पाकिस्तान के 10 प्रसिद्ध हिंदू मंदिर जो खंडहर में हो रहे हैं तब्दील

Tripoto
4th Oct 2023
Photo of पाकिस्तान के 10 प्रसिद्ध हिंदू मंदिर जो खंडहर में हो रहे हैं तब्दील by रोशन सास्तिक

पाकिस्तान। वह देश जो कभी हमारा ही एक अभिन्न हिस्सा था। लेकिन विभाजन के बाद एक रेडक्लिफ लाइन खींच गई और भारत से अलग होकर एक पाकिस्तान नाम का देश अस्तित्व में आ गया। इससे हुआ यह कि इस्लाम धर्म के नाम पर पाकिस्तान एक देश के रूप में भारत से अलग तो हो गया, लेकिन भारत की साझा धार्मिक विरासत के चलते हिंदुओ के कई प्राचीन और सुप्रसिद्ध मंदिर पाकिस्तान में रह गए। तो चलिए आज हम जानते हैं उन 10 प्राचीन और ऐतिहासिक हिंदू मंदिरों के बारे में जो वहां की सरकार की अनदेखी के चलते खंडहर में तब्दील होते जा रहे है।

1) कटास राज मंदिर, चकवाल

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती के वियोग में जब भगवान शिव के आंखों से आंसू निकले, तो उनके आंसुओं की दो बूंदे धरती पर गिरीं। आंसुओं की इन दो बूंदे के धरती पर गिरने के चलते जहां यह बूंदें गिरी वहां एक विशाल पानी का कुंड बन गया। और यह प्राचीन सरोवर लाहौर से 270 किलोमीटर दूर चकवाल जिले में स्थित है। इसी सरोवर के किनारे बसा है पाकिस्तान का सबसे बड़ा शिव मंदिर। मंदिर के सरोवर के पानी को लेकर यह मान्यता है कि इसमे स्नान करने से लोगों की ग़ुरबत दूर होती है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं को मानसिक शांति की भी प्राप्ति होती है।

2) हिंगलाज माता मंदिर, बलूचिस्तान

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कटास राज मंदिर के बाद पाकिस्तान में सबसे बड़ा मंदिर बलूचिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर ही है। यह मंदिर बलूचिस्तान के ल्यारी जिला के हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता यह है कि इस जगह पर आदिशक्ति का सर आकर गिरा था। इसलिए इस मंदिर की गिनती देवी के 51 शक्तिपीठों में होती है। प्राकृतिक सौंदर्य के गोद मे स्थित इस खूबसूरत जगह से ढेर सारी पौराणिक कथाओ के तार भी जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि शिव जी ने यहीं आकर अपना तांडव खत्म किया था। इतना ही नहीं तो रावण को मारने के पश्चात राम ने तपस्या के लिए भी इसी जगह का चुनाव किया था। इन मंदिर के आध्यात्मिक महत्व का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि एक जमाने मे इसके दर्शन करने के लिए खुद गुरु गोविंद सिंह जी आए थे।

3) गौरी मंदिर, थारपारकर

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सिंध प्रांत के हिंदू बहुल जिले थारपारकर में स्थित यह गौरी मंदिर पाकिस्तान का तीसरा सबसे ज्यादा विशालकाय मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण मध्ययुग में किया गया था। यह मंदिर वैसे तो मुख्यरुप से जैन मंदिर है। लेकिन यहां अनेक अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी रखी हुई हैं। पहले इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था। लेकिन पिछले कुछ समय से उस इलाके में बढ़ते चरमपंथ और पाकिस्तान सरकार की अनदेखी के चलते मंदिर की खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। तस्वीर देखकर आप मंदिर की जर्जर हालत का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं।

4) शिव मंदिर, पीओके

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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित शिव मंदिर पाकिस्तान में मौजूद नामचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के निर्माण की तिथि को लेकर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 कर बंटवारे के बाद के कुछ सालों तक तो इस मंदिर की स्थिति सामान्य रही। लेकिन इन दोनों देशों के बीच करवट बदलते राजनीतिक रिश्तों की वजह से इस मंदिर की दशा भी काफी बदल गई। इस मंदिर के आसपास बढ़ती चरमपंथी गतिविधियों के चलते यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना धीरे-धीरे खत्म हो गया। नतीज़तन आज यह मंदिर खंडहर होने के करार पर है।

