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Tripoto पर टरैवल आर्टीकल लिखकर Tripoto फैमिली मैंबर को पुवांईट मिलते हैं जिनका ईसतमाल आप Tripoto Mindful Retreats को बुक कर सकते हैं वह भी पूरा 100 % | ऐसे ही मैंने 10 फरवरी 2024 दिन शनिवार को Tripoto के माध्यम से राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में प्रसिद्ध मंडावा कोठी में चार लोग ( मैं, मेरी वाईफ, मेरे मम्मी पापा) की एक दिन के पैकेज को बुक कर दिया | हमारे साथ मेरी साढ़े तीन साल की बेटी भी थी लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चे के लिए फ्री एंट्री है | दोस्तों राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में मंडावा कोठी एक 4 स्टार प्रापर्ट है जो हैरीटेज के साथ साथ आधुनिक सुविधाओं को भी प्रदान करती है| वैसे मंडावा कोठी में एक दिन का पैकेज 4899 रुपये का है जिसमें आपको 24 घंटे का स्टे दोपहर 12 बजे से लेकर अगले दिन 12 बजे तक के साथ एक लंच, डिनर और एक ब्रेकफास्ट मिलता है| इसके अलावा मंडावा की हवेलियों के लिए एक गाईड टूर भी मिलता है| मैंने Tripoto से अपने 4898 पुवांईट खर्च करके 19592 रुपये में मंडावा कोठी में 4 लोगों के लिए एक दिन का पैकेज बुक कर लिया| एक पुवांईट चार रुपये के बराबर है | यह सारी राशि मैंने Tripoto से ही प्राप्त की थी जिसको मंडावा कोठी पैकेज बुक करने के लिए ईसतमाल किया है| इससे पहले ही भी मैं Tripoto के माध्यम से सिंगापुर, बाली इंडोनेशिया, गोवा आदि यात्रा कर चुका हूँ| यह मेरी चौथी यात्रा थी Tripoto के साथ| Tripoto टरैवल लेखकों के लिए एक अच्छी एप है जहाँ पर आप अपने टरैवल आर्टीकल लिख कर क्रैडिट इकट्ठा करके कोई टरैवल पैकेज बुक कर सकते हो|
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हम पंजाब में अपने घर से 9 फरवरी 2024 को सुबह 9.30 बजे अपनी गाड़ी से निकले थे| अपने शहर बाघा पुराना से चलकर निहाल सिंह वाला, बरनाला, मानसा होते हुए हमने हरियाणा के फतेहाबाद में प्रवेश किया| वहाँ से गाड़ी चलाते हुए अमरोहा, हिसार आदि शहरों को पार करने के बाद हम शाम तक राजस्थान में पहुंच जाते हैं| राजस्थान में चुरु, फतेहपुर आदि जगहों को पार करने के बाद हम रात के आठ बजे के आसपास सालासर धाम पहुंचते है| 9 फरवरी की रात को सालासर धाम में ही रुकते है| 9 बजे से पहले ही हम सालासर धाम में दर्शन कर लेते हैं| रात का खाना खाने के बाद सालासर धाम में ही रुम लेकर आराम करते हैं|
अगले दिन 10 फरवरी 2024 को सुबह उठकर तैयार होकर 10 बजे के आसपास हम सालासर धाम से मंडावा कोठी की ओर चल पड़ते हैं जिसकी दूरी मात्र 65 किमी थी| रास्ते में फतेहपुर के पास एक ढाबे पर मैंने अपनी गाड़ी रोक ली ब्रेकफास्ट करने के लिए| हमने चार आलू के परांठे, दही और चार कप चाय मंगवाया| अपनी बेटी नवकिरन के लिए एक गिलास दूध आर्डर कर दिया| राजस्थान में आपको खाने में मिर्ची बहुत तेज़ मिलेगी| हमारे परांठे भी बहुत सवादिस्स्ट थे लेकिन मिर्ची तेज थी| खैर परांठे चाय आदि निपटा कर हम दुबारा अपनी गाड़ी में बैठ कर मंडावा कोठी की ओर रवाना हो जाते हैं| दोपहर के 12 बजे से पांच मिनट पहले हम मंडावा कोठी के बाहर पहुंच जाते हैं|
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मंडावा कोठी पहुंच कर हमने उसके बाहर ही गाड़ी पार्क कर दी| कुछ सीढ़ियों को चढ़ कर हमने मंडावा कोठी के दरवाजे पर दसतक दी| मंडावा कोठी वालों ने भी गरम जोशी से हमारा सवागत किया| मंडावा कोठी के Reception पर जाकर मैंने अपना नाम बताया और Tripoto के माध्यम से की हुई बुकिंग की बात की | फिर मैंने रजिस्टर पर अपना नाम पता आधार कार्ड नंबर आदि लिख दिया| हम पांच लोगों के लिए दो रूम बुक थे| मंडावा कोठी में कुल 11 कमरे हैं जहाँ टूरिस्ट रहने के लिए आते है| हमें कमरा नंबर 10 और 11 रहने के लिए दिया गया| मंडावा कोठी के एक कर्मचारी ने गाड़ी से हमारा सामान उठाकर हमारे रुम में लेकर जाने के लिए हमारी मदद की| मंडावा कोठी के भीतरी दरवाजे को पार करते हुए मंडावा हवेली को देखते हुए हम मंडावा कोठी के गार्डन में पहुंचते है| यहाँ एक छोटे से सविमिंग पूल के साथ बने हुए कमरा नंबर 10 में पहुंचते है| थोड़ी देर बैठने के बाद हमें चाय कौफी पूछा जाता है तो हम चार कप कौफी बोल देते हैं| कौफी पीने के बाद हमें लंच के लिए बोला जाता है| अभी टाईम दोपहर के साढ़े बारह बजे थे तो हमने लंच के लिए दोपहर दो बजे बोल दिया| लंच में हमें दाल, दही बैंगन, चावल, सलाद, चिकन, चपाती और छाछ दी गई| हमने दोपहर दो बजे मंडावा कोठी में शानदार लंच का आनंद लिया|
