पानीपत कभी इतिहास की किताबों में पढ़ा था और फिर भूल गए। इतिहास का कभी ना भूल सकने वाला पन्ना जिसने सिर्फ शहर की ही नहीं पूरे देश का इतिहास बदल कर रख दिया।
पानीपत- बुनकारों का शहर। दिल्ली से 90 कि.मी. दूर, यह शहर अपनी वस्त्र उद्योग के लिए जाना जाता है। यहाँ आने के लिए कई रास्ते है। सबसे सरल रास्ता दिल्ली चंडीगढ़ हाईवे है। आप गाड़ी से या किसी अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट से भी यहाँ आ सकते हैं।
पचरंगा बाजार
अगर आपको बजट में टेक्सटाइल का सामान खरीदना है, पचरंगा बाजार सबसे अच्छी जगह है। यह देश की सबसे बड़ी टेक्सटाइल मार्केट है। यहाँ पर कंबल चाद्दर, पर्दे और हैंडलूम का सब सामान बाज़ार से आधे दामों में बिना मोल भाव मिल जाता है।
हलवाई अटटा
यह जगह अपने स्ट्रीट फूड के लिए जानी जाता है। यहाँ शॉपिंग करते हुए बीच में आप कचोरी, आईसक्रीम, शकरकंदी की चाट इत्यादि खा सकते हैं।
इतिहास
जितना यह अपने टेक्सटाइल के सामान के लिए जाना जाता है उतना ही यह अपने इतिहास के लिए भी जाना जाता है। यहाँ इतिहास के 3 बड़े युद्ध हुए जिन्होंने भारत का नक्शा तय किया।
पानीपत उन 5 गाँव में से हैं जो पांडवों ने कौरवों से मांगे थे। उसके बाद पानीपत युद्ध क्षेत्र बन गया जहाँ पर इतिहास के 3 बड़े युद्ध हुए। पहला युद्ध बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच हुआ जिसकी जीत दर्ज करते हुए बाबर ने यहाँ काबुली बाग मस्जिद बनवाई। यह आज यहाँ पर पवित्र स्थानों में से एक मानी जाती है।
दूसरा युद्ध अकबर और हेमू के बीच हुआ जिसमें अकबर विजय हुआ। और तीसरे युद्ध में अहमद शाह दुर्रानी ने मराठों को हराया था।
देखने के लिए क्या है
देवी मंदिर
यह मंदिर 18वीं शताब्दी में मराठो द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर पानीपत का विशेष मंदिर है और पर्यटको के लिए आकर्षण का केंद्र।
आने का समय
यह मंदिर पूरा साल खुला होता है, परंतु नवरात्रों में यहाँ आने का विशेष महत्व है। पिछले सौ सालों से हर साल नवरात्रों में यहाँ रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहाँ इकट्ठा होते हैं।
पानीपत संग्रहालय
यह संग्रहालय पानीपत के तीन मुख्य युद्ध और उनके परिणाम को दर्शाने के लिए बनवाया गया था। यहाँ उस समय से जुड़े हथियार, बरतन, गहने, मूर्तियाँ, शिल्प और कला का सामान इत्यादि को संजोकर रखा गया है। यह स्थान इतिहास प्रेमियों के लिए बहुत अच्छा पर्यटन स्थल है।
काला आम पार्क
यह वो स्थान है जहाँ पानीपत की तीसरी और आखिरी लड़ाई हुई थी। उस समय में यहाँ काले आम का पेड़ हुआ करता था जिसके नाम पर इस स्थान का नाम रखा गया था और उसी पेड़ के नीचे सदाशिवराव ने अपने प्राण त्यागे थे।
बू अली शाह कलंदर दरगाह
यह 700 साल पुरानी दरगाह बू अली शाह कलंदर की कब्र है। हर गुरुवार नस्ल, धर्म, पंथ के बावजूद बड़ी संख्या में लोग यहाँ आते हैं। ये मुस्लिम धर्म में बहुत पवित्र स्थान माना जाता है।
जगन्नाथ मंदिर
यह एक आधुनिक मंदिर है, जो जगन्नाथ भगवान के लिए बनवाया गया है। यह अपनी खास रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। जिसमें हर साल दूर-दूर से आए हज़ारों भक्त भाग लेते हैं।
इब्राहिम लोदी मकबरा
यह कब्र इब्राहिम लोदी की है जिसे बाबर ने पानीपत के पहले युद्ध में परास्त किया था, यह उन कुछ युद्धों में से है जिसमें पहली बार तोप, हथियार और बारूद का इस्तेमाल हुआ था। यह पहले सिर्फ एक कब्र हुआ करती थी बाद में अंग्रेजों ने इसे बनवाया था।
मुगल सराय गेटवे
यह मुगल शासन में मुगलों द्वारा बनवाई गई थी। सराय यात्रियों के रुकने की जगह होती है। अफसर आए तो नहीं पर उसके दो मुख्य द्वार अभी भी काफी अच्छी हालत में है। यह द्वार मुगल कलाकारी को अपने में समेटे हुए हैं।
1 दिन में कैसे घूमें
इब्राहिम लोदी की कब्र के बाद अब पुराना किला देख सकते हैं उसके बाद देवी मंदिर और फिर दरगाह जा सकते हैं काला आम और मुगल सराय दोनों शहर के बाहर है इसलिए आप शहर के अंदर घूमने के बाद वहाँ जा सकते हैं।
टिप्स
आप पूरे शहर में 1 से 2 दिन में घूम सकते हैं।
ये जगह टेक्सटाइल का सामान खरीदने के लिए सबसे अच्छी जगह है।
इन जगहों पर कोई ट्रैवल गाइड नहीं मिलेंगे आपको।
आप आसपास के लोगों से ही जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं।
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