सचखंड श्री हजूर साहिब
नादेंड महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के नादेंड शहर में तख्त सचखंड श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा है| इस ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब का नाम भी सिख धर्म के पांच तख्त साहिब में नाम आता है| सचखंड श्री हजूर साहिब को अबिचल नगर भी कहा जाता है| इस गुरुद्वारे का ईतिहास दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ता है| इसी जगह पर 7 अकतूबर 1708 ईसवीं में गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ज्योति जोत समाए थे| गुरु जी ने अपने जीवन का अंतिम समय इसी जगह पर गुजारा था| इसी जगह पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुदगदी गुरु ग्रंथ साहिब को सौंप थी ती और गुरु ग्रंथ साहिब को ही अगला गुरु घोषित कर दिया था | यहीं पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा था "सब सिखन को हुक्म है गुरु मानियो ग्रंथ" महाराष्ट्र का नादेंड शहर गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है| हजूर साहिब वह पवित्र गुरुद्वारा है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का अंतिम संस्कार हुआ था| नादेंड में ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने बाबा बंदा सिंह बहादुर को सिंह सजाकर पंजाब के लिए भेजा था| नादेंड में आकर आपको ऐसा लगेगा जैसे आप पंजाब में घूम रहे हो|
नादेंड शहर में बहुत सारे ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब है |नादेंड शहर में देखने लायक कुछ गुरुद्वारे इस प्रकार है|
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गुरुद्वारा लंगर साहिब
गुरूद्वारा संगत साहिब
गुरुद्वारा माल टेकड़ी साहिब
गुरुद्वारा हीरा घाट साहिब
गुरुद्वारा नगीना घाट साहिब
गुरुद्वारा बंदा घाट साहिब
गुरुद्वारा माता साहिब कौर जी
गुरुद्वारा शिकार घाट साहिब
गुरुद्वारा गोबिंद बाग साहिब
आप नादेंड में इन ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब के दर्शन कर सकते हो| लोकल गुरुद्वारा दर्शन के लिए गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से एक बस भी चलाई जाती है जो बहुत मामूली शुल्क से आपको लोकल गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करवा देती है| इसके अलावा नादेंड में लोकल गुरुद्वारा साहिब दर्शन करने के लिए आप टैक्सी भी कर सकते हो| मुझे नादेंड जाने का और सचखंड श्री हजूर साहिब के दर्शन करने का बहुत बार सौभाग्य मिला है कयोंकि मैंने होमियोपैथी में एम डी की डिग्री नादेंड महाराष्ट्र के पास परभणी शहर से की है|
गुरुद्वारा लंगर साहिब नांदेड़ (महाराष्ट्र)
दोस्तों सिख धर्म में सेवा और लंगर को बहुत महत्व दिया जाता हैं। इस ईतिहासिक जगह का नाम ही लंगर साहिब हैं कयोंकि जब दशम गुरू गोबिंद सिंह जी नांदेड़ में थे तो वह दोपहर का लंगर इसी जगह पर छकते थे, जिस वजह से गुरूद्वारा लंगर साहिब नाम पड़ गया। मैंने होमियोपैथिक M.D. महाराष्ट्र के परभणी शहर से की हैं जो नांदेड़ से 70 किमी दूर हैं लेकिन मैं रहता नांदेड़ में ही था, बहुत बार इस पवित्र जगह के दर्शन और सेवा करने का सौभाग्य मिला। गुरूदारा साहिब के दर्शन करके , गुरू जी का लंगर छक कर मन निहाल हो जाता था। यहां हर समय लंगर चलता रहता हैं, रहने के लिए बहुत आलीशान कमरे बने हुए हैं। जो संगत पंजाब से सचखंड श्री हजूर साहिब के दर्शन के लिए नांदेड़ जाती हैं वह इस ईतिहासिक जगह को भी नमन करती हैं।
नादेंड महाराष्ट्र का एक शहर है| नादेंड महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से 617 किमी, औरंगाबाद से 285 किमी और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से 275 किमी दूर है| नादेंड आप बस मार्ग, रेल मार्ग और वायु मार्ग से पहुंच सकते हो| नादेंड रेलवे मार्ग से पंजाब के अलग अलग शहरों जैसे अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, चंडीगढ़, बठिंडा से जुड़ा हुआ है| मुम्बई, नागपुर, दिल्ली, हैदराबाद, अहमदाबाद आदि जगहों से भी आप रेल मार्ग से यहाँ पहुंच सकते हो| नादेंड में गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर एयरपोर्ट भी बना हुआ है जो अमृतसर, चंडीगढ़ और मुंबई से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है| नादेंड में रहने के लिए बहुत सारी सराय आदि बनी हुई है| जहाँ आप एसी रुम से लेकर साधारण रुम आदि बुक कर सकते हो| नादेंड में बहुत सारे गुरुद्वारा साहिब है जहाँ आपको लंगर की सुविधा मिलेगी| नादेंड रेलवे स्टेशन पर जैसे पंजाब से कोई रेलगाड़ी पहुंचती है तो गुरुद्वारा ट्रस्ट की बस संगत को बस में बैठाकर गुरुद्वारा साहिब पहुंचा देती है वह भी बिलकुल मुफ्त में|