5) स्वामी नारायण मंदिर, कराची

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साल 1854 में कराची के एमए जिन्ना रॉड से सटे इलाके में स्वामी नारायण मंदिर का निर्माण किया गया था। यह मंदिर करीब 32 हजार वर्ग इलाके में फैला हुआ है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों एक साथ आते हैं। मंदिर के अलावा यहां धर्मशाला भी है। यहां सैकड़ो लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। लेकिन जैसा कि पाकिस्तान में ज्यादातर हिंदू मंदिरों के साथ हुआ। यह मंदिर भी धार्मिक कट्टरपंथियों की भेंट चढ़ गया। हालांकि मंदिर से लगे हुए धर्मशाला का इस्तेमाल आज भी सभी धर्म के लोग करते हैं।

6) मरी इंडस, पंजाब

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इस मंदिर की प्राचीनता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि चीनी यात्री हेनसांग तक ने अपनी पुस्तक में इस मंदिर का जिक्र किया हैं। पंजाब के कलाबाग में स्थित इस मंदिर का निर्माण 5वीं सदी में किया गया। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का यह इलाका महाभारत के समय गंधार का प्रदेश का हिस्सा था। अपने शुरुआत के दिनों में यह मंदिर बेहद भव्य और विशाल था। लेकिन समय की मार और सरकार की बेरुखी के चलते यह मंदिर भी अब जर्जर और जीर्ण होते जा रहा है।

7) पंचमुखी हनुमान मंदिर, कराची

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भारत मे आपने अनगिनत हनुमान मंदिर देखे होंगे। लेकिन पाकिस्तान के कराची में पंचमुखी हनुमाम मंदिर में 5 मुखों वाली हनुमान जी की मूर्ति स्थित है। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर कई लाख साल पुराना है, लेकिन आज का जो मंदिर है उसका इतिहार 18वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का वर्ष 1882 में पुनर्निर्माण भी किया गया था। इस मंदिर की बनावट काफी कुछ जोधपुर के मंदिरों की स्थापत्य कला से मिलती-जुलती है। लोगों की आस्था के अनुसार इस मंदिर में भगवान हनुमान की 11 परिक्रमा लगाने पर भक्तों की सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं और उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।

8) शारदा देवी मंदिर, पीओके

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माँ सरस्वती का ही एक रूप है माँ शारदा। माँ शारदा देवी का यह मंदिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित है एलओसी यानी लाइन ऑफ कंट्रोल से सटे नीलम घाटी में मौजूद इस मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है। इसके धार्मिक महत्व का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर ने सती के शव के साथ जो तांडव किया था उसमें सती का दाहिना हाथ इसी पर्वतराज हिमालय की तराई में आकर गिरा था। और साथ ही इसका ऐतहासिक महत्व भी इसके हजारों साल पुराना होने के चलते बढ़ जाता है। हालांकि कभी अपने अंदर खूबसूरती को समेटे रहने वाला यह मंदिर आज समय की मार के चलते खंडहर की मार झेलने को मजबूर है।

9) साधु बेला मंदिर, सुक्कुर

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सिंधु प्रांत के सुक्कुर में इस मंदिर का निर्माण आठवें गद्दीनशीं बाबा बनखंडी महाराज की मृत्यु के बाद संत हरनाम दास ने इस साल 1889 में कराया था। मान्यता है कि बाबा बनखंडी महाराज सिन्ध प्रांत के सुक्कुर में 1823 में आए थे। उनकी याद में बनाए गए साधु बेला मंदिर के बारे में जो सबसे खास बात है, जिसके लिए यह मंदिर पाकिस्तान भर में मशहूर है, वह है यहां का भंडारा। समुचे पाकिस्तान में साधु बेला मंदिर में होने वाला भंडारा प्रसिद्ध है। आपको बता दें कि यहां महिला और पुरूष इनके पूजा के लिए अलग-अलग व्यवस्था है।

10) गोरखनाथ मंदिर, पेशावर

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भारत-पाकिस्तान के बंटवारे का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव इस मंदिर की व्यवस्था पर पड़ा। बंटवारे के बाद से इस मंदिर के दरवाजे पर ताला जड़ दिया गया था। यहां किसी तरह के पूजा-पाठ की अनुमति नहीं थी। लेकिन मंदिर के पुजारी की बेटी की याचिका पर कोर्ट ने साल 2011 में इस मंदिर को दोबारा खोलने का करने का आदेश जारी किया। करीब 160 साल पुराने इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों महत्व बेहद ज्यादा है।

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