यहाँ भगवान राम की पूजा एक राजा की तरह होती हैं

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Photo of यहाँ भगवान राम की पूजा एक राजा की तरह होती हैं by Rishabh Bharawa

2022 में एक travel meet में शामिल होने के लिए मैं भीलवाड़ा से खजुराहो, ट्रेन से जा रहा था...बीच में पड़ते झाँसी स्टेशन पहुचने से पहले मुझे मेरे एक परिचित ने मुझे झाँसी में उतरने को बोला, उन्होंने कहा कि झाँसी के पास ही ओरछा धाम पड़ता हैं..उन्हें भी खजुराहो ही जाना था लेकिन वे एक रात ओरछा रुकना चाहते थे, उन्होंने कहा कि अगले दिन वे मुझे अपनी गाड़ी से खजुराहो ले जायेंगे...मैं झाँसी उतर गया....झाँसी पड़ता हैं उत्तर प्रदेश में...और ओरछा पड़ता हैं मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में...झाँसी से ओरछा मात्र 17km की दूरी पर ...

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ओरछा मुझे पहली नजर में थोड़ा सा पुष्कर की फिलिंग दे रहा था...एकदम छोटा सा कस्बा जिसमें कई विदेशी घूम रहे थे...कुछ ऊंचाई पर बने मंदिर और किले कई जगह से नजर आ रहे थे....मुझे यहां आ कर पता लगा कि यह धाम राजा राम के मंदिर के लिए जानी जाती हैं...क्योंकि मंदिर परिसर के एकदम सामने ही मैंने स्टे लिया था..

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यहां देश में एकमात्र ऐसा मंदिर हैं जहां भगवान राम को राजा राम की तरह पूजा जाता हैं...पीले रंग में बने इस मंदिर के एकदम पास ही पहाड़ी पर एक अन्य मंदिर भी बना दिखता हैं जिसको चतुर्भुज मंदिर कहते हैं..

इस राम मंदिर में राजा राम के हाथ में तलवार हैं..यहां की शाम की आरती के समय राजा राम को बंदूकों से salute दिया जाता हैं...मतलब भगवान को राजा की तरह माना जाता हैं..इस तरह का यह एकमात्र मंदिर हैं देश में...

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इस मंदिर के पीछे कई कहानियां हैं जिनका सबका सार यह हैं कि यहां के राजा मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे और उनकी रानी गणेश कुंवरी राम भक्त थी..एक बार रानी ने अयोध्या जाने की जिद की तो वही राजा चाहते थे मथुरा वृंदावन जाना...राजा ने रानी को गुस्से में कह दिया कि वो अयोध्या जाये और वापस तभी लौटे जब भगवान राम को साथ ला सके...रानी ने पैदल अयोध्या यात्रा शुरू की और वहाँ जाकर सरयू में डूबने के लिए कूद गई...तब भगवान राम सरयू में उनके हाथों में बाल रूप में आए और कुछ शर्तों पर ओरछा साथ चलने को कहा...शर्त यह थी कि भगवान को वहाँ पहली बार जिस जगह बिठाया जायेगी वही हमेशा के लिए विराजित हो जाएंगे और एक शर्त थी कि ओरछा के राजा वे ही कहलाएंगे...रानी ने ओरछा में उनके लिए एक मंदिर निर्माण की खबर पहुचा दी और उनके लिए पहाड़ी पर बना चतुर्भुज मंदिर बनवाया गया...

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लेकिन ओरछा आते ही थकी रानी ने उन्हें चतुर्भुज मंदिर के पास महल की रसोई में रख दिया...और फिर शर्त के हिसाब से उसी जगह राजा राम का मंदिर बना....

ओरछा का इतिहास अकबर, जहांगीर आदि से जुड़ा हैं...इस के इतिहास पर एक अच्छी पुस्तक मैंने पढ़ी थी जो फ़िलहाल कोई ले गया हैं पढ़ने को..बाकी उसमें से कुछ शानदार तथ्य भी मैं यहां बताता...

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अगर आप इतिहास और फोटोग्राफ लेने के शौकीन हैं तो यह जगह आपको बहुत पसंद आएगी...यहां आप बेतवा नदी में बोटिंग कर सकते हैं..जहांगीर महल में हिंदू और मुस्लिम शैली की रचनाएं देख सकते हैं..चतुर्भुज मंदिर की छत से पूरे राजा राम मंदिर का दर्शन प्राप्त कर सकते हैं..यहां एक सेंचुरी भी हैं...नदी किनारे शानदार छतरिया हैं जहां का night sound and light show काफी प्यारा लगता हैं...यहां के जंगलों में खूब सारे गिद्ध हैं जो ओरछा की कई इमारतों पर मंडराते नजर आते हैं...

ओरछा घुमने पर कभी detail में लिखूँगा...और हाँ ,मंदिर परिसर में मात्र 40 rs में बहुत ही स्वादिष्ट भोजन मिलता हैं,आप खुद भी इसका आनंद लेवे और कुछ जरूरतमंदों को भी खाना बंटवा देवे।

-Rishabh Bharawa

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