ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर :
यह मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, गर्भगृह
में प्रवेश करने के लिए पक्की सीढ़ियाँ बनी हैं।
भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है, ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है।
इसी के साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएँ हैं। गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्ज्वलित होता रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है। इस कक्ष में बैठकर हजारों श्रद्धालु शिव आराधना का पुण्य लाभ लेते हैं।
महाकाल की भस्म आरती
इस आरती मे शामिल होने के लिए महिलाओं को साडी मे और पुरुषों को धोती पहनकर जाना होता है यह पहनावा बहुत जरूरी है अन्यथा भस्म आरती मे प्रवेश नही मिलता है
प्रतिदिन सुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग करानी होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है लेकिन आजकल इसका स्थान गोबर पर कंडे की भस्म का उपयोग किया जाता है परंतु आज भी यही कहा जाता है कि यदि आपने महाकाल की भस्म आरती नहीं देखी तो आपका महाकालेश्वर दर्शन अधूरा है।
भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन व उसके आसपास के गाँवों में कई प्रसिद्ध मंदिर व आश्रम है, जिनमें चिंतामण गणेश मंदिर,गोपाल मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, त्रिवेणी संगम, सिद्धवट, मंगलनाथ, इस्कॉन मंदिर आदि प्रमुख है। इन स्थानों पर पहुँचने के लिए महाकालेश्वर मंदिर से बस व टैक्सी सुविधा उपलब्ध है। #महाकाल #महाकालेश्वर
कैसे पहुँचें उज्जैन :
उज्जैन पहुँचने के लिए आपको इंदौर,भोपाल आदि स्थानों से बस, ट्रेन व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। नजदीकी हवाईअड्डा इंदौर और फिर भोपाल में है।
कालभैरव मंदिर
यहा पर प्रसाद के साथ शराब चढाई जाती हैं जो मंदिर परिसर के बाहर उपलब्ध रहती है
ओंकारेश्वर
हम सुबह के लगभग 8 बजे उज्जैन से ओंकारेश्वर के लिए चल पड़े। उज्जैन से ओंकारेश्वर तक की दूरी लगभग 139 km है
ॐकारेश्वर एक हिन्दू मंदिर है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है। यहां के मोरटक्का गांव से लगभग दूर बसा है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है।
यहां दो मंदिर स्थित हैं।
मन्दिर तक जाने के दो रास्ते है। एक पुराने पुल से व दूसरा नए झूला पूल से।वैसे हम तो पुराने पुल से ही गए।मन्दिर के ही समीप नर्मदा नदी बह रही थी। नदी का साफ व हरा पानी देखकर हमारे मन मे इसे नजदीक से देखने व छुने की प्रबल इक्षा हुई। इसलिए हम काफी सीढ़ियों से उतरते हुए नर्मदा के एक घाट पर पहुँचे। यहां से मन्दिर बिल्कुल नजदीक ही दिखलाई पड़ता रहा था। नर्मदा का जल बड़ा स्वच्छ था,जिसमें छोटी छोटी मछलिया तैरती हुई दिखलाई दे रही थी। नाव वाले नाव चला रहे थे। लोग उनमें बैठ कर सैर कर रहे थे। घाट पर ही कुछ दुकानें लगी हुई थी, जिन पर प्रसाद व पुष्प बिक रहे थे। ओर साथ मे मछलियों को खिलाने के लिए भूने हुए चने बिक रहे थे।
भ्रमण समय : #उज्जैन और #ओंकारेश्वर जाने के लिए आपको किसी खास मौसम की आवश्यकता नहीं है। आप यहां साल भर में कभी भी आ सकते हैं, लेकिन माॅनसून में यहां की धरती हरियाली की चुनरी ओढ़कर और भी खूबसूरत हो जाती है।
कहां ठहरे : कई प्राइवेट होटल धर्मशाला एवं धर्मशालाएं उपलब्ध हैं। होटलों और धर्मशालाओं के अलावा यहां कई ऐसे आश्रम भी हैं जहां यात्री आराम से ठहर सकते हैं। यहां हर बजट के लोगों के रहने के लिए आसानी से कमरे मिल जाते हैं।
यात्रा जानकारी के लिए
WhatsApp +919792938576