यह हैं नेपाल का गांव "खुमजुंग"। एवरेस्ट बेस कैंप के दौरान कुछ लोग रूट से हट कर पड़ने वालें इस गांव में एक रात रुकने को एक्स्ट्रा ट्रेक करके यहां पहुंचते हैं।
इस गांव की विशेषता यह हैं कि एक तो यहां की सब इमारतों की छत हरे रंग की ही रखी जाती है।दूसरा,यहां की प्रसिद्ध स्कूल जो कि फिलहाल एक सेकेंडरी स्कूल हैं, उसे देखने ट्रेकर्स यहां आते है।यह स्कूल एडमंड हिलेरी ट्रस्ट द्वारा 1961 में केवल दो कमरों से शुरू की थी। इसके अलावा यहां के मठ में रखी Yeti की खोपड़ी एक मेजर अट्रैक्शन हैं।
यह जो पर्वत दिख रहा हैं यहां अभी तक कोई चढ़ा हैं।एक बार एक कोशिश हुई थी लेकिन हिमस्खलन में सब दब गए। इस पर्वत का नाम हैं खुंबीला पर्वत। इस पर्वत को इस क्षेत्र में पूजा जाता हैं,भगवान की तरह माना जाता हैं और इसीलिए अब इसपर कोई चढ़ने की कोशिश भी नही करता।ये सब बातें मुझे वहां के लॉकल्स ने बताई थी।
इस गांव में हर कोई नही जाता क्योंकि यहां जाने के लिए एक दिन एक्स्ट्रा लगता हैं और ट्रेक भी ज्यादा करना पड़ता हैं।केवल जिन्हें इस गांव में रुक कर Yeti की खोपड़ी देखनी हो या जिन्हें एडमंड हिलेरी स्कूल को विजिट करना हैं या जिन्हें भीड़ कम पसंद हैं वें ट्रेकर्स यहां आते हैं।
आपको जानकारी के लिए बता दूँ कि एवेरेस्ट बेस केम्प ट्रेक करने के लिए आपको मानसिक और शारीरिक रुप से तैयार रहना होता हैं। यह ट्रेक नेपाल में होता हैं। इस ट्रेक के दौरान आप करीब 12 से 18 दिन तक का पैदल सफर तय करके माउंट एवेरेस्ट के बेस केम्प तक पहुंचते हैं। इसमें काठमांडू से लुकला तक का सफर आप चाहे तो फ्लाइट से भी कर सकते हैं और या आप करीब 6 दिन एक्स्ट्रा लगाकर कुछ बस से और कुछ पैदल से यह सफर कर सकते हैं। लुकला नामक जगह के आगे आपको केवल पैदल ही चलना होता हैं।
-Rishabh Bharawa