कुतुब मीनार- ईंटों से बनी दुनिया की सबसे ऊंची मीनार

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दिल्ली के महरौली इलाके में बना 'कुतुब मीनार' ईंटों से बनी दुनिया की सबसे ऊंची मीनार है। महरौली के पास ही है कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया और कटवारिया सराय। यहां करीब 13 साल रहा। इस दौरान अक्सर दोस्तों के साथ घूमते-फिरते पैदल ही कुतुब मीनार चला जाता था। शाम के समय कुछ देर यहां की प्राकृतिक सुंदरता के बीच समय बिताता और लौट जाता। अब जब इसके बारे में पढ़ने के लिए बैठा तो कई रोचक जानकारियां मिली हैं। इसे आपके साथ भी शेयर करता हूं।

Photo of Delhi, India by Hitendra Gupta

इतिहास के हिसाब से दिल्ली के प्रथम मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक में 1192 में इसके निर्माण का काम शुरू करवाया था, लेकिन वह ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहा और इस इमारत को पूरा बनते नहीं देख पाया। कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद उसके उत्तराधिकारियों इल्तुतमिश और फिरोज शाह तुगलक ने इसका निर्माण पूरा करवाया। इस कुतुब मीनार के नीचे बगल में एक मस्जिद बनी है कुव्वतुल इस्लाम। इसके बारे में कहा जाता है कि यह भारत में बनने वाली पहली मस्जिद है। इसे 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ कर बनाया गया था। यहां के कई खंभों, मेहराबों, दीवार और छत पर हिंदूओं के धार्मिक प्रतिकों को आज भी देखा जा सकता है।

बताया जाता है कि हिंदुस्तान पर विजय अभियान शुरू करने के साथ ही मुस्लिम शासकों ने हर हिंदू स्मृति को नष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने मंदिरों और भव्य इमारतों को गिराकर या उसके ऊपर नक्काशी कराकर अपना रूप देने की कोशिश की। कुतुब मीनार के बारे में भी कहा जाता है कि यह एक विष्णु स्तंभ है, जिसे कुतुबदीन ऐबक ने नहीं बल्कि सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक और खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने बनवाया था।

Photo of Qutub Minar, Seth Sarai, Mehrauli, New Delhi, Delhi, India by Hitendra Gupta

विकिपीडिया के अनुसार भी कुतुबुद्‍दीन ने अपने एक विवरण में लिखा कि उसने सभी मंडपों या गुंबजदार इमारतों को नष्ट कर दिया था। लेकिन उसने यह नहीं लिखा कि उसने कोई मीनार बनवाई। भारत में आए ज्यादातर मुस्लिम हमलावर हिंदू इमारतों की पत्‍थरों के आवरण को निकाल लेते थे और मूर्ति का चेहरा या सामने का हिस्सा बदलकर इसे अरबी में लिखा अपना हिस्सा लगा देते थे। लेकिन कई इमारतों के स्तंभों और दीवारों पर संस्कृत में लिखे विवरणों को अब भी पढ़ा जा सकता है।

विकिपीडिया के मुताबिक कुतुब मीनार के महरौली इलाके का नाम मिहिर-अवेली था। जो बाद में महरौली कहा जाने लगा। यहां विक्रमादित्य के दरबार के खगोलविद मिहिर रहा करते थे। मिहिर और उनके सहायक इसका उपयोग खगोलीय गणना और अध्ययन के लिए करते थे। इस मीनार या स्तंभ में सात तल थे जो सप्ताह के सात दिन को दर्शाते थे, लेकिन अब सिर्फ पांच तल हैं। छठवीं मंजिल को गिरा दिया गया था और पास के मैदान पर फिर से खड़ा कर दिया गया था। सातवीं मंजिल पर चार मुख वाले ब्रह्मा की मूर्ति थी जिसे मुस्लिमों ने नष्ट कर दिया। स्तंभ का घेरा 24 मोड़ से बना है और यह दिन-रात के चौबीस घंटे को प्रदर्शित करता है। इसमें प्रकाश आने के लिए 27 झिरी हैं, जो 27 नक्षत्र का प्रतिनिधित्व करता है। इससे यह लगता है कि यह एक खगोलीय प्रेक्षण स्तंभ था।

कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है। कुतुब मीनार में पांच मंजिलें हैं। मीनार की पहली तीन मंजिले लाल बलुआ पत्थर में बनी हैं, जबकि चौथी और पांचवीं मंजिलें संगमरमर और बलुआ पत्थर से बनी हैं। मीनार के हर मंजिल के चारों ओर छज्जे बने हुए हैं। हर मंजिल में एक बालकनी भी है। नीचे नींव पर इसका व्यास 14.32 मीटर है जो ऊपर जाकर शिखर पर 2.5 मीटर रह जाता है। इसकी वास्तुकला शानदार है। कुतुब मीनार को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया है। यहां पहले आम लोग भी शिखर तक जाते थे लेकिन 1981 में एक दुर्घटना के बाद इसके भीतर जाने पर रोक लगा दी गई।

Photo of कुतुब मीनार- ईंटों से बनी दुनिया की सबसे ऊंची मीनार by Hitendra Gupta

कुतुब मीनार परिसर और इसके आसपास कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। परिसर में ही जंग न लगने वाले लोहे के खंभे पर ब्राह्मी लिपि में संस्कृत में लिखा है कि विष्णु का यह स्तंभ विष्णुपाद गिरि नामक पहाड़ी पर बना था। लौह स्तंभ को अशोक स्तंभ के नाम से भी जाना जाता है। 24 फीट ऊंचे इस स्तंभ का वजन छह टन से अधिक है। इसके बारे में कहा जाता है कि इसमें कभी जंग नहीं लगती। यहां आने वाले लोगों में यह प्रचलित है कि अगर आप इस लौह स्तंभ से अपनी पीठ सटाकर उलटे हाथों से चारों ओर घेरकर पीछे उंगलियों को छू लेते हैं, तो आपकी हर मनोकामनाएं पूरी हो जाएगी।

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इसके साथ ही यहां कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा, अलाई मीनार, इल्तुमिश की कब्र, अलाउद्दीन का मदरसा और कब्र जैसी इमारतें और स्मारक भी हैं।

कैसे पहुंचे-

दिल्ली में होने के कारण आप यहां देश के किसी भी हिस्से से रेल, सड़क या वायुमार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। आप मेट्रो से भी यहां पहुंच सकते हैं। मेट्रो स्टेशन का नाम कुतुब मीनार पर ही है।

कब पहुंचे-

दिल्ली में गर्मी और सर्दी दोनों काफी ज्यादा पड़ने के कारण सितंबर से नवंबर और फरवरी से मार्च तक का समय काफी अच्छा रहता है।

कुतुब मीनार में प्रवेश के लिए टिकट लेना जरूरी है। भारतीय के लिए 10 रुपये का टिकट है जबकि विदेशियों को 250 रुपये का टिकट लेना पड़ता है।

-हितेन्द्र गुप्ता

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