है कि इसके बीच में एक छोटी सी नहर बनी हुई है| जिसके दोनों तरफ फूल पौधे लगे हुए हैं| दोनों साईड पर सीढ़ियों से उतरकर या पैदल रास्ते से आप नीचे उतर सकते हो| शीशमहल से आगे बढ़ कर कुछ समतल जगह पर चलते हुए बगीचे में घूमते हुए हम रंगमहल पहुंचते है| रंगमहल में जगती हुई लाईटों ने इसको और मनमोहक बना दिया था| कुछ समय रंगमहल की खूबसूरत ईमारत में बैठकर हम आगे जलमहल की ओर बढ़ जाते हैं| जलमहल के पास फुवारे भी चल रहे थे| हमने इस खूबसूरत गार्डन में अपनी सुनहरी यादों को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद कर लिया| इस खूबसूरत गार्डन में कुल 7 टैरेस बने हुए हैं| जब आप शीशमहल के चबूतरे पर खड़े होकर दूसरे तल की ओर देखते हो तो वहाँ से रंगमहल का शानदार दृश्य दिखाई देता है| सूर्य ढलने के बाद जब इस खूबसूरत गार्डन में रोशनी की जाती है तो इसका निखार और चमक उठता है| यहाँ आप घंटों तक बैठकर इस शानदार रोशनी और फव्वारों का आनंद ले सकते हो| ऐसे ही गार्डन में दो घंटे बिताने के बाद हम वापस अपनी अगली मंजिल की ओर चल पड़े|
पिंजौर कैसे पहुंचे- चंडीगढ़ से पिंजौर गार्डन की दूरी 22 किलोमीटर है| कालका रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 8 किमी है| यह खूबसूरत गार्डन चंडीगढ़- शिमला हाईवे पर ही बना हुआ है| पिंजौर गार्डन हरियाणा के पंचकुला जिले में पड़ता है| चंडीगढ़ से आप बस लेकर भी यहाँ पहुँच सकते हो| रेलवे मार्ग से आप कालका रेलवे स्टेशन तक आ सकते हो| रहने के लिए आप चंडीगढ़, पंचकुला आदि जगहों पर भी कमरा ले सकते हो|