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लंच करने के बाद हमें मंडावा कोठी वालों ने बताया कि आपके पैकेज में आपको एक गाईड टूर मिलेगा जो आपको मंडावा की खूबसूरत हवेलियों की एक पैदल हैरीटेज वाक पर लेकर जाऐगा| यह गाईड टूर शाम को चार बजे से लेकर छह बजे तक था| लंच के बाद ढाई बजे से लेकर चार बजे तक हम अपने कमरे में आराम करने के लिए चले गए| चार बजे हम गाईड के साथ मंडावा की हवेलियों को देखने के लिए चल पड़े| गाईड ने हमें बताया कि पूरे मंडावा में कुल 98 हवेलियाँ बनी हुई है जिसमें से सिर्फ सात आठ हवेलियाँ ही टूरिस्टों के लिए खुली हुई है| कुछ हवेलियाँ तो बंद है और कुछ हवेलियों में लोग रहते हैं| मंडावा कोठी से बाहर निकल कर जैसे ही हम गाईड के साथ चलने लगे तो उसने बताया कि मंडावा कोठी का जो बाहर दिखाई देता हुआ बड़ा दरवाजा है उसको बालीवुड मूवी बजरंगी भाईजान में एक मस्जिद के रूप में दिखाया गया है जिसकी चौखट के बाहर सलमान खान बैठता है| फिर हमें गाईड ने वह रास्ता दिखाया जहाँ पर आमिर खान की पी के मूवी में बाज़ार दिखाया गया था| गलियों में चलते चलते कुछ बंद पड़ी हवेलियों को बाहर देखते हुए हम थलिया हवेली के बाहर पहुंचते है | हवेली में प्रवेश करने के लिए हमने 100 रुपये प्रति व्यक्ति टिकट खरीदा| फिर हमारे गाईड ने हमें हवेली में बनी हुई बैठक दिखाई जहाँ पर बैठ कर सेठ बाहर से आने वाले वयापारियों से बातचीत करते थे| फिर हमने पूरी हवेली को देखा | हवेली के अलग अलग कमरे, रसोई, बैडरूम आदि| इस हवेली में पुराने जमाने के सामान को संभाल कर रखा गया है जिसको देखकर हमें पुराने जमाने की जीवनशैली की झलक देखने के लिए मिलती है| आखिर में हम थलिया हवेली की छत पर चढ़ जाते हैं जहाँ से मंडावा का किला और बहुत सारी हवेलियों के खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं| इस हवेली को देखने के बाद रास्ते में कुछ और हवेलियों को बाहर से देखने के बाद हम वापस मंडावा कोठी में आ जाते हैं|
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शाम के साढ़े छह बजे हम गाईड के साथ मंडावा कोठी में वापस आ जाते हैं| अब थोड़ा अंधेरा होना शुरू हो जाता है| हम मंडावा कोठी के गार्डन में ही बैठ जाते हैं जहाँ पर बैठने के लिए खूबसूरत टेबल और कुरसी लगी हुई थी| अब थोड़ी ठंड भी बढ़ रही थी तो मंडावा कोठी के कर्मचारी बोन फाईर का प्रबंध कर देते हैं| हम अपनी फैमिली के साथ वहीं बैठकर गपशप करने लग जाते हैं| शाम के सात बजे जाते हैं और हम अपने डिनर का आर्डर कर देते हैं | रातरात के अंधेरे में मंडावा कोठी और खूबसूरत लग रही थी| लाईसेंस जग रही थी | रात को साढ़े आठ बजे हमें डिनर के लिए बुला लिया जाता है| डिनर में हमें कढाई पनीर, दाल, चावल, सलाद और राजस्थान की मशहूर नान वैज डिश लाल मास (मटन) परोसा जाता है| जायकेदार डिनर का आनंद लेने के बाद हम अपने कमरों में चले जाते है|
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मंडावा कोठी तकरीबन 200 साल पुरानी है| पहले यह एक हवेली थी जिसको अब कोठी में तब्दील कर दिया गया है| इस खूबसूरत कोठी का निर्माण सेठ केदार मल लाडिया ने किया था| सेठ जी ने इस कोठी का निर्माण अपनी बेटियों की शादी में बारात को ठहराने और उनके सेवा पानी के लिए किया था| सेठ केदार मल की तस्वीर अभी भी मंडावा कोठी की रिसेप्शन पर लगी हुई है| आज मंडावा कोठी में रहने के लिए बहुत सारे टूरिस्ट देश विदेश से आते रहते हैं|
अगले दिन 11 फरवरी 2024 दिन रविवार को हम सुबह उठे | नहा धोकर तैयार होकर हमने अपना सामान पैक कर लिया| सुबह के ब्रेकफास्ट का समय सात बजे से लेकर 10 बजे तक था| हम सुबह 9 बजे ब्रेकफास्ट करने के लिए पहुंचे| ब्रेकफास्ट में फल फ्रूट, दूध, चाय, कौफी, ब्रैंड जैम, आलू के परांठे, दही, मक्खन, जूस आदि शामिल थे| हमने आराम से बैठकर अपना ब्रेकफास्ट किया| मंडावा कोठी में एक दिन का शानदार पैकेज पूरा करने के बाद हम सुबह दस बजे के आसपास घर वापसी के लिए चल पड़े|
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