देहेनेः मुंबई से कुछ ही दूर बसे इस खूबसूरत गांव में घुमक्कड़ों के लिए बहुत कुछ है

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Photo of देहेनेः मुंबई से कुछ ही दूर बसे इस खूबसूरत गांव में घुमक्कड़ों के लिए बहुत कुछ है by Deeksha

हर जगह ख़ास होती है। उसकी अपनी पहचान होती है जो उसे दूसरों से अलग बनाती है। कुछ जगहों को देखते ही प्यार हो जाता है तो कुछ जगहें पहली नज़र में नहीं पसंद आती हैं लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वो जगहें खूबसूरत नहीं हैं। ऐसी जगहों पर बेहिसाब खूबसूरती होती है। हमें बस उसे ढूंढ़ना होता है। ऐसी जगहों को जानने के लिए यहाँ कुछ समय बिताना चाहिए और इसकी खामोशी को नज़दीक से पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी ही एक जगह है देहेने।

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सह्याद्री पहाड़ों की तलहटी में बसा ये गाँव पुणे से 160 और मुंबई से 115 किमी. दूर है। ये गाँव महाराष्ट्र में एक जंगल की गहराईयों में बसा है और इसी वजह से इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। देहेने महाराष्ट्र की उन जगहों में से है जो आज भी टूरिज्म मैप पर नहीं है और ये वास्तव में महाराष्ट्र की ऑफ बीट जगहों में से एक है।

देहेने के बारे में

ये असामान्य बात नहीं है कि बड़े शहरों और लग्जरी में रहने के बावजूद हम अब भी सरल और सीधी ज़िन्दगी जीना चाहते हैं। दहने वो जगह है जहाँ शुरुआत से ही ज़िन्दगी की रफ़्तार धीमी रही है। इस जगह का असली एहसास लेने के लिए आपको कुछ दिन रहना होगा। दो-तीन दिन की यात्रा इस जगह की रूमानियत महसूस करने के लिए कम समय है। ये वो जगह है जहाँ फाइव स्टार होटलों के बजाय आपको लोकल लोगों के घर में रहना होगा। ज़िन्दगी जीने के तरीके से लेकर खाना खाने के समय तक इस गांव में ग्रामीण जीवन का बढ़िया हिस्सा देखने को मिलेगा। 

गांव में रहना कैसा होता है? ये यहाँ के लोगों के साथ रहकर ही जाना जा सकता है। इसको करने के लिए देहेने से बढ़िया जगह और कोई नहीं है लेकिन देहेने पहले ऐसा नहीं था। यहाँ ना कोई टूरिस्ट आते थे और ना यहाँ के लोगों को बाहर की दुनिया के बारे में ज़्यादा जानकारी थी। ग्रासरूट्स नाम की एक जिम्मेदार ट्रैवल कंपनी ने इस गांव को अपनाया जिसके बाद यहाँ के लोगों को ट्रेनिंग दी गई। उन्हें घुमक्कड़ी से जुड़े पहलओं के बारे में बताया गया जिसकी वजह से आज इस गाँव में आने वाले हर टूरिस्ट की देखरेख लोकल लोग ही करते हैं।

क्या करें?

देहेने प्राकृतिक सौंदर्य का भंडार है। दूर तक बिखरी हरियाली, ठंडी हवा और खुशनुमा मौसम देखकर आपका मन खुश हो जाएगा। अगर आप मुंबई या पुणे से आ रहे हैं तो दहने में आपका स्वागत ऐसे ही हरे घास के मैदानों से होगा।

1. अजोबागढ़ ट्रेक

सह्याद्री पहाड़ों की सबसे खूबसूरत ट्रेकों में शुमार ये ट्रेक दहने से 4 किमी. दूर है। ये ठाणे मंडल के शाहपुर तालुका इलाके में है। 4511 फीट वाले इस ट्रेक को आसानी से कर सकते हैं। इसलिए अगर आपके पास ट्रेकिंग का अनुभव नहीं है तो परेशान नहीं होना चाहिए। अजोबा पहाड़ को दो तरफ से चढ़ा जा सकता है। पूर्वी तरफ की चढ़ाई आसान है लेकिन इसमें समय ज़्यादा लगता है। वहीं दूसरी तरफ़ का रास्ता कठिन है। ट्रेक में आप वाल्मीकि आश्रम देख सकते हैं। रास्ते में वॉटरफॉल भी हैं जिससे इस जगह की खूबसूरती और बढ़ जाती है। अगर आप दहने आएँ तो इस ट्रेक पर ज़रूर जाना चाहिए।

2. फार्मिंग का मज़ा

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एक समय था जब दहने में केवल 20 घर थे। यहाँ के लोग खेती करके अपना पेट भरते थे। बढ़ते टूरिज्म की वजह से खेती करने वाले लोगों की संख्या में कुछ कमी आई है लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि यहाँ खेत नहीं हैं। गाँव का बड़ा हिस्सा आज भी खेती पर निर्भर है। दहने में ग्रामीण जीवन को बेहद करीब से देखा जा सकता है इसलिए खेती में हाथ आजमाना अच्छा ऑप्शन है। लोग अपने खेतों का पूरा ध्यान रखते हैं और अगर आप भी इसका मज़ा उठाना चाहते हैं तो बिल्कुल देर नहीं करनी चाहिए।

