भारत के उत्तर पूर्व के राज्यों और शहरों की खूबसूरती को जितना बयां किया जाता है वो असलियत से काफी कम है। ईमानदारी से कहूँ तो यहाँ देखने लायक इतनी सारी चीजें हैं कि पूरा घूमने के लिए 10 दिन भी काफी नहीं है। लेकिन जब आप फुलटाइम वाली नौकरी कर रहे होते हैं तो एक साथ लंबी छुट्टी मिलना मुश्किल हो जाता है, है ना?
एक बार मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था और मुझे सिक्किम और पश्चिम बंगाल की यात्रा के लिए मात्र 12 दिनों की छुट्टी से ही संतुष्ट होना पड़ा था। इस यात्रा में हम लोगों ने अपनी मम्मी का जन्मदिन सेलिब्रेट करने की योजना बनाई थी। मेरी ये 12 दिनों की यात्रा जैसे महाकाव्य ही बन गया हो और फिर मैनें अपने आप से वादा किया कि अब यहाँ लंबे समय के बाद ही लौटूँगा।

अगर आप गोवा और केरल आदि के अलावा किसी नई जगह की तलाश कर रहे हैं तो मेरी मानिए सिक्किम और पश्चिम बंगाल निश्चित रूप से एक बेहतर विकल्प है।
मैनें इन उत्तर पूर्वी राज्यों की अपनी 12 दिनों की यात्रा का आनंद प्रति व्यक्ति केवल ₹20,000 में लिया था। लेकिन इतने कम खर्च में हमने यह कैसे किया वो मैं यहाँ बताने जा रहा हूँ।
यात्रा का रूट
मेरी उड़ान हैदराबाद से सिलीगुड़ी (बागडोगरा एयरपोर्ट) तक के लिए थी। हैदराबाद से बागडोगरा के लिए इस उड़ान की लागत ₹8,500 आया था। बागडोगरा एयरपोर्ट से मैं सिलिगुड़ी के लिए रवाना हुआ जहाँ से हम कुछ दिनों के लिए दार्जिलिंग यात्रा पर निकल गए।
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दार्जिलिंग से मैं कलिम्पोंग पहुँचा और फिर वहाँ से मुझे पश्चिम सिक्किम के पेलिंग जाना था। उससे पहले मैंने कलिंपोंग में ही एक रात बिताई। यहाँ से हम गंगटोक पहुँचे और आस-पास के पर्यटन स्थलों पर घूमने गए। गंगटोक से लाचुंग और कटो जाने के बाद फिर हम वापस गंगटोक आ गए।
इस खूबसूरत राज्य से विदाई लेते हुए अंतिम दिन हम गंगटोक से बागडोगरा एयरपोर्ट के लिए निकल गए।
जिस रूट को हमने फॉलो किया था और आप भी इसे फॉलो कर सकते हैं:
सिलीगुड़ी - दार्जिलिंग - मिरिक - कलिम्पोंग - पेलिंग - गंगटोक - सोमगो लेक - गंगटोक - लाचुंग - कटो - गंगटोक – सिलीगुड़ी
12 दिन की पश्चिम बंगाल और सिक्किम यात्रा का कार्यक्रम
मुझे सिक्किम की यात्रा करने की इच्छा थी, खासकर गुरुडोंगमार झील और युमथांग घाटी की। लेकिन मौसम के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था। लेकिन अब जाकर मैंने 12 दिनों की यात्रा का आनंद लिया और सिक्किम के खूबसूरत लोगों से मैंने बहुत कुछ सीखा भी। मात्र 12 दिनों में आप दार्जिलिंग, मिरिक, कलिम्पोंग, गंगटोक, पेलिंग व उत्तरी सिक्किम को आराम से घूम सकते हैं।
हैदराबाद में काम करने के दौरान ही हमने यह यात्रा की थी इसलिए यात्रा की शुरुआत वहीं से हुई थी। मेरी फ्लाइट हैदराबाद से सुबह 8 बजे थी लेकिन कोलकाता में देर होने की वजह से मैं दोपहर में बागडोगरा पहुँचा।
