देश भर के ज्यादातर हिस्सों में मॉनसून ने दस्तक दे दी है। गरमागरम प्याज के पकौड़े और चाय के प्यालों के जरिए परिवारों में प्यार परोसा जा रहा है। हालांकि इस साल मॉनसून ने लोगों को काफी लंबा इंतजार करवाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी राज्य है जहां के 2 इलाकों में साल के लगभग बारहों महीने बरसात होती रहती है। जी हां, मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स में स्थित चेरापूंजी और मौसिनराम की प्राकृतिक बनावट ही कुछ ऐसी है कि 3 ओर से पहाड़ियों से घिरे इस इलाके में आने वाले बादल यहां आकर फंस जाते हैं। फिर बजाय हवा के साथ आगे बढ़ने के मजबूरन यहीं पर ज्यादातर पानी बरसा देते हैं। जिसके चलते चेरापुंजी और मौसिनराम में साल भर रिकॉर्ड बारिश होती रहती है। हालांकि पर्यटन के लिहाज से सितंबर से मई तक का महीना ही अनुकूल होता है। क्योंकि जून, जुलाई और अगस्त में यहां इतनी ज्यादा बारिश होती है कि सुरक्षा की दृष्टि से अधिकतर पर्यटन स्थलों को बंद ही कर दिया जाता है।
अब जरा यह सोचिए कि अगर 2 महीने की बारिश में आपके आसपास का इलाका आपको जन्नत लगने लगता है। तब चेरापूंजी और मौसिनराम का क्या ही नजारा होगा; जहां बादल साल के 12 महीने मेहरबान रहते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि मेघ-आलय यानी बादलों के घर में बसे इन दो जगहों पर यदि आपका घूमने का बड़ी जोर से मन हो रहा है, तो फिर आप कैसे सिर्फ 3 दिनों में इन 2 जगहों को जी-भरकर एक्सप्लोर कर सकते हैं। तो इसके लिए सबसे पहले आपको अपने शहर से ट्रेन या फिर फ्लाइट पर सवार होना होगा। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं तो फिर आपको गुवाहाटी रेलवे स्टेशन उतरना होगा। और यदि यात्रा हवाई मार्ग के जरिए कर रहे हैं तो फिर आपको शिलांग हवाई अड्डे तक यात्रा करनी होगी। उपर्युक्त दोनों ही स्थानों से चेरापूंजी तक का सफर आप राज्य परिवहन की बसों के जरिए बड़ी आसानी से पूरी कर लेंगे।
पहला दिन
चेरापूंजी में आने के बाद आपका सबसे पहला काम होना चाहिए अपने होटल में जाकर आराम करना। जी हां, सबसे पहले थोड़ा सुस्ता लीजिए और फिर पूरे जोश और जुनून के साथ अपने पहले दिन का सफर मौसमाई गुफा से शुरू कीजिए। चेरापूंजी से महज 5 किमी की दूरी पर स्थित मौसमाई गुफा सुबह 10 से शाम 6 बजे तक खुली रहती है। करीब 150 मीटर लंबी मौसमाई गुफा एक तरह की भूलभुलैया है, जिसमें में गुम होकर आप बचपन की खुशियों को पा लेने का आंनद ले सकते हैं। चुना पत्थर की इस गुफा से जब सूर्य की रोशनी टकराती है, तब आसपास एक बेहद ही अलौकिक किस्म के प्रकाश का पैर्टन बनता है। जिसे देखकर आपकी आंखें चौंधिया जाएंगी। और इसकी इसी खूबसूरती के चलते यहां सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं।
गुफा देखने के बाद अगला पड़ाव होगा सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल। जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है कि यहां 7 झरने एक साथ पहाड़ से करीब 1000 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरते हैं। और इस भव्य दृश्य को नंगी आंखों से देखने के बाद आपकी नजरें इन पर एकदम से अटक जाती है। आप चाहे तो इन्हें बगैर बोर हुए घंटों निहार सकते हैं। लेकिन हम यहां से आगे बढ़ेंगे। और जाएंगे एक और वाटरफॉल की ओर। जिसका नाम है नोहकलिकाई वाटरफॉल। और इसकी गिनती भारत का सबसे ऊंचे वाटरफॉल में होती है। पहाड़ी की चोटी से करीब 1100 फीट की ऊंचाई से गिरते इस झरने को मेघालय राज्य के गौरव का तमगा हासिल है।
