हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला वैसे तो भारत के मशहूर हिल स्टेशनों में से एक है | हर साल लाखों सैलानी शिमला घूमने आते हैं हर मौसम में | अब शिमला शहर में आपको भीड़भाड़, टरैफ़िक जाम आदि देखने को मिलेगें| टूरिस्ट शिमला में माल रोड़ पर टहल कर शहर में दो तीन जगहों को देख कर वापस चले जाते है| अगर आप भी शिमला टूर में अगर कुछ पल सकून के साथ कुदरत की गोद में अपने दोस्तों या फैमिली के साथ बिताने चाहते हैं तो आपको भी शिमला के आसपास इन खूबसूरत जगहों की यात्रा करनी चाहिए |
1. कुफरी
कुफरी शिमला से 16 किमी दूर हैं, कुफरी की ऊंचाई 2510 मीटर हैं। कुफरी बर्फ में खेलने के लिए और कुदरती नजारों के लिए मशहूर हैं। यहाँ की ढलानों सपरिवार घूमने वालों से भरी हुई मिलती हैं। ठंड के दिनों में यहाँ बहुत बर्फमिलती हैं। सवारी के लिए यहाँ याक नाम के पशु के उपयोग की सुविधा मिल जाती हैं। याक बछड़े से कुछ मोटा होता हैं| इस पहाड़ी क्षेत्र में चढ़ाई के दौरान थकान से बचने के लिए लोग इस पर सवारी करते हैं। हमनें भी याक की सवारी की| कुफरी की खूबसूरती को निहारा|वहाँ से दिखने वाली हिमालय की ऊंची चोटियों का नजारा लिया। मैं कुफरी बहुत बार गया हूँ| फैमिली और दोस्तों के साथ भी।कुफरी में एक छोटा सा चिड़ियाघर भी बना हुआ है देखने के लिए|
कैफे ललित हिमाचल प्रदेश टूरिज्म का कुफरी मे बना हुआ एक ईतिहासिक रैसटोरैट हैं| इसको चीनी बंगला भी कहा जाता है कयोंकि पटियाला महाराजा ने इसे अपनी चीन की पत्नी के लिए बनाया था। इसी जगह को इंदिरा हालीडे होम भी कहते है | जब भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ था तब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुलिफकार अली भुटटों यहां ठहरे थे। शिमला समझौता 1972 में हुआ था। हमनें यहां पहुंच कर ब्रेकफास्ट किया और आगे की ओर बढ़ गए। कुफरी में रहने के लिए आपको बहुत सारे होटल मिल जाऐगे|
2. मशोबरा
Carignano nature park
Carignano नेचर पार्क मशोबरा से 4 किमी दूर घने जंगलों में एक रमणीक जगह पर बना हुआ है। मशोबरा शिमला से 12 किमी दूर शिमला-नालदेहरा मार्ग पर हैं।
इस नेचर पार्क के अंदर जाने के लिए 50 रुपये की टिकट लगती हैं| टिकट लेकर हमनें पार्क में प्रवेश किया। नेचर पार्क सच में ही नेचुरल खूबसूरती का खजाना है। पार्क के अंदर आप नेचर वाक कर सकते हो| घने जंगलों के बीच अच्छा समय बिता सकते हो | यहाँ आपको बिलकुल भी भीड़भाड़ नहीं मिलेगी |
नेचर पार्क में एक Tree house बना हुआ है| आप उसके ऊपर चढ़ कर कुदरती नजारो का आनंद ले सकते हो। आप नेचर पार्क में निम्नलिखित गतिविधियों को कर सकते हो
Nature walk
Tree house
हमने तकरीबन 2 घंटे नेचर पार्क में घूम कर बिताये और कुदरत की खूबसूरती का आनंद लिया।
3. नालदेहरा
शिमला से 22 किमी दूर हैं नालदेहरा अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण प्रसिद्ध हैं। यहाँ का गोलफ मैदान बहुत सुंदर है जो पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है।
गोलफ मैदान के पास एक नाग देवता का मंदिर है जिसके नाम पर नालदेहरा का नाम पडा़ हैं। नालदेहरा की ऊंचाई 2044 मीटर से लेकर 2200 मीटर तक हैं।
