पार्वती घाटी: सैलानियों की इस पसंदीदा जगह में छिपी हैं कई कहानियाँ

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Photo of पार्वती घाटी: सैलानियों की इस पसंदीदा जगह में छिपी हैं कई कहानियाँ by Aastha Raj

युवाओं के लिए हिमाचल प्रदेश छुट्टियाँ मनाने कि सबसे बेहतरीन जगह मानी जाता है और पार्वती घाटी उनमें सबसे मशहूर है।

भारत के एम्स्टर्डेम के नाम से मशहूर यह घाटी वहाँ उपजने वाली चरस(हशीश) के लिए काफी प्रख्यात है, पर क्या आप जानते हैं कि इसके अलावा पार्वती घाटी कई किस्से और कहानियों के लिए भी मशहूर हैं जिसमें यह कहा जाता है कि इस घाटी में भगवान का वास है? आज मैं आपको उन किस्सों के बारें में बताती हूँ जो इस रहस्यमय पार्वती घाटी को और भी रोचक बनाते हैं।

घाटी को क्यों कहा जाता है “पार्वती घाटी”?

Photo of पार्वती वैली, Khir Ganga, Himachal Pradesh, India by Aastha Raj

माना जाता है कि भगवान शिव 3000 साल पहले इसी घाटी में ध्यान करते थे। नागा साधू के रूप में नग्न होकर शिव ने इसी घाटी में ध्यान किया था। कई मौसम आए और गए, तभी एक दिन भगवान शिव अपने ध्यान से बाहर आए और इस पर्वत की खूबसूरती को देखा। बिना किसी कारीगारी के भी यह घाटी बहुत ही आकर्षक थी, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी के नाम पर इस घाटी का नाम पार्वती घाटी रख दिया।

मणिकरण की कहानी

ऐसा माना जाता है कि जब शिव और पार्वती दोनों इस घाटी में वास कर रहे थे तब पार्वती ने एक नहर में अपनी मणि खो दी थी। मणि के खो जाने पर देवी पार्वती ने भगवान शिव से मणि की खोज करने की प्रार्थना की और शिव ने अपने भक्तों को आदेश दिया कि वे देवी पार्वती की मणि ढूंढ कर लाएँ। जब शिव के भक्तगण इस काम में असफल रहे तब शिव क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया जिससे पुरे ब्रहमांड में हाहाकार मच गया। शिव के क्रोध को शांत करने के लिए नागों के देवता शेषनाग से विनती की गयी। शेषनाग के फन से उबलती हुई पानी की ज्वाला उठी और चारों तरफ फैल गयी। माना जाता है कि इस ज्वाला से वैसी ही मणि निकली जैसी देवी पार्वती ने खो दी थी। मणिकरण नाम यहीं से आता है।

किस्सा जब गुरु नानक मणिकरण पहुँचे

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सिख कहानियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि तीसरी उदासी के दौरान जब सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक अपने शिष्य भाई मरदाना के साथ घाटी पहुँचे तब उनके शिष्य को भूख लगी, पर उनके पास खाना नहीं था। गुरु नानक ने तब मरदाना को पास के लंगर से आटा ले कर आने को कहा। मरदाना आटा तो ले आया, उसने रोटियाँ भी बेली, पर खाना पकाने के लिए उनके पास आग नहीं थी। तब गुरु नानक ने मरदाना को एक पत्थर उठाने को कहा जहाँ से गर्म पानी की धारा बहती मिली। गुरु नानक के आदेश अनुसार मरदाना ने रोटियों को उस गर्म पानी की धारा में डाल दिया पर वो रोटियाँ उस धारा में बहती चली गईं।

गुरु नानक ने तब अपने शिष्य को इश्वर से प्रार्थना करने को कहा कि अगर ये रोटियाँ पानी के ऊपर तैरती रहीं तो वह एक रोटी दान कर देगा। जब शिष्य ने प्रार्थना की तब रोटियाँ पानी में तैरने लगीं और पक गईं, तब गुरु नानक ने ये निष्कर्ष निकाला कि जो भी ईश्वर का नाम लेकर कुछ भी दान करेगा उसे वह वापस ज़रूर मिलेगा।

खीरगंगा की कहानी

श्रेय: निखिल शर्मा

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युगों पहले शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिके हज़ारों वर्षों के लिए इस घाटी में ध्यान पर बैठे थे। महान ज्ञानियों के अनुसार जब कार्तिके इस घाटी में ध्यान कर रहे थे तब शिव और पार्वती कई बार उनसे मिलने आते थे और देवी पार्वती उनके लिए खीर बना कर लाती थी जिसकी वजह से पार्वती नदी का रंग स्लेटी है।

मलाना की अनकही कहानी

माना जाता है कि मलाना गाँव के वासी एलेग्जेंडर द ग्रेट के निर्वासित सैनिकों के वंशज हैं पर एक यह भी मान्यता है की उनकी जड़े कहीं ना कहीं हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ी हैं। वे देवता, जम्लू ऋषि को मानते हैं। माना जाता है कि पुराणों में बताए गए साधू-संत पहले यहाँ रहते थे और उन्होंने यहाँ लोकतंत्र की स्थापना की थी जो आज भी चली आ रही है।

Photo of मलाणा, Himachal Pradesh, India by Aastha Raj

इन कहानियों को छिपाए पार्वती घाटी आज अपनी खूबसूरती से सभी सैलानियों का दिल जीत रही है। क्या आपको भी वहाँ से जुड़ी कोई अनोखी कहानी के बारे में पता है?

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