काफी टाइम से मैं इस ट्रेक के बारे में सोच रहा था। मैंने काफी ऑनलाइन रिसर्च की, ट्रेवल ब्लॉग पढ़े, फिर जाकर डिसाइड किया की ये अकेले किया जा सकता है। फिर क्या था वीकेंड आते ही मैं निकल पड़ा।
शुक्रवार की शाम ऑफिस के बाद आनंद विहार बस अड्डे पहुँच गया। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बस में बैठ गया जो देहरादून जा रही थी। दिल्ली से देहरादून का किराया है ₹265/- NonAC ।9 बजे बस निकल पड़ी देहरादून के लिए। सुबह 6 बजे मैं देहरादून बस अड्डे पहुँच चूका था।
अब मुझे पंतवारी गाँव पहुँचना था जहाँ से नाग टिब्बा की ट्रेकिंग शुरू होती है , बस स्टैंड पर लोगों से पता किया तो पता चला वहाँ कोई डायरेक्ट बस नहीं जाती, लोगो ने बताया आपको पहले विकास नगर जाना होगा, फिर वहाँ से नैनबाग़ की बस लेनी होगी और फिर नैनबाग से पंतवारी की शेयर्ड टैक्सी मिल जाएगी। मैंने ऐसे ही किया और 12 बजे तक पंतवारी गाँव पहुँच गया जो एक छोटा सा गाँव था अब मैं रुकने के लिए रूम ढूँढ रहा था तभी एक आदमी ने पूछा रूम चाहिए, मैंने कहा रूम तो चाहिए पर ज्यादा महँगा नहीं मैं अकेला ही हूँ और बजट ट्रवेलेर भी, उसने कहा कोई बात नहीं जो समझ में आए वो दे देना।
फिर मैंने उनसे पूछा क्या आज मैं ट्रेकिंग के लिए जा सकता हूँ, उन्होंने बताया की जा सकते हैं पर रात आपको ऊपर ही कैंप में बितानी होगी, कैंप के सामान आपको रेंट पे लेने पड़ेंगे।
मैं चुँकी अकेला था तो कैंपिंग थोड़ी महंगी पड़ रही थी। मैंने डिसाइड किया की कल सुबह- सुबह ट्रेकिंग स्टार्ट करूँगा और शाम तक वापस आ जाऊँगा। उन्होंने ये भी सुझाव दिया कि अगर आप अकेले है तो आपको गाइड ले लेना चाहिए। मैंने गाइड लेना उचित समझा।
अगली सुबह मैंने रास्ते के लंच के लिए पराठे पैक करवा लिए और कुछ बिस्किट के पैकेट रख लिए और गाइड के साथ निकल पड़ा।
रास्ते के कुछ खूबसूरत नज़ारे
शाम को 5 बजे तक मैं वापस आ गया था। पैरों की बैंड बज चुकी थी। गाइड ने बताया की सुबह 8 बजे आपको डायरेक्ट देहरादून के लिए शेयर्ड टैक्सी मिल जाएगी जो ₹300/- लेगा। मैंने डिनर किया और सो गया।
सुबह फ्रेश होकर मैंने देहरादून की टैक्सी ले ली और 1 बजे तक मैं घंटाघर टैक्सी स्टैंड देहरादून में था। वहाँ से देहरादून बस अड्डा 10 मिनट के दुरी पर था मैंने शेयर्ड ऑटो ली और बस अड्डा पहुँच गया। वहाँ पहुँचकर मैंने लंच किया और उत्तर परिवहन निगम वाली बस ले ली दिल्ली वापसी के लिए।
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