यह मेरा पहला अनुभव है काफी टाइम कोशिश की कि अपने यात्रा के अनुभव को शब्दों में पिरोहा जाए लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं की कभी इतना सोचा ही नहीं फिर आज बैठा तो सोचा कि क्यों ना कुछ लिखा जाए अपने अनुभव के बारे में... तो यह समय था मार्च 2017 की... हम दो दोस्त बैठे हुए थे कांगड़ा विलेज मैं अपने दोस्त के गांव जो कि हिमाचल में है मेरा दोस्त जो कि फौज में है हम उसके गांव घूमने गए थे हम उनके नाना के साथ बैठे हुए थे उसके नाना अपनी कहानियां किस्से सुना रहे थे, और हम समाचार देख रहे थे समाचार में खबर देखी की मनाली में बहुत ज्यादा बर्प्फ़ बारी होने वाली है तो फिर क्या था मेरे दिमाग मे अचानक से सवाल आया और मे और मैं उछल कर पूछ बैठा की कांगड़ा से मनाली कितनी दूर है तो उसके नाना का जवाब आया 200-250 किलोमीटर दूर होगा फिर क्या फिर रात को दोस्त के प्रोग्राम बनाया कि हमें कल सुबह सुबह निकलना है मनाली के लिये,
अगली सुबह हम निकल पड़े हैं मनाली के लिए मन में बर्फबारी देखने की जिज्ञासा लेते हुए चम चमाती आंखों के साथ, लेकिन कांगड़ा से निकले तो पता चला कि वहां से कोई डायरेक्ट बस है ही नहीं फिर क्या था काफी देर इधर-उधर भागते रहे फिर एक मैक्स वाले से लिफ्ट लेकर पालमपुर पहुंचे, वहां जाकर पता चला कि मनाली के लिए बस रात को निकलेगी थोड़ा मन उदास हो गया कि पूरा दिन हमें यहां पालमपुर में ही बिताना पड़ेगा, फिर हमने वहां पूछा कि यहां आसपास घूमने की जगह तो लोगों ने बताया दो-तीन जगह तो हम लोग वहां बैजनाथ मंदिर गए उसके बाद वहां से थोड़ा सा दूर बीर बिलिंग है जो कि बहुत ही अच्छी एडवेंचर जगह है जैसे तैसे करके हमने पूरा दिन काटा पूरे दिन बारिश होती रही वहां की यादें सिर्फ हमारी आंखों में ही है कैमरे में कैद नहीं कर पाए क्योंकि बारिश बहुत तेज हो रही थी जैसे तैसे दिन भी बीत गया फिर शाम को हम बैठ गए बस पर जो कि सुबह 4:00 बजे मनाली पहुंच गई बस से उतरे तो हमारे पैर और हाथ जमे के जमे रह गए हम किसी भी प्लानिंग के साथ नहीं गए थे और वहां का टेंपरेचर उस टाइम पर माइनस डिग्री था और हमने एक जींस और एक टी-शर्ट उसके ऊपर नॉर्मल जैकेट पहनी हुई थी समय सुबह के 4:00 बज रहे थे हमारी कोई होटल की बुकिंग नहीं थी कहीं कोई रहने का ठिकाना नहीं था तो फिर हम काफी इधर उधर दरबदर भटके जैसे तैसे हमने एक रूम किराए पर लिया थोड़ी देर वहां आराम किया फिर 6:30 बजे के आसपास मैं उठा मेरा दोस्त सोया हुआ था उठने के बाद मैं अपने कमरे से बाहर गया बाहर जाते ही जो देखा और देखता ही रह गया वह नजारा चारों तरफ बर्फ बर्फ 2 फुट तक बर्फ गिरी हुई है कहीं भी कोई समतल जगह नहीं दिखी फिर क्या था भागता हुआ अपने दोस्त को उठाया और कहा चल चल खड़ा हो जल्दी चल देख बाहर क्या है वह बोला पागल सोने दे मेरे को जैसे तैसे उसे जगा कर बाहर ले गया और बाहर जाते ही उसके होश उड़े के उड़े रह गए आप लोग सोच रहे होंगे कि यह कैसे लोग हैं जो इतने पागल हो रहे हैं बर्फ देखने के लिए लेकिन यह हमारा पहला मौका था कि हम बर्फ देख रहे थे लाइव स्नोफॉल हो रहा था फिर क्या था हमने उठाया फोन और अपने घर वालों को वीडियो कॉल करनी स्टार्ट कर दी दोस्तों को वीडियो को कॉल करनी स्टार्ट कर दी यह देखो हम कहां है उनको दिखाने के लिए और उन को चिढ़ाने के लिए जिन्होंने हमारे साथ जाने के लिए मना किया था....
फिर हम लोग निकल गए का गाड़ियां चल नहीं रही थी तो हम लोग पैदल पैदल घूमने निकल गए बर्फबारी में खूब मस्ती की खूब कुदा फानी, की खूब बर्फ उड़ाया एक दूसरे को बर्फ के गोले मारे यह सारा एक जैसा सपने जैसा लग रहा था कि हम क्या देख रहे हैं क्या देख....
बस यही अनुभव था काफी बातें जो लिख नहीं पाया काफी बातें जो दिमाग से निकल गई बस जो नहीं निकली तो पहली बार बर्फ देखने का जो अनुभव था वह जिंदगी भर याद रहेगा...