गोवर्धन इको विलेज: प्रकृति के पालने में झूला झूलते पालघर में मौजूद मुंबई का मिनी वृन्दावन

Tripoto
8th Sep 2023
Photo of गोवर्धन इको विलेज: प्रकृति के पालने में झूला झूलते पालघर में मौजूद मुंबई का मिनी वृन्दावन by रोशन सास्तिक

भगवान श्री कॄष्ण की नगरी वृंदावन जाने की ख्वाहिश भला हम में से कौन नहीं रखता। हर किसी के दिल में यह ख़्वाब पलता है कि किसी तरह एक बार भगवान की भूमि के दर्शन करने का सौभाग्य हासिल हो जाए। लेकिन अफसोस कि ज्यादातर लोगों का कभी समय साथ नहीं देता, तो कभी जेब ही जवाब दे देता है। यह सुनकर अगर आप खुद को इस बात से कुछ ज्यादा ही रिलेट कर उदास हो गए हैं, तो रुकिए। क्योंकि मुंबई और इसके आस-पास रहने वाले लोगों के लिए हमारे पास एक खास जगह है। जिसे कुछ इस तरह बनाया गया है कि वह हूबहू वृंदावन जैसी ही नजर आती है। मुंबई शहर के कर्कश कोलाहल भरे दूषित माहौल से दूर प्रकृति के पालने में झूला झूलते पालघर इलाके में मौजूद है हमारा इको गोवर्धन विलेज। करीब 100 एकड़ भूभाग में फैले इस विलेज़ में कुल 42 ऐसे पॉइंट्स हैं, जो असली वृंदावन में मौजूद जगहों की तरह ही बनाए गए हैं।

हमारे इस मिनी वृंदावन तक जाने के लिए आपको मुंबई से करीब 1500 किमी दूर उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि मुंबई के उत्तर दिशा में करीब 100 किमी दूर पालघर की टिकट लेनी होगी। जी हां, गोवर्धन इको विलेज मुंबई शहर से करीब 100 किमी की दूरी पर स्थित है। अपने निजी वाहन के जरिए आप महज 2 से 3 घंटे में यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए सफर करने की सोच रहे हैं; तो सबसे पहले आपको पालघर रेलवे स्टेशन के लिए लोकल ट्रेन पकड़नी होगी। इसके बाद आपको पालघर बस स्टॉप पर वाड़ा जाने वाली बस में चढ़ जाना है। जो 40 रुपए में आपको हमरापुर फाटा नामक जगह तक ले जाएगी। यहां से आप 30 रुपए प्रति व्यक्ति खर्च कर ऑटो के जरिए सीधे मंदिर के गेट तक पहुंच जाएंगे। आपको बता दें कि पालघर बस स्टॉप से लगभग हर एक घंटे के अंतराल पर हमरापुर फाटे तक ही बस जाती है। लेकिन अगर आप सुबह 7:30 बजे तक बस स्टॉप पहुंच गए, तो फिर आपको सीधे गोवर्धन इको विलेज के लिए भी बस मिल जाएगी।

सबसे सकारात्मक बात यह है कि गोवर्धन इको विलेज में आने वाले लोगों के लिए ना सिर्फ एंट्री निःशुल्क है बल्कि संस्था द्वारा नियुक्त किए गए गाइड की के जरिए भक्तों को मंदिर का टूर तक एकदम मुफ्त में कराया जाता है। हर एक घंटे पर मंदिर की ओर से नॉलेज टूर कराया जाता है। जिसमें आपको गोवर्द्धन इको विलेज से जुड़ी जानकारियां दी जाती है। गोवर्धन इको विलेज में भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी लीलाओं को दिखाने के लिए मुख्यतः वृंदावन, मथुरा, गोकुल और बरसाना समेत चार धाम बनाए गए हैं। गोवर्धन इको विलेज के परिसर में टहलते वक्त आप हर समय किसी न किसी धाम से गुजर रहे होते हैं। इसलिए आपको हर वक्त हर जगह भगवान श्री कृष्ण के अपने आसपास ही कहीं होने का अहसास होता है।

गोवर्धन इको विलेज में प्रवेश करते ही आप खुद को एक अलग सात्विक संसार में पाएंगे। यहां हर कोई आपको प्रभू जी कहकर संबोधित करेगा। और आप भी अपने इस नामकरण की लाज रखने के लिए वैसा होने की जुगत में जी-जान से जुट जाएंगे। बस यहां आने वाले सभी लोगों के इस साझा प्रयास से ही सारे परिसर का माहौल राधे-राधे हो जाता है। प्रवेशद्वार के भीतर आने के बाद सामने ही आपको एक बड़ा-सा रिसेप्शन हॉल नजर आएगा। यहां से आप गोवर्धन इको विलेज से जुड़ी सारी जरूरी जानकारियां जुटा सकते हैं। 100 एकड़ में फैले इस मिनी वृंदावन को घूमने के लिए पैदल सफर करने में असक्षम लोगों के लिए गोल्फ कार का भी इंतजाम है।

मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक बाईं तरफ गोवर्धन इको विलेज के अहम आकर्षण में से एक श्री श्री राधा वृंदावन बिहारी जी का मंदिर नजर आएगा। इस मंदिर को राजस्थानी स्टाइल में लाल पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया है। मंदिर में प्रवेश करने के बाद ही आपको चारों तरफ हरे रामा हरे कृष्णा का जाप करते हुए लोग मिल जाएंगे। मंदिर की बनावट भी कुछ ऐसी कि वहां पर होने मात्र से ही आपके मन मस्तिष्क के सारे मनोविकार हवा हो जाए। श्री श्री राधा वृंदावन बिहारी जी की मूर्ति के ठीक सामने इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद जी महाराज की भी मूर्ति स्थापित की गई है। आपको बता दें कि गोवर्धन इको विलेज की संकल्पना श्रील प्रभुपाद जी ने ही की थी। उन्हीं के आशीर्वाद से श्री राधा नाथ स्वामी जी ने मुंबई से सटे पालघर इलाके में वैतरणा नदी के किनारे गोवर्धन इको विलेज की नींव रखी।

इस मंदिर से आगे बढ़ने के बाद आपका इस इको विलेज के एक और खूबसूरत जगह राबता होता है। हम बात कर रहे हैं यमुना घाट की। जिस नदी किनारे भगवान का बचपन गुजरा, उस नदी के बगैर तो इस गोवर्धन इको विलेज को मिनी वृंदावन का तमगा मिलता ही नहीं। यमुना घाट के किनारे भक्तों के बैठने के लिए इतनी जगह है कि लोग आराम से यहां भक्ति भाव में लीन होकर भगवान से जुड़ने का काम कर सकते हैं। इस घाट पर होने वाली संध्या आरती के समय यहां का माहौल इतना ज्यादा भक्तिमय रहता है कि हर कोई अपना सब कुछ भुलकर भगवान के ध्यान में मग्न हो जाता है। यमुना घाट से जब आप थोड़ा ही आगे बढ़ेंगे तो आपको राधा रानी जी का मान मंदिर भी मिल जाएगा। राधा रानी को प्रणाम कर आप आगे की यात्रा जारी रख सकते हैं।

आगे बढ़ने पर आप यह देखकर हैरान रह जाएंगे कि यहां पर गिरिराज गोवर्धन पहाड़ तक की प्रतिकृति बनाई गई है। वृंदावन में मौजूद गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने के लिए भक्तों को 21 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। लेकिन यहां पर मौजूद गोवर्धन पर्वत की आप महज 10 मिनट में परिक्रमा पूरी कर सकते हैं। समय साथ दे तो यहां होने वाली गोवर्धन आरती का भी हिस्सा हुआ जा सकता है। वृंदावन धाम की ही तरह यहां भी राधा कुंड और श्याम कुंड का निर्माण किया गया है। जिसके किनारे बैठ भक्त अपने भगवान की आराधना करते नजर आते हैं।

गोवर्धन इको विलेज का सबसे बड़ा आकर्षण श्री श्री राधा मदन मोहन जी का 100 फीट ऊंचा मंदिर है। इसकी सबसे खास बात यह है कि रंग-रूप और आकार इन सबके आधार पर यह एकदम वृंदावन में मौजूद मंदिर के जैसा ही बनाया गया है। और आपको यह जानकर हैरत होगी कि आज तक दुनिया में इसके अलावा दूसरा ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जहां किसी ऐतिहासिक धार्मिक इमारत की हूबहू नकल कर उसे किसी दूसरी जगह पर बनाया गया हो। इस्कॉन के मंदिरों में वैसे तो फोटो खींचने पर कोई पाबंदी नहीं होती। लेकिन क्योंकि वृंदावन में मौजूद असली श्री श्री राधा मदन मोहन मंदिर में फोटो खींचने की मनाही है। इसलिए परंपरा का पालन करते हुए पूरे गोवर्धन इको विलेज में बस इसी मंदिर की फोटो खींचने पर रोक है।

मंदिर में दिन की शुरूआत तड़के सुबह साढ़े चार बजे मंगल आरती से होती है। सुबह चार बजकर 55 मिनट पर तुलसी पूजा का समय होता है। इसके बाद ठीक पांच बजे श्री श्री राधा मदन मोहन जी मंदिर को भी भक्तों के लिए खोल दिया जाता है और मंगल आरती की जाती है। फिर सुबह सात बजे आम लोगों को शृंगार दर्शन करने का मौका मिलता है। इसके बाद श्रील प्रभुपाद के सम्मान में गुरु पूजा होती है। दोपहर 12 बजे राज भोग आरती की जाती है और यह आरती करीब आधे घंटे तक चलती है। दोपहर 12:30 बजते ही मंदिर को बंद कर दिया जाता है। दोपहर में बंद मंदिर को फिर सीधे शाम को चार बजे वैकालिक आरती के वक्त खोला जाता है। शाम 6:30 बजे गोवर्धन इको विलेज के मुख्य आकर्षण संध्या आरती का आयोजन होता है। इसके एक घंटे बाद यानी शाम सात बजकर 30 मिनट पर मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है।

आत्मा की आध्यात्मिक प्यास बुझाने और मन की चंचलता पर काबू पाने की प्रक्रिया के बाद बारी पेट की भूख शांत करने की आती है। तो इसके लिए भी गोवर्धन इको विलेज में मौजूद श्री नाथ जी भवन में पूरी व्यवस्था है। यहां पर आप सुबह 8 से 9 बजे के दौरान 50 रुपए खर्च कर सुबह का नाश्ता कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर में 1 से 2 बजे के दौरान आपको केवल 100 रुपए में सात्विक और स्वादिष्ट खाना मिल जाएगा। और दिन के अंतिम आहार का इंतजाम भी आप शाम 6:30 से 7:30 बजे तक मात्र 100 रुपए में कर सकते हैं। बाकी इस बात का ध्यान रखिएगा कि यहां खाने से पहले आपको कूपन लेना होता है और इसके लिए भी एक निश्चित समय तय किया गया है। सुबह के नाश्ते और दोपहर के खाने के लिए आप सुबह 8 से 10 बजे तक कूपन खरीद सकते हैं। वहीं रात के खाने के लिए आपको दोपहर 2 बजे तक कूपन खरीद लेना होता है।

Photo of Govardhan EcoVillage (GEV), Taluka, P.O. Hamrapur, Wada, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

अगर आप एक दिन में सब कुछ घूमकर यहां से निकल जाने की बजाय एक रात यहां ठहरकर इस जगह को पूरी तरह जीना चाहते हैं, तो इसके लिए जरूरी स्टे की सुविधा भी गोवर्धन इको विलेज में की गई। पयर्टकों के ठहरने के लिए यहां महावन कॉटेज, गोकुल कॉटेज, मधुबन विला और मथुरा कॉटेज में पूरी व्यवस्था की गई है। जंगल के बीच बनाए गए यह सभी कॉटेज रहने के लिए जरूरी सारी सुविधाओं से संपन्न होते हैं। हालांकि, यहां कुछ दिन ठहरकर इस जगह को पूरी तरह एक्सप्लोर करने की लालसा रखने वालों की लिस्ट काफी लंबी होने के चलते यहां अक्सर आपको सारे कॉटेज हाउसफुल ही मिलेंगे। एडवांस में बुकिंग करने के लिए भी आपको लंबे समय तक का इंतजार करना होता है। इसलिए हमारी तो यह सलाह होगी कि दो दिन के टूर कर चक्कर में यहां जाने के प्लान को पोस्टपोंड करने की बजाय मौका मिलते ही एक दिन के सफर पर निकल जाएं। अगर आपका मन ठहरने का ही है तो फिर आप https://ecovillage.org.in इस लिंक पर जाकर कमरा रिजर्व करा सकते हैं।

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