एक गुफा और दो झरने देखने के बाद हम दिन के तीसरे पहर यानी संध्या के समय को चेरापूंजी के स्थानीय मार्केट में बिताएंगे। चारों ओर फैली हरियाली, हर दिशा से बहकर आती ठंडी हवाएं और आसमान में सूरज की शीतल किरणों के संगम से सरोबार चेरा बाजार ऐसा प्रतीत होता है मानों यह धरती का नहीं बल्कि स्वर्ग का हिस्सा हो। दिन भर नयन सुख लेकर मन और आत्मा को तृप्त करने के बाद पेट का ख्याल भी तो रखना है। इसलिए यहां आप स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं। इतना ही नहीं तो चेरापूंजी की यादों को अपने साथ हमेशा के लिए संजोकर रखने की चाहत हो तो फिर शॉपिंग का आइडिया भी बुरा नहीं है। स्थानीय लोगों की हाथों से बना हुआ ऐसा बहुत कुछ है; जिनकी खूबसूरती पर आपका ऐसा मन ललचाएगा कि आप खरीदे बिना रह नहीं पाएंगे।
एक दिन में इतना सब कुछ एक्सप्लोर करने के बाद आपका शरीर इतना थक जाएगा कि आपके अंदर से 'अब बस आराम करना है' आवाज गूँजने लग जाएगी। इसलिए पहले दिन के सफर को होटल में लौटकर खत्म करना ही सही होगा। ताकि एक अच्छी नींद के साथ शरीर की बैटरी को अगले दिन के एडवेंचर के लिए दोबारा 100% रिचार्ज किया जा सके।
दूसरा दिन
दूसरे दिन की शुरुआत आप एक शानदार स्थानीय नाश्ते के साथ कर सकते हैं। क्योंकि इस सफर के अगले पड़ाव के लिए हम जहां जाने वाले हैं उसके लिए बहुत ज्यादा एनर्जी की जरुरत पड़ने वाली है। चेरापूंजी से आज हम जाएंगे नॉनग्रिएट गांव। यहां आपको मानव और प्रकृति के साझा प्रयास से निर्मित दुनिया की सबसे खूबसूरत संरचनाओं में शामिल 'डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज' के दर्शन होंगे। 50 मीटर लंबे और 5 मीटर चौड़े इस ब्रिज तक पहुंचने के लिए आपको कुछ 3500-4000 कदम चलने पड़ते हैं। बेस विलेज़ नॉन-ग्रिएट से लेकर उमशियांग नदी पर बने इस नायाब संरचना तक जाने का रास्ता बहुत ज्यादा मुश्किल जरूर है लेकिन अगर आप एडवेंचर का शौक रखते है, तो फिर आपके लिए सफर जीवनभर के लिए यादगार रहने वाला है।
अब तक कि थकान को मिटाने और आगे के सफर के लिए जरुरी ऊर्जा को जुटाने के लिए आप डबल डेकर लिविंग रूट के आंगन में बैठकर भरपेट खाना खा लें। इसके बाद हमारा अगला पड़ाव भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप का सबसे स्वच्छ गांव मॉलिननोंग (Mawlynnong) होगा। यह इतना ज्यादा सुंदर है कि इसे God's Own Garden भी कहा जाता है। डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज से इस गांव तक का सफर दूरी के हिसाब से तो लंबा रहने वाला है। लेकिन सड़क के दोनों तरफ के नजारे ऐसे होंगे कि आप कब उन्हें निहारते-निराहते अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे, आपको इसकी भनक तक नहीं लगेगी। रास्ते में आप का राब्ता Mawkdok Dympep Valley से भी होगा। यहां कुछ देर ठहकर आप काले घने बादलों की बरसात, बारिश के पानी से सरोबार हरे-भरे पहाड़ और पहाड़ों के हर एक सिरे से बहते झरनों की खूबसूरती समेटे मेघालय की वाइब को अपनी बाहों में भर सकते हैं। वैसे मन तो नहीं मानेगा लेकिन आगे का सफर जारी रखने की मजबूरी में मन मारकर यहां से निकलना ही होगा।
एक बेहद लंबे लेकिन उतने ही मनमोहक नजारों से भरे सफर के बाद हम आखिरकार एशिया के सबसे स्वच्छ गांव मॉलिननोंग (Mawlynnong) पहुंच जाएंगे। यह गांव ना सिर्फ अपनी साफ-सफाई के लिए बल्कि प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी उतना ही मशहूर है। यहां आप अनगिनत झरनों में नहाने, ट्रेकिंग करने, लिविंग रूट ब्रिज पर चलने और डॉकी नदी में नहाने का आनंद उठा सकते हैं। वैसे घूमने का मतलब सिर्फ किसी जगह को देखना भर ही नहीं होता। हम जहां गए हैं, वहां रहने वाले लोगों के जनजीवन को जानना और समझना भी घूमने का ही एक अहम हिस्सा है। इस गांव में यहां के लोगों के साथ संवाद करना आपके जीवन का कभी न भुलाए जा सकने वाला लम्हा बन जाएगा। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि भारत के बाकी हिस्सों के उलट यहां का समाज स्त्रीप्रधान है। यहां बच्चों को पिता की बजाय मां का नाम मिलता है और एक समय तक खानदान की संपत्ति भी घर की सबसे बेटी को ही दी जाती थी।
