शनिवारवाड़ा पुणे का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इसे पेशवा बाजीराव प्रथम ने बनवाया था। शनिवारवाड़ा महल पेशवा राजाओं का निवास स्थान था। बताया जाता है कि शनिवार के दिन नींव रखने के कारण लोगों ने इसका नाम शनिवारवाड़ा रख दिया। दिलचस्प संयोग यह है कि इसका उद्घाटन भी शनिवार के दिन ही किया गया था। इस किले की नींव शनिवार, 10 जनवरी, 1730 को रखा गया था और इसका उद्घाटन शनिवार, 22 जनवरी 1732 को किया गया था
लोगों के अनुसार कस्बा पेठ के पास बना यह शनिवारवाड़ा एक सात मंजिला महल था, जो चारों तरफ घिरा एक किले की तरह दिखाई देता था। शनिवारवाड़ा में नौ गढ़ और पांच द्वार- दिल्ली दरवाजा, मस्तानी दरवाजा, खिड़की दरवाजा, गणेश दरवाजा और नारायण दरवाजा थे। दरवाजे काफी बड़े बनाए गए थे जिससे कि हाथी भी इसके भीतर आ-जा सके।
इसका मुख्य दरवाजा दिल्ली दरवाजा के नाम से जाना जाता है। आम तौर पर पर्यटक इसी से होकर भीतर घूमने जाते हैं। दिल्ली दरवाजा काफी बड़ा है। दरवाजे पर लोहे की नुकीली किले भी लगी हुई है। दरवाजे पर 12 इंच लंबे कुल 72 कीले लगे हुए हैं। मस्तानी दरवाजे का इस्तेमाल बाजीराव की पत्नी मस्तानी ही किया करती थी।
बताया जाता है कि जिस समय इसे बनाया गया था, उस समय यह काफी भव्य और शानदार था। इस महल की चर्चा चारों ओर होती थी। महल के अंदर लकड़ी के काफी काम किए गए थे। परिसर के अंदर कमल के फूल के आकार का एक लोटस फाउंटेन बनाया गया था। लेकिन रहस्यमयी तरीके से आग लगने के कारण इसके ज्यादातर हिस्से जल गए और आज यह महलनुमा किला एक तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है। वैसे अब भी यहां काफी कुछ देखने लायक है।
शनिवारवाड़ा देश के सबसे रहस्यमयी और डरावने किले की लिस्ट में भी शामिल है। स्थानीय लोग यहां शाम के बाद जाने से बचते हैं। इस किले के बारे में लोगों का कहना है कि सत्ता की लालच में मराठाओं के पांचवें पेशवा 16 साल के नारायणराव की निर्दयता से हत्या कर दी गई थी। बताया जाता है कि हत्या के बाद से उनकी आत्मा इसी किले में भटकती रहती है। लोगों का यह भी कहना है कि रात के समय यहां नारायण राव की चीखें भी सुनाई देती है।
इस कारण आमतौर पर लोग यहां शाम के बाद नहीं जाते हैं। स्थानीय लोग जरूरी काम होने पर भी इस इलाके से गुजरने से बचते हैं। यह शनिवारवाड़ा पुणे का सबसे हाँटेड जगहों में से एक है। लेकिन कई लोग रोमांच के भी प्रेमी होते हैं और इस सब को नहीं मानते हैं और वो यहां घूमने आते हैं।
रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की फिल्म बाजीराव मस्तानी की शूटिंग यहां की गई है। फिल्म में इस जगह की खूबसूरती देखने के बाद लोग यहां काफी संख्या में आने लगे हैं। प्रशासन की ओर से यहां विशेष लाइट एंड साउंड शो का भी आयोजन किया जाता है।
शनिवारवाड़ा खुलने का समय
शनिवारवाडा सुबह 9 बजे से शाम के 5:30 बजे तक खुला रहता है।
शनिवारवाड़ा में प्रवेश के लिए टिकट
शनिवारवाड़ा के भीतर जाने के लिए आपको टिकट लेने होंगे। टिकट दिल्ली दरवाजे के भीतर प्रवेश करते ही लेना पड़ता है। भारतीय के लिए टिकट के दाम 25 रुपये हैं जबकि विदेशियों के लिए यह चार्ज 300 रुपये हैं। छोटे बच्चों के लिए कोई टिकट नहीं है।
निकट के दर्शनीय स्थल
शनिवारवाड़ा के ठीक पास में लाल महल है। आप यहां से पैदल चलकर पुणे के सबसे खास पर्यटक स्थलों में से एक श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर के साथ विश्रामबाग वाडा, महादजी शिंदे छत्री, राजा दिनकर केलकर संग्रहालय और तुलसी बाग मार्केट देख सकते हैं।
खानपान-
पुणे में आप मराठी थाली के अलावा वडापाव और मिशेल पाव का आनंद ले सकते हैं। वैसे पुणे मेट्रो शहर होने के कारण यहां आप सभी तरह के खाने का आनंद ले सकते हैं। लेकिन शनिवारवाड़ा के पास ही स्ट्रीट फूड के रूप में आप वडा पाव खा सकते हैं।
ठहरने की व्यवस्था
पुणे देश का एक प्रमुख शहर है। यहां ठहरने के लिए भी हर तरह के इंतजाम हैं। आप अपने पाकेट के हिसाब से बजट से लेकर लग्जरी सभी तरह के होटल में ठहर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
अगर आप पुणे आते हैं तो आपको शनिवार जरूर आना चाहिए। यहां आप शहर के किसी भी इलाके से आसानी से बस या ऑटो-टैक्सी से आ सकते हैं। पुणे एयरपोर्ट, बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से भी यहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं। यह जगह लाल महल और श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर के काफी पास है।
कब पहुंचे
पुणे आप कभी भी किसी भी समय आ सकते हैं। वैसे गर्मी में दिन के समय तापमान कुछ ज्यादा होता है और बरसात में तो यहां बारिश भी अच्छा होती है। तो बारिश-गर्मी से बचना चाहते हैं तो फिर सितंबर से मार्च के बीच का समय पुणे घूमने के लिए सबसे अच्छा होता है।
आपकी यात्रा शुभ और मंगलमय हो। अपनी यात्रा के बारे में सलाह-सुझाव हो तो कमेंट में जरूर बताइएगा। धन्यवाद।