आज हम चलते हैं महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित एक ऐसी झील की सेर पर ,जो कि अपने साथ जुड़े अनोखे वैज्ञानिक तथ्यों ,अजीबोगरीब घटनाओं ,लोककथाओं और रहस्यों के कारण काफी चर्चित रहती हैं। करीब 1.3 किमी व्यास एवं लगभग 150 मीटर गहरी ये झील एक बड़े से कटोरे या गड्ढे की तरह दिखाई देती हैं ,जिसमे पानी भरा हो।
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इसके चारो ओर बड़े बड़े हरे भरे पहाड़ ,तेज बहती हवा ,पक्षियों की चहचहाहट और सुकून देने वाली शान्ति अपनी तरफ कई प्रकृतिप्रेमी ,फोटोग्राफर्स और पर्यटकों को खींच लाती हैं। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि पानी की झीले तो हर एक राज्य मे मिल जाएगी ,इसमें झील मे ऐसी क्या अनोखी बात है।
तो जानते है कि क्यों यह झील इतनी प्रसिद्द हैं -
1. यह झील एक 'क्रेटर झील ' हैं। 'क्रेटर ' का मतलब होता हैं ,वो गड्ढा जो आकाशीय उल्कापिंडों के गिरने से बनता हैं। इनसे निर्मित झील को क्रेटर झील बोला जाता हैं। इसीलिए इसे 'लोनार क्रेटर सरोवर ' बोला जाता हैं। यह झील करीब 52000 साल पहले की बताई जाती हैं तो कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार यह झील लगभग 5 लाख 70 हजार वर्ष पुरानी है। वैसे इसकी उत्पत्ति अभी भी रहस्य हैं।
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IIT मुंबई के एक अध्ययन के मुताबिक यह झील उल्कापिंड से ही बनी हुई मानी गयी हैं क्योकि यहाँ के मिनरल ,मंगल ग्रह के मिनरल के समान पाए गए हैं।,लेकिन इस के बनने के बाद उस उल्कापिंड का क्या हुआ यह बात ,इसकी उत्पत्ति को संशय मे डाल देती हैं।
2. जून 2020 मे इस झील का रंग अचानक से गुलाबी हो गया। जिसकी वजह से यह झील फिर चर्चा का विषय बन गयी। आसपास के गावों के लोगो ने इसे चमत्कार बताया। कुछ दिनों की वैज्ञानिक रिसर्च के बाद इसका कारण 'हालोअर्चिया जीवाणु ' का होना बताया। यह जीवाणु पानी मे ज्यादा खारापन होने पर गुलाबी रंग पैदा करता हैं। पानी का खारापन कम होने पर यह पानी वापस मूल रंग मे लौट जाता हैं।
3 . कहते हैं कि इसका स्कंद पुराण और पद्म पुराण में जिक्र है। इसके संबंध में स्कंद पुराण में एक कथा मिलती है जिसके हिसाब से यहाँ एक लोनासुर नाम का एक राक्षस रहता था। जिसको मारने के लिए विष्णु भगवान ने 'दैत्यसूदन ' नाम के युवक की उत्पत्ति की। जिसने राक्षस की दो बहनो के मदद से राक्षस के ठिकाने का पता लगाया। जो कि एक मांद मे छिप कर बैठता था जिसका ढक्क्न खोल कर लोनासूर को मार दिया गया। यह झील ही वो मांद बताई जाती हैं। यहाँ से कुछ किमी दूर की पहाडिया इसका ढक्क्न बताई जाती हैं जो दैत्यसूदन ने वहा तक फेक दिया था।
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4. यह जगह राष्ट्रिय भौगोलिक धरोहर हैं एवं 2020 मे इसे 'रामसर साइट ' घोषित किया गया। इसके तहत यह एक वेटलैंड जगह हैं जो बहुत बड़ा जलस्त्रोत ,विचित्र पोधो और पशु पक्षियों का बसेरा हैं। रामसर साइट का टैग मिलने के बाद यह जगह अंतराष्ट्रीय स्तर पर नाम कर चुकी हैं।
लोनार झील ,पर्यटन की नजर से : यहाँ पर्यटक दूर दूर से इसके रहस्य सुनकर और एक क्रेटर झील को देखने के लिए आते हैं।इस झील के किनारे कई परिवार पिकनिक भी मनाने आते हैं। यहाँ 160 तरह के पक्षी ,46 तरह के सरीसृप और ग्रे वुल्फ पाए जाते हैं जो कि झील के चारो और बसे गहन पहाड़ों मे रहते हैं। पक्षी प्रेमी को झील मे हर समय विभिन्न प्रकार के पक्षी दिखयी देते हैं। असल मे यहाँ चारो तरफ पक्षियों की ही चहचहाट ही सुनने को मिलती हैं। यहाँ आने के लिए आपको करीब 2 किमी का जंगल ट्रेक पार करके आना होता हैं जो कि काफी यादगार ट्रेक होता हैं। जंगल का रास्ता खत्म होते ही सामने दिखायी देती झील का हरा पानी आपकी सारी थकान दूर कर देता हैं।
यहाँ कुछ प्रसिद्द मंदिर भी हैं -
1. गोमुख मंदिर : यह मंदिर प्रसिद्द हैं अपने यहाँ चल रही एक पानी की धारा की वजह से जो कि हमेशा चालू रहती हैं। यह पानी एक कुण्ड मे बहता रहता हैं। जिसमे यात्री स्नान भी करते हैं।
2. दैत्य सूदन मंदिर : यह मंदिर खजुराहो के मंदिरों की तरह बना हैं जो अपनी शैली और वस्तुकलां के लिए प्रसिद्द हैं। यह विष्णु मंदिर 7वी शताब्दी का माना जाता हैं।
3. लिटिल लोनार झील : यहाँ से आधा किमी दूर एक और छोटी सी झील मौजूद हैं जो भी इसी तरह प्राकृतिक नजारो से भरपूर लिए मौजूद हैं। यहाँ भी कई पर्यटक पहुंच ही जाते हैं।
इन सब के अलावा कई मंदिर यहाँ भगवान सूर्य, शिव, दुर्गा और नृसिंह भगवान को समर्पित हैं।ऐसी ही क्रेटर झील भारत मे दो जगह और मौजूद हैं -जिसमे एक राजस्थान के बारां जिले में एवं दूसरी मध्यप्रदेश के शिवपुरी में मौजूद हैं।
इस लोनार झील की खूबसूरती,प्राकृतिक छटा और विशिष्टता को अपनी आँखों से देखना आपके लिए सबसे शानदार अनुभव होगा। इसके सुंदर दृश्य और इसकी बनावट देख आपको यहाँ कई बार आने का मन होगा।
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कैसे पहुंचे : औरंगाबाद एयरपोर्ट यहाँ से नजदीकी एयरपोर्ट हैं ,जो कि 150 किमी दूर हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन जलाना स्टेशन हैं जो कि यहाँ से 90 किमी दूर हैं। आप यहाँ कैब करके पहुंच सकते हैं।
-ऋषभ भरावा (लेखक,पुस्तक 'चलो चले कैलाश ')
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