हम इस ट्रिप में बात करेंगे दो जगहों के बारे में एक वैष्णो देवी और दूसरा पाराशर लेक के बारे में। इस यात्रा की शुरुआत हमने मथुरा से किया भगवान श्रीकृष्ण के जन्मभूमि के दर्शन के साथ। इस ट्रिप में भी हमने सफर कार से ही किया था। 22 दिसम्बर को हम सुबह 11 बजे के आस पास वैष्णो देवी के लिए निकले । चूँकि दिसम्बर का महीना था तो कोहरा भी काफी था इस लिए दिल्ली पहुंचते पहुचते शाम के 4 बज गए। हम दिल्ली में कुछ सामान लेने के लिए रुके , फिर हम 7 बजे के बाद दिल्ली से आगे निकले। रात के खाने के लिए हम लोग प्रसिद्ध अमरीक सुखदेव ढाबे पर रुके , वहां 30 मिनट इंतजार करने के बाद हमें बैठने को मिला खाना खाने के लिए, क्योंकि वहां पर भीड़ बहुत ही ज्यादा थी। और रही बात खाने की तो खाना बहुत ही ज्यादा लजीज और स्वादिष्ट था। जैसा कि हमने नाम सुना था।
अब बात करते हैं दूसरे दिन की , पहले दिन रात में खाना खाने के बाद हम पूरी रात सफर करते रहे और सुबह 8 बजे के आस पास हम लोग वैष्णो देवी पहुंच गए। वहाँ हमने 700 रुपये में एक होटल लिया 4 बेड का । दिन भर आराम करने के बाद शाम को 6 बजे हम लोगों ने वैष्णो देवी दरबार के लिए चढाई शुरू किया और जल्दी लगभग 10 बजे हम लोग ऊपर दरबार के पास तक पहुंच गए। जैसा कि वहाँ भीड़ बहुत ज्यादा थी तो दर्शन करने में काफी समय लगा। माता के दर्शन के बाद हमने आगे भैरो बाबा के दर्शन के लिए चढाई किया। तब तक रात के 12 बज चुके थे। फिर वहां ऊपर हमने 1 घंटे का आराम लिया। फिर हम नीचे उतर आए। रास्ते मे हमने अपने अपने घर के लिए कुछ जरूरत के समान और प्रशाद लिये। वापस होटल आने के बाद हम लोग सो गए।
फिर सुबह 10 बजे हम कटरा के आस पास जो भी अच्छी जगहें थी वहां घूमने के लिए निकल गए।
1- बाण गंगा
2- बाबा धनसर
ये दोनों जगहें वाकई में काफी खूबसूरत और प्यारी थी।
शाम तक घूमने के बाद हम लोग शिमला के लिए निकल लिए क्योंकि हमें आगे पाराशर झील जाना था। रास्ते मे हमने वैष्णो फैमिली ढ़ाबे पर खाना खाया और आगे बढ़ गए। लेकिन थके होने के कारण हमने रात को पठानकोट(पंजाब) में रुकने का निर्णय किया। वहाँ हमने 800 रुपये में एक होटल का हाल जैसा कमरा लिया, और रात को वहीं सो गए।
सुबह की पहली किरण के साथ हम लोग आगे पराशर झील शिमला के लिए निकल लिए। रास्ते में कुछ नजारे तो इतने शानदार थे की बिना रुके हम रह नही पा रहे थे। जैसे एक जगह थी 'शरालु' । जहां चाय के बागान इतने शानदार थे कि शब्दों में बयाँ ही नही किया जा सकता है। गाड़ी से चलते हुए बर्फीला पहाड़ और हरी हरी वादियों का जो संगम था उससे नजरें हट ही नही रही थीं। रास्ते में रुकते , फ़ोटो खींचते और खाते पीते हम लोग शाम को 6 बजे मंडी पहुंच गए।
जैसे कि हमे पता चला कि रात को ऊपर खाना नही मिलेगा तो हमने नीचे ही खाना पैक करवा लिया और आगे बढ़े। पाराशर झील पर चढ़ाई करने में हमे 3 घण्टे से ज्यादा लग गया, क्योंकि रास्ता पूरा ऊपर तक चढाई वाला और अति घुमावदार था। हमें ये नही पता था कि ऊपर शाम को 6 बजे के बाद एंट्री बन्द होती है। हमने वहां एक और अकेले सरकारी गेस्ट हाउस में कमरा बुक किया हुआ था। जब हम ऊपर पहुंचे तो चौकीदार गुस्से में गेस्ट हाउस का चाभी हमारे सामने फेंक कर चला गया। फिर हम खाना पीना खा पीकर सो गए। वहाँ का रात तापमान -8 डिग्री सेल्शियस था।
