इतिहास हमें बताता है कि शक्तिशाली लोग शक्तिशाली स्थानों से आते हैं। लेकिन इतिहास गलत है; क्योंकि शक्तिशाली लोग स्थानों को शक्तिशाली बनाते हैं। हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज उपर्युक्त कही बात का सबसे उपयुक्त उदाहरण हैं। जिन्होंने अपना समस्त जीवन अपने चमत्कारिक शौर्य और अद्भुत सूझबूझ के दम पर भारत भूमि की बाहरी आक्रमणकारियों से रक्षा करने के लिए न्यौछावर कर दिया। हम सभी के लिए जरूरी है कि हम घूमने-फिरने के शौक पूरे करने के दौरान अपने उन सभी महापुरुषों के जीवन से जुड़ी जगहों को भी देखें-जानें और समझें; जिनके होने की वजह से ही आज हमारा अस्तित्व है। तो इस कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि अगर आप महाराष्ट्र में हैं, तो कैसे हमारे मातृ भूमि की आन-बान-शान को पुरजोर तरीके से पुनः प्रतिस्थापित करने वाले परम प्रतापि और पूज्यनीय छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली 'शिवनेरी किला' का दर्शन कर सकते हैं।
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्मस्थान 'शिवनेरी किला' महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे के जुन्नर नामक इलाके में स्थित है। इस किले का आकार शिवलिंग की तरह है। और इसका यही चारों ओर से ढलान जैसा आकार सुरक्षा के लिहाज से इस किले को अभेद्य बनाता है। सुरक्षा के लिहाज से इसके अभेद्य होने के कारण ही शिवाजी महाराज के जन्म के लिए उनके पिताजी शाहजी महाराज ने इस किले का चयन किया। और अपनी पत्नी जीजाबाई के गर्भवती होने पर सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें शिवनेरी किले में रहने के लिए भेज दिया। फिर यहीं पर मराठा, महाराष्ट्र और देश की किस्मत बदल देने वाले शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। शिवाजी महाराज ने अपनी उम्र के शुरुआती और सबसे महत्वपूर्ण 10 साल इसी किले में रहकर बिताएं। और यहां का मुख्य आकर्षण भी किले में स्थित शिवाजी महाराज का प्रतीकात्मक पालना ही है। यहां पर शिवाई माता का मंदिर भी है। जिनके नाम पर ही शिवाजी महाराज का नामकरण किया गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली शिवनेरी किले तक पहुंचने का रास्ता एकदम सुगम है। आप अगर महाराष्ट्र के बाहर से आ रहे हैं तो फिर आपको मुंबई स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा या फिर पुणे स्थित छत्रपति संभाजी राजे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरना होगा। आप मुंबई से करीब 170 किमी और पुणे से करीब 100 किमी का सफर सड़क मार्ग के जरिए तय कर शिवनेरी फोर्ट पहुंच सकते हैं। बाकी अगर कोई रेल मार्ग के जरिए यह सफर तय करने की सोच रहा है तो इसके लिए आप अपनी सुविधानुसार कल्याण जंक्शन या फिर पुणे जंक्शन उतर सकते हैं। और फिर यहां से सड़क मार्ग के जरिए किले तक का सफर तय कर सकते हैं।
जुन्नर तालुका में पड़ने वाला शिवनेरी फोर्ट की मुंबई, ठाणे, पुणे और नासिक जैसे प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी रोड कनेक्टिविटी होने के चलते आप सड़क मार्ग के जरिए राज्य परिवहन की बस पकड़ फोर्ट के आंगन तक पहुंच सकते हैं। या फिर अपनी सुविधा के अनुसार निजी वाहन के जरिए भी सफर तय किया जा सकता है। मुंबई से आने वाले लोग ठाणे, कल्याण, मुरबाड, सरलगांव होते हुए मालशेज घाट के रास्ते यहां तक पहुंच सकते हैं। वहीं पुणे से आने वाले लोग भोसरी, चाकण, राजगुरुनगर, मंचर, नारायणगांव से होते हुए जुन्नर गांव के रास्ते किले कर प्रांगण तक आ सकते हैं।