नालदेहरा का गोलफ मैदान देश के सबसे खूबसूरत गोलफ मैदानों में से एक हैं। लारड कर्जन जो ब्रिटिश शासन में भारत का वाईसराय था | उसको यह जगह बहुत पसंद थी | उसने ही गोलफ मैदान का डीजाईन किया।
आम टूरिस्ट के लिए गोलफ मैदान मे प्रवेश बंद हैं।
जब हम नालदेहरा पहुंचे| हमनें वहा घोडसवारी की | घोड़े पे बैठ कर पूरे नालदेहरा का भम्रण किया | नालदेहरा में बहुत सारी फिल्मों की शूटिंग भी हुई है | नालदेहरा की खूबसूरती ने हमें आनंदित कर दिया। नालदेहरा की खूबसूरती आपको मंत्रमुग्ध कर देगी | यहाँ रहने के लिए होटल या होमसटे आदि मिल जाऐगे |
4. फागू
फागू हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले का एक खूबसूरत गांव हैं| जहां देखने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन कुदरत ने बहुत ही खूबसूरती बखशी हैं इस जगह को| आप जब भी शिमला आओ तो फागू आना मत भूलें।
फागू शिमला जिला का एक खूबसूरत गांव हैं जो शिमला से 22 किमी दूर हिन्दुस्तान-तिब्बत रोड़ पर हैं। फागू की ऊंचाई 2450 मीटर हैं। फागू पहाड़ की चोटी पर बसा हुआ एक गांव हैं | यहाँ से पहाड़ों के बहुत खूबसूरत नजारे दिखाई देते हैं। फागू का सारा क्षेत्र देवदार के वृक्षों से भरा हुआ है। वैसे फागू में देखने के लिए कुछ नहीं है लेकिन यहाँ से दिखाई देने वाले पहाड़ों के नजारे मन मोह लेते हैं।
हम फागू में होटल Apple Blossom में रूके जो हिमाचल प्रदेश पर्यटन की ओर से चलाया जाता हैं। फागू में रहने के लिए यह सबसे बेहतरीन होटल हैं। फागू बहुत ही शांत जगह है जो कुदरत की गोद में बसी हुई हैं।
मैं फागू दो बार गया हूँ, पिछली बार हम apple blossom में रूके थे | इस बार हम एक कैंप साईट में रुके थे | सेबों के बागों के बीच में बना हुआ यह कैम्प साईट बहुत खूबसूरत जगह पर बनी हुई थी | यह कैम्प साईट हिन्दुस्तान- तिब्बत रोड़ से थोड़ा हट कर फागू से आगे हाईवे से 3 किमी अंदर है| गांव भी 3 किमी दूर है।
हमनें यहां एक शाम गुजारी और पहाड़ों की फिजाओं का आनंद लिया। यहाँ से फागू, मशोबरा, कुफरी तक की पहाड़ियों के दर्शन होते है। रात का खाना कैम्प साईट में ही किया। सुबह ब्रेकफास्ट करने के बाद हम आगे की ओर बढ़ गए।
5. नारकंडा और हाटू पीक
दोसतों नरकंडा शिमला से 65 किमी दूर हिन्दूस्तान- तिब्बत रोड़ पर बसा हुआ एक खूबसूरत शहर हैं। जो लोग शिमला की भीड़ से तंग आ गए है और शिमला जैसा ही कोई खूबसूरत हिल स्टेशन ढूंढ रहे है तो नरकंडा उनके लिए सही जगह है। नरकंडा की ऊंचाई 2708 मीटर हैं। नरकंडा अपने खूबसूरत दृश्यों के लिये मशहूर हैं। यहाँ से हाटू पीक दिखाई देती हैं जो नरकंडा से 8 किमी दूर हैं। हम जब नरकंडा पहुंचे तो हमनें होटल में रूम लिया और हाटू पीक जाने का प्रोग्राम बनाया। हाटू पीक की ऊंचाई 3300 मीटर हैं। नारकंडा से हाटू पीक 8 किमी दूर है। आप हाटू पीक पैदल भी जा सकते हो, अपने वाहन जैसे गाड़ी या बाईक से भी जा सकते हो। हाटू पीक शिमला और किनौर के बीच में सबसे ऊंची जगह है। हाटू पीक में माता हाटूकेशवरी देवी का मंदिर बना हुआ है। हमनें भी अपनी गाड़ी निकाल ली हाटू पीक की ओर| नारकंडा से थोड़ी दूर जाकर हाईवे से हट कर थानेदार की तरफ मुडकर आगे बढे़ तो सामने एक संकरी सी सड़क ऊपर जाती हुई दिखाई दी| यही तंग और पत्ली रोड़ हाटू पीक कीओर जाती हैं। यहाँ अपनी गाड़ी पर जाने के लिए दिल होना चाहिए और पहाड़ों पर ड्राइविंग का तजुर्बा भी होना चाहिये। यह रोड़ इतना तंग है कि सामने से अगर कोई गाडी़ आ जाए तो करौस नही कर सकती दोनो गाड़ियां। हम बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहे थे, सामने से एक गाड़ी आ गई तो बडी़ मुश्किल से गाड़ी बैक करके उसको रास्ता दिया | नारकंडा से हाटू पीक तक रास्ते में बर्फ ही बर्फ थी | जब हम नारकंडा से 5 किमी दूर आ गए तो एक गाड़ी वाले ने हमें बताया आप अपनी गाड़ी को यही पार्क करके आगे पैदल ही जाऔ, कयोंकि आगे जाम भी लगा हुआ है और लोगों की गाडिय़ां भी बर्फ के ऊपर फिसल रही हैं। हमनें उस भले आदमी की बात मानकर गाडी़ साईड पर लगा दी| बाकी 3 किमी हमनें पैदल यात्रा करके हाटू पीक पर पहुंचे। यहां माता हाटूकेशवरी का भव्य मंदिर बना हुआ हैं जो पूरा लकड़ी से बना हुआ है| हमने मंदिर के दर्शन किए |
6. थानेदार- सेबों की धरती
थानेदार नारकंडा से 20 किमी और शिमला से 82 किमी दूर हैं। यहां बहुत अच्छी कवालटी के सेब होते हैं जैसे कि गोलडन डीलीसीयिस सेब। दोस्तों थानेदार को सेबों की धरती बनाने में एक अमरीकी का हाथ हैं | जिसका नाम है सतयान्द सटोकस|
सतयान्द सटोकस का पहला नाम सैमुअल सटोकस था | वह 1904 में अमरीका से भारत अधयातम की खोज में आया था| थानेदार में एक पहाड़ी किसान की तरह रहने लगा। उसे हिमाचल प्रदेश की संस्कृति इतनी पसंद आई उसने वैसटर्न कपडों को छोड़कर पहाड़ी रहन सहन अपना लिया| गांव की एक लड़की से शादी करके हिन्दू धर्म अपना कर नाम सतयान्द सटोकस रख लिया। उसने 1920 और 1930 के बीच आजादी की लडा़ई में भी हिस्सा लिया। वह गरीब किसानों की दशा सुधारना चाहता था | उसे पता था अंग्रेजों को सेबों से बहुत पयार हैं, इसलिए किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए उसने थानेदार में सेब की खेती शुरू करवाई। आज भी थानेदार में सटोकस का सेबों का फार्म बना हुआ है। हम थानेदार में सटोकस सेब फार्म देखने के लिए गए। यहां पर सतयान्द सटोकस का घर भी है जो 1912 का बना हुआ है। इस तीन मंजली घर को हारमोनी हाल कहते हैं।
7. तानी जुब्बर झील
तानी जुब्बर झील नारकंडा से 12 किमी और थानेदार से 8 किमी दूर हैं। यह जगह नारकंडा- थानेदार रोड़ से 2 किमी दूर हटकर हैं। यह झील अपने खूबसूरत दृश्यों से मन मोह लेती हैं। जब हम यहाँ पहुंचे थे तो झील पर कोई भी नहीं था। अभी भी यह खूबसूरत झील पर्यटकों से अछूती हैं। हम शाम को इस झील पर पहुंचे थे। झील के किनारे पर नाग देवता का एक मंदिर है जो उस समय बंद था। झील में दिखने वाला बादलों का प्रतिबिंब बहुत खूबसूरत लगता है| आप पोस्ट में डाली हुई फोटो में झील की खूबसूरती और झील में बादलों का प्रतिबिंब देख सकते हो। हमनें झील पर एक घंटा बिताया और शिमला की ओर वापसी कर दी।
इन जगहों को आप शिमला यात्रा पर देख सकते हो| आपको फागू, कुफरी, नारकंडा, मशोबरा, नालदेहरा आदि जगहों पर होटल मिल जाऐगे|