नोट- अगर आप पराशर झील उस ठंड में जाये तो कृपया जितना ज्यादा पानी अपने साथ ले जा सके ले जाएं, क्योंकि वहां ऊपर पानी की सुविधा थोड़ी अच्छी नही है।
घटना- जब हम ऊपर पहुंचे तो पता नही चला कि उस रात काफी ज्यादा बर्फ़बारी हुई थी, रात होने के कारण हमें पता भी नहीं चला। ऊपर गेस्ट हाउस पर गाड़ी ले जाने के लिए हमे कार को एक तीखे मोड़ से ऊपर चढ़ाना था , लेकिन बर्फ की वजह से गाड़ी पीछे फिसलने लगी और पीछे थी लगभग 500 मीटर की खाई ,जैसे तैसे हमने पत्थर लगाकर गाड़ी रोका, वो एक समय ऐसा था पूरे ट्रिप का की हमारी जान हलक के बाहर आ गई थी। फिर दूसरे प्रयास में हमारे ड्राइवर ने गाड़ी ऊपर चढ़ा ली।
नोट- ऐसे ट्रिप पर जाने से पहले हमारी तरफ से एक अनुरोध है कि कृपया एक अच्छे और ऐसी जगहों पर गाड़ी चलाने का जिसे अभ्यास हो उसी ड्राइवर को साथ ले जाये।
अगले दिन सुबह उठने के बाद हमें पता चला कि और भी काफी लोग टेंट में रुके हुए थे। फिर हम चौकीदार जी के पास गए उन्होंने अच्छी चाय पिलाई, और फिर पाराशर झील के बारे में चाय पीते पीते काफी कुछ बताते रहे। उसके बाद हम लोग पाराशर मंदिर गए , दर्शन किया और वहीं पर पराठे और मैगी खाये। फिर दिन भर वहीं पहाड़ पर घूमते रहे। बर्फ के गोले बनाकर एक दूसरे को मारने का भी मज़ा लिया। जब शाम होने लगी तो हम रात को रुकना चाहते थे लेकिन हमें पता चला कि गेस्ट हाउस अगले दिन के लिए किसी और ने बुक किया हुआ था और टेंट लेकर हम गए नही थे इसलिए हमने आगे वापस आने का फैसला लिया।
अगले दिन भरे कोहरे में पूरी रात गाड़ी चलाने के कारण हमारे गाड़ी के ड्राइवर काफी तक गए तो हम एक ढाबे पर रुके और 3 घंटे तक गाड़ी में ही सोते रहे। सुबह 6 बजे ढाबे पर ब्रेकफ़ास्ट करने के बाद हम लोग दिल्ली के लिए निकल लिए। सुबह 8 बजे तक हम दिल्ली और फिर 11 बजे तक मथुरा वापस आ गए।
नोट- ट्रिप पर हम मथुरा से 6 लोग और हमारे ड्राइवर जी को लेकर 7 लोग निकले थे। लेकिन कटरा में दूसरे दिन कुछ कारणों से दो लोग वापस मथुरा आ गए थे आगे हम 5 लोग सफर में थे।
Trip Expenses- आप लोग इस ट्रिप की स्टोरी पढ़ने के बाद ये सोचेंगे कि इतनी लम्बी ट्रिप में काफी पैसा खर्च हुआ होगा। लेकिन ऐसा कुछ नही है हमारे इस पूरे ट्रिप का पूरा खर्च लगभग 38000 रुपये थे। जिसमें से 19000 हमने गाड़ी वाले भइया को दिया था। अगर सही मायने में देखा जाए तो एक व्यक्ति का 6500 रुपये ही लगे पूरे ट्रिप के।
बहुत बातें ऐसी भी हैं जो शायद मुझे ध्यान नही हो या बाद में याद आये तो मैं अपडेट करता रहूंगा।
अंतिम शब्द- इस ट्रिप पर हमारे लिए बहुत सारी चीजें ऐसी थी जो हमारे लिए यादगार बन गई । ये हमारे लिए कम पैसे में शानदार और जबरदस्त सफर था। जिसे हम अक्सर याद करके बहुत ही अच्छा महसूस करते हैं।
धन्यवाद