अब क्योंकि शिवनेरी किला हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली है, तो जाहिर-सी बात है कि इसका अपना अलग समाजिक और एतिहासिक महत्व होगा। और तो और महाराष्ट्र के लोग तो महाराज को भगवान का स्थान देते हैं। यही वजह है कि यहां हर दिन बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। जिसके चलते समय के साथ इस किले में लोगों की सुविधा के लिए तरह-तरह के बदलाव किए गए। किले के प्रांगण से लेकर चोटी तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। अगर आप परिवार के साथ आ रहे हैं, तो फिर बच्चों और बूढ़ों के लिए हर कुछ दूरी पर बैठकर आराम करने लायक स्थान भी बनाए गए हैं। इतना ही नहीं तो रास्ते में थकान मिटाने के लिए जरूरी रिफ्रेशमेंट की भी सुविधा है। नतीजतन हर उम्र का राहगीर किसी भी मौसम के महीने में बड़ी आसानी से शिवनेरी किले का भ्रमण कर सकता है।
वैसे अगर आप महाराष्ट्र से मॉनसून के लौटने वाले महीने यानी सितंबर-अक्टूबर में शिवनेरी किले की यात्रा करते हैं, तो ऐसी स्थिति में आपको शिवाजी महाराज के शौर्य के साथ ही सह्याद्रि के सौंदर्य के भी दर्शन हो जाएंगे। क्योंकि इन दो महीनों में आपको ना सिर्फ सह्याद्री पहाड़ पर पसरी हरियाली नजर आएगी बल्कि उन पहाड़ों से बहते असंख्य झरने भी देखने को मिल जाएंगे। सिर्फ शिवनेरी किला ही नहीं बल्कि इस मौसम में किले तक पहुंचने के सभी रास्ते भी आपको मंजिल से ज्यादा मजा देने का काम करेंगे। बरसात में मालशेज घाट और नानेघाट के नजारों को तो आप घर पहुंचकर भी भूल नहीं पाएंगे। वैसे ठंड की मौसम के शुरुआत से लेकर गर्मी के आगमन तक भी शिवनेरी किला घूमने जाया जा सकता है। क्योंकि इस दौरान भी जुन्नर की हरियाली जस की तस बनी रहती है।
करीब 3500 फीट ऊंचाई पर स्थित शिवनेरी फोर्ट तक पहुंचने के लिए आपको तकरीबन 500 सीढियां चढ़नी होती हैं। किले में प्रवेश करने के लिए आपको किसी भी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नहीं देना होता है। आप हफ्ते के सातों दिन सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक निःशुल्क शिवनेरी किले का भ्रमण कर सकते हैं। किले तक पहुंचने के रास्ते में आपका समाना 7 बेहद ही विशाल प्रवेशद्वारों से होता हैं। इन्हें खास तौर पर छत्रपति शिवाजी महाराज की सुरक्षा को सदृढ करने हेतु बनाया गया था। पहाड़ पर स्थित फोर्ट पर चढ़ने के लिए बनाए गए बेहद सुविधाजनक सीढ़ियों के चलते आप महज एक घंटे में अपना ट्रेक पूरा कर सकते हैं। शिवनेरी फोर्ट में आपको शिवाजी महाराज और उनकी माता जीजाबाई का पुतला, माता शिवाई मंदिर, अंबरखाना, गंगा और जमुना जल कुंड, बादामी तालाब, कडेलोट पॉइंट, बुद्धिस्ट लेनी, महादेव कोली चबूतरा, कामनी मस्जिद, शिवाजी महाराज का जन्मस्थान देखने को मिल जाएगा।
शिवाई माता का मंदिर शिवनेरी किले का मूल स्तंभ है। उन्हें इस किले की मुख्य देवी का दर्जा हासिल है। और संभवतः उन्हीं के आशीर्वाद से पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद शाहजी महाराज ने अपनेपुत्र का नाम शिवाजी रखा। इसलिए यहां आकर इस मंदिर में शिवाई माता के दर्शन करना तो सबसे पहला और जरूरी काम है।
अंबरखाना दरअसल किले में रहने वाले लोगों की दाल-रोटी को चलायमान रखने के लिए बनाया गया अनाज भंडारण का स्थान था। यह इतना बड़ा है कि युद्ध की स्थिति में महीनों तक किले में मौजूद लोगों के भोजन की जरूरत को पूरा करने के काबिल था। वैसे समय की मार खा-खाकर अंबरखाना की स्थिति किसी खंडहर जैसी खस्ताहाल हो गई है।
शिवनेरी किले का जब निर्माण किया गया, तब पानी की समस्या का हल निकालने के लिए चट्टानों को काट काटकर करीब 30 जल कुंड बनाए गए थे। जिनमें से अब कुछ ही शेष बचे हुए हैं। इन्हीं में से गंगा और जमुना दो ऐसे जल कुंड हैं, जो अब लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं। दोनों जल कुंड आपको साल के 12 महीने पानी से भरे हुए मिल जाएंगे।