तो एशिया के सबसे साफ और सुंदर गांव मॉलिननोंग (Mawlynnong) की प्राकृतिक खूबसूरती को देखने और सामाजिक संस्कृति को समझने के बाद हम फिर अपने गंतव्य स्थल चेरापूंजी की ओर अपने होटल में लौट आएंगे। क्योंकि दूसरे दिन की सारी थकावट को मिटाने और तीसरे दिन के सफर की खातिर उत्साह को जगाने के लिए एक अच्छी नींद भी लेना भी जरुरी है।
तीसरा दिन
आज सुबह हम सूरज के निकलने के साथ ही निकल जाएंगे उस इलाके की ओर जिसने अत्यधिक बारिश के मामले में चेरापूंजी तक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं हमारे दूसरे डेस्टिनेशन यानी मौसिनराम की। चेरापुंजी से मौसिनराम की दूरी करीब 80 किमी है। बहती हवाओं की ढेर सारी बकबक को सुनते और बारिश से बातचीत करते हुए आप 2 से 3 घंटों में यह फासला एंजॉय करते हुए तय कर लेंगे।
एक बार जब आप ईस्ट खासी हिल्स पर बसे इस जगह पर पहुंच जाए, तो कुछ भी घूमने से पहले पूरे इलाके को पैदल ही नापकर जान समझ ले। क्योंकि यहां के घर-मकान, यहां का रहन-सहन, बाजार में कुछ खाने और कुछ खरीदने के लिए जमी भीड़, स्कूल से छूटकर घर जाते नन्हें-मुन्ने बच्चों की किलकारियां, मैदान में स्थानीय खेलकूद करते लड़के-लड़कियां और अपना-अपना परिवार पालने के लिए काम पर निकले लोग... इन सबको देखना भी इस इलाके को ढंग से घूमने के प्रोसेस में बेहद जरुरी है। इस जगह को जी-भरकर जी लेने के बाद आपके पास यहां टूरिस्ट प्लेस एक्सप्लोर करने लायक कई ऑप्शन होंगे।
तो सबसे पहले हम जाएंगे Mawjymbuin Caves. मौसिनराम बस स्टेशन से महज 2.5 किमी की दूरी पर स्थित यह गुफा यहां के सबसे फेवरेट डेस्टिनेशन में से एक है। इसका कारण इस गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग का होना है। कैलकेरियस बलुआ पत्थर से बनी यह गुफा 209 मीटर ऊंची है। और सदियों से कैल्शियम कार्बोनेट जमा करने वाले खनिज युक्त पानी के निरंतर प्रवाह के चलते यहां स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स का निर्माण हो गया। जिसकी संरचना अमरनाथ गुफा के शिवलिंग की जैसी है। इस गुफा की यही खासियत हर साल अपने यहां आने वाले पर्यटकों का संख्या में इजाफा कर रही है।
इसके बाद हमारा अगला पड़ाव होगा क्रेम पुरी गुफा। सच कहूं तो यह गुफा किसी भूलभुलैया से कम नहीं है। अपने अजीबोगरीब स्ट्रक्चर के चलते इस गुफा में एक बार जाने के बाद दोबारा आसानी से निकल पाना कई बार बड़ा मुश्किल हो जाता है। लेकिन जिन लोगों को खतरों से खेलना पसंद है, उनके लिए तो बड़ी ही बढ़िया जगह है। इसकी खोज अभी 7-8 साल पहले ही वैज्ञानिकों की एक टीम ने की थी। और उन्होंने इसे बलुआ पत्थरों की सबसे लंबी गुफा बताया था। करीब 25 किमी लंबी क्रेम पुरी गुफा मौसिनराम के करीब 13 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है। यहां आप रोमांच के एक अलग ही स्तर को महसूस कर सकते हैं।
अपने इस सफर के अंतिम पड़ाव पर जब हमें शांति और सुकून से भर देने वाली जगह की जरूरत महसूस होगी। तब हम इस जरूरत को पूरी करने वाली जगह यानी मावलिंगबना की ओर चल देंगे। मौसिनराम से यही कुछ 15 किमी दूर मवलिंगबना अपनी खूबसूरती से आपकी सारी थकावट दूर कर देगा। यहां ऐसा कुछ देखने के लिए नहीं मिलेगा जो आपने अब तक के सफर में न देखा हो। लेकिन फर्क इतना होगा कि अब तक जो सारी चीजें आपने भागते-दौड़ते कीं, यहां वो सब कुछ आप एकदम इत्मीनान के साथ कर सकेंगे। यहां आप उम्खाकोई झील में तैराकी, कायाकिंग और मछली पकड़ सकते हैं। इतना ही नहीं तो ओस्लो झरना, उमदिकेन झरना, और रियात रियाम खासाव झरना देखने का भी लुत्फ उठाया जा सकता है। समय को ध्यान में रखते हुए दोबारा मौसिनराम लौट जाएंगे। और फिर यहां भी अपनी जरूरत के अनुसार पर रात की रोशनी में इलाके के मुख्य बाज़ार में कुछ खाते तो कुछ खरीदते हुए अपने इस सफर को अलविदा कह सकते हैं।
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