3. नदी किनारे सुकून के पल

घुमक्कड़ी वो पहलू है जो आपको बिना टेंशन के ज़िन्दगी जीना सिखाता है। घुमक्कड़ी वो नहीं है जिसमें आप एक जगह से दूसरी जगह भागने की जल्दी में हों। इसमें आराम के लिए ख़ास जगह है। देहेने में कुछ फ़ुरसत के पल बिताना चाहते हैं तो नदी किनारे चले जाना चाहिए। पत्थरों से टकराकर नदी का कलकल बहता पानी। ये वो आवाज़ है जिसको सुनकर मिलने वाले सुकून को शब्दों में बता पना मुश्किल है। धुंध से ढके पहाड़ों और पेड़ों से घिरी ये जगह सचमुच स्वर्ग जैसी लगती है।

4. लोगों से बातचीत

दहने में कोई होटल या गेस्टहाऊस नहीं हैं। इसलिए यहाँ आपको लोकल लोगों के साथ उनके घर में रहना होता है। गाँव के लोग अक्सर सरल और सुलझे स्वभाव के होते हैं और यहाँ भी बिल्कुल वैसा ही है। लोग खुले मन से यहाँ आए हर मेहमान का स्वागत करते हैं और आपकी मदद करने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। देहेने में लोकल लोग ही आपके टूर गाइड भी होते हैं इसलिए इनसे बात करने में अलग रोमांच होता है। इनसे आप सह्याद्री पहाड़ों की रहस्यमय कहानियाँ सुन सकते हैं और देहेने से जुड़ी दिलचस्प बातें भी जान सकते हैं।

5. प्राकृतिक खूबसूरती देखें

पहाड़ों का सुकून, ठंडी शीतल हवा, रूकी हुई ज़िन्दगी और साफ वातावरण। ये वो चीज़ें हैं जो बड़े शहरों में नहीं मिलती हैं। दहने की बात करें तो यहाँ इन सभी चीज़ों की बिल्कुल कमी नहीं है। यहाँ पहाड़ हैं जहाँ आप ट्रेक कर सकते हैं और दूर तक बिखरे खेतों की हरियाली है। नदी और वॉटरफॉल हैं जहाँ के ठंडे पानी में नहा सकते हैं और शाम के समय एक लम्बी वॉक पर जा सकते हैं। अगर आप भी भागदौड़ वाली ज़िन्दगी से थोड़ा ब्रेक चाहते हैं लेकिन हिमाचल और उत्तराखंड नहीं जाना चाहते, आपको बिना ज़्यादा सोचे दहने चले आना चाहिए।

6. आदिवासी गांव की सैर

दहने से थोड़ी दूर एक आदिवासी गाँव है। यहाँ गाइड लेना लगभग तय है इसलिए आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। आपके टूर में आदिवासी गाँव की सैर भी शामिल होती है। आज भी इस गाँव के लोग शिकार करते हैं। इनके घरों में शिकार में इस्तेमाल होने वाले हथियार देख सकते हैं। हर घर में एक कुत्ता होता है जो शिकार करने में मदद करता है। यहाँ के लोग बालू और लकड़ी बेचने का भी काम करते हैं और खेती के साथ साथ यही इनकी कमाई का मुख्य तरीका है।

कब जाएँ?

देहेने आने के लिए सबसे सही समय मई से सितंबर है। मई से जून के बीच आ रहे हैं तो आपको यहाँ जुग्नुओं की भरमार देखने को मिलेगी। अगर आप जुलाई से सितंबर के बीच आ रहे हैं तो उस समय बारिश का मौसम मिलेगा। इस समय इलाके के सभी वॉटरफॉल और नदियां खिल उठती हैं। आप चाहे तो ठंड के मौसम में भी यहाँ आ सकते हैं।

कैसे पहुँचे?

देहेने आने के लिए कोई सीधी बस या ट्रेन नहीं है। इसलिए अपनी गाड़ी या टैक्सी यहाँ आने का सबसे अच्छा तरीका है। इसके लिए आपको सबसे पहले मुंबई आना होगा।

रोड और ट्रेन से: अगर आप बस या ट्रेन से आना चाह रहे हैं तो मुंबई से असंगाँव के लिए लोकल लेनी होगी फिर वहाँ से शाहपुर आइए। शाहपुर आने के लिए आप शेयर ऑटो ले सकते हैं। इसके बाद शाहपुर से डोलकम आना होगा। डोलकम से देहेने कुछ ही दूर है।

फ्लाइट से: अगर आप प्लेन से आना चाह रहे हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट मुंबई एयरपोर्ट है। यहाँ से आप बस या टैक्सी लेकर देहेने पहुँच सकते हैं।

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