शिवनेरी किले के एक छोर पर वह स्थान भी है, जो पूरी कहानी के केंद्र में है। जी हां, छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्मस्थान। हालांकि, जन्मस्थली की पुरानी इमारत समय के साथ नष्ट हो गई। लेकिन यहां पर सरकार द्वारा नए स्मारक का निर्माण किया गया है। स्मारक के अंदर प्रतीकात्मक रूप से एक पालना भी रखा गया है। जो महाराज में आस्था रखने वालों को भावुक करने के लिए काफी है।
शिवाजी महाराज की जन्मस्थली के पास ही महाराष्ट्र सरकार ने शिवकुंज नाम से एक नए मंदिर का निर्माण कराया है। शिव भक्तों के लिए एक तरह से बोनस है। यहां पर आप माता जीजाबाई और बालक शिवाजी की पंचधातु से बनी मूर्तियों के दर्शन करने का लाभ उठा सकते हैं। शिवनेरी किले पर यह मंदिर आकर्षण का नया केंद्र बन गया है।
शिवनेरी फोर्ट पर आपको मस्जिद भी नजर आएगी। यहां मौजूद 2 मीनारों वाली मुगलकालीन इस मस्जिद को कमानी मस्जिद कहते हैं। करीब 7 मीटर ऊंची इन 2 मीनारों के बीच की दूरी को अंदाजन 9 मीटर की मेहराबों से जोड़ा गया। और इसके चलते बने कमानी आकर के कारण इसका नाम कमानी मस्जिद पड़ गया।
मस्जिद से थोड़ी ही दूरी पर महादेव कोली चबूतरा है। इसका इतिहास कुछ ऐसा है कि जब शिवनेरी इलाके में महादेव कोली कबीले के सैकड़ों लोगों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए जब मुगलों संघर्ष किया था; तब उन्हें इसी स्थान पर मौत के घाट उतार दिया गया था। और तब से ही इस स्थान को महादेव कोली चबूतरा नाम से जाना जाता है।
शिवनेरी किले एक आखिरी छोर पर एक ऐसी जगह है, जो थोड़ी डरावनी है। किले के इस अंतिम छोर पर एक प्वाइंट है; जिसका नाम है कडेलोट प्वाइंट। इस स्थान से कैदियों को किले से सीधा नीचे खाई में फेंक कर सजा-ए-मौत दी जाती थी। इस तरह की भयावह सजा राज्य से गद्दारी करने जैसा भयंकर और अक्षम्य अपराध करने वाले अपराधियों को दी जाती थी।
शिवनेरी किले का एक और अहम मुख्य आकर्षण है बादामी तालाब। छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म स्थली के ठीक सामने मौजूद यह बादामी तालाब किले के सौंदर्य में चार चांद लगाने का काम करता हैं। वैसे यह सिर्फ देखने में ही खूबसूरत नहीं है। इस तालाब के पानी के चलते आसपास का माहौल में भी ठंडक बनी रहती है।यहां बैठकर आप अच्छा वक्त बीता सकते हैं।
उपर्युक्त सभी स्थलों को घूमकर आप शाम तक किले से बाहर आ सकते हैं। यानी एक दिन की ट्रिप काफी है शिवनेरी किला घूमने के लिए। बाकी अगर आप इस इलाके में स्थित अन्य पयर्टन स्थलों को घूमने की चेष्टा रखते हैं; तो आपके पास घूमने और रहने के भी ढेर सारे विकल्प मौजूद हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिवनेरी किले के आसपास आप अंसख्य झरनों के लिए प्रसिद्ध मालशेज घाट घूम सकते हैं। अपने रिवर्स वाटरफॉल के लिए पहचाना जाने वाले नानेघाट के सफर पर निकल सकते हैं। हद से ज्यादा खूबसूरती समेटे ठहरा पिम्पल गांव जोगा डैम किनारे कैंपिंग कर भी दिन बिताया जा सकता है। बाकी अगर भगवान की भक्ति का मन हो तो फिर 8 अष्टविनायक में से एक लेण्याद्री अष्टविनायक मंदिर जा सकते हैं। इतना ही नहीं तो इस किले से 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की दूरी भी बहुत ज्यादा नहीं है। यानी कुल मिलाकर आप 2 दिनों की छुट्टी में शिवनेरी फोर्ट के साथ उपर्युक्त किसी भी एक और स्थल की सैर कर वीकेंड का सदुपयोग कर सकते हैं।
क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें