फोटो में यह जो मंदिर दिखाई दे रहा हैं ,यह मंदिर मनाली से करीब दो-तीन किलोमीटर दूर स्थित हैं। नाम हैं वशिष्ठ मंदिर। टेक्सी स्टेण्ड से ही आप टैक्सी या ऑटो में यहाँ जा सकते हैं। पुराने मनाली के आसपास ही पड़ता यह मंदिर 'वशिष्ठ' नाम के गाँव में स्थित हैं।गुरु वशिष्ठ भगवान राम के कुलगुरु थे और उन्ही से जुडी कुछ कहानियों से यहाँ के मंदिर को जोड़ा जाता हैं।
यह मंदिर छोटी -छोटी सकंरी गलियों की चढ़ाई चढ़ने के बाद आता हैं। मंदिर के बाहर अपने हाथ में सफ़ेद जीव लिए कुछ लोग भी मिलते हैं ,यह जीव लम्बे गहरे बालों वाला खरगोश होता हैं। आप कुछ रूपये के बदले में इन खरगोश के साथ कुछ फोटोज खींचा सकते हैं। इसके बाद आप जब मंदिर क्षेत्र में पहुंचते हैं तो यहाँ दो मंदिर पाते हैं। जिनमें से एक मंदिर वशिष्ठ मंदिर एवं दूसरा भगवान राम का मंदिर हैं। दोनों मंदिरों पर लकड़ी की उत्कृष्ट कलाकारी और नक्काशी देखकर आप इनकी खूबसूरती के दीवाने हो जायेंगे।मंदिर में प्रवेश करेंगे तो गुरु वशिष्ठ की काले रंग की मूर्ति के दर्शन आप पाएंगे। मंदिर के साथ ही गर्म पानी के कुंड हैं। माना जाता हैं इनमें नहाने से कई चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
यह मंदिर 4000 साल पुराना माना जाता हैं। ब्यास नदी के किनारे स्थित यह मंदिर दोपहर की एक से चार बजे तक बंद रहता हैं। यहाँ आसपास कई रेस्तरां ,कैफे और गेस्ट हाउस भी हैं।इस गाँव में आपको हर तरह का खाना खाने को मिल जाएगा।अगर आपके पास करीब चार से पांच घंटे एक्स्ट्रा हैं तो आप यही से एक ट्रेक शुरू कर सकते हैं जो एक झरने पर जा कर खत्म होता हैं। इस ट्रेक को जोगिनी वॉटरफॉल ट्रेक कहते हैं।मैं इस ट्रेक पर भी गया था और वाकई इसका अनुभव शानदार था।मेरी सलाह हैं कि मंदिर तक अगर आप आये हो तो कुछ घंटे अलग निकाल कर इस ट्रेक को जरूर करके आये।
कैसे पहुंचे : नजदीकी हवाई अड्डा भुंतर हवाईअड्डा,कुल्लू हैं। मनाली से डायरेक्ट रेल लाइन नहीं जुडी हुई हैं लेकिन दिल्ली और चंडीगढ़ से यहाँ तक के लिए रोज काफी बसें मिल जाती हैं।
-ऋषभ भरावा