मेरी माँ ट्रेन में यात्रा कर रही थी इसलिए मुझे बागडोगरा पहुँचने के बाद अपनी माँ के सिलिगुड़ी पहुँचने का इंतज़ार करना पड़ा। मैंने बागडोगरा एयरपर्ट से सिलीगुड़ी बस स्टैंड के लिए बस ली। उस बस का किराया करीब ₹20- ₹30 था। बस स्टैंड जाकर रात के लिए मैंने ₹500 किराया वाला एक कमरा लिया और माँ के आने का इंतजार करते हुए थोड़ा आराम भी कर लिया।
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माँ की ट्रेन आखिरकार रात के करीब 2 बजे आ ही गई। हम लोग रात को सो गए ताकि सुबह दार्जिलिंग के लिए जल्द से जल्द रवाना हो सकें।
अगली सुबह हमलोग सिलिगुड़ी से सुबह 7-8 बजे शेयर वाले जीप से दार्जिलिंग के लिए रवाना हो गए। और दोपहर 2 बजे हम दार्जिलिंग पहुँच गए। इसका किराया प्रति व्यक्ति ₹160 था।
दार्जिलिंग पहुँचने के बाद हमने सबसे पहले खाने के स्थानों की खोजबीन शुरू की। दार्जिलिंग और मिरिक घूमने के लिए हमने आसान वाले रास्तों की तलाश की जिससे समय भी कम लगे और ज्यादा से ज्यादा घूम सकें!
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हम लोगों ने ₹1800 में दाजिर्लिंग और मिरिक के प्रमुख स्थानों तक ले जाने वाली एक टैक्सी लिया। आमतौर पर यहाँ इन टैक्सियों का किराया ज्यादा होता है लेकिन हमारी किस्मत अच्छी थी कि इतने सस्ते में मिल गया।
वैसे आप यहाँ साझा वाले वाहनों को भी ले सकते हैं लेकिन हमारे पास वक्त ज्यादा नहीं था इसलिए हमने साझा टैक्सी के बजाय निजी टैक्सी ली।
हमने अगले दिन टाइगर हिल्स जाने की तैयारी की जहाँ से कंचनजंघा पर्वत शिखर आपको साफ दिखाई देता है। सुबह करीब 5 बजे ही हमलोग निकले थे क्योंकि यह यात्रा 30-40 मिनट का है और यहाँ ज्यादा लोगों के आने की वजह से ट्रैफिक जाम भी बहुत ज्यादा रहता है।
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पहाड़ की चोटी पर ठंड और हवा भी तेज़ रहती है तो खुद को ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़ों की व्यवस्था करके ही जाएँ। हमें पहुँचने में थोड़ी देर हो गई इसलिए हमें पहाड़ों और सूर्योदय की झलक पाने के लिए सबसे ऊपर खड़ा होना पड़ा।
कंचनजंघा की चोटी पर सुबह की किरणें निश्चित रूप से ठंड रहती है। हम लोगों ने यहाँ करीब 1-1.15 घंटे बिताने के बाद अपनी कैब से वापस मिरिक के लिए निकले।
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मिरिक की सड़क सच में बहुत ही सुंदर है। इसकी सड़कों के किनारे लगे ऊँचे पेड़ इसे छाया देते हैं। 45-60 मिनट के बाद हम अपने पहले स्थान पर पहुँच गए। इंडो-नेपाल बॉर्डर पर हमने कुछ स्नैक्स और कॉफी का आनंद लिया।
फिर हमने मिरिक में झील के आसपास के क्षेत्र का पता लगा कर कुछ देर तक इस जगह की खूबसूरती का आनंद उठाया। मिरिक लोकप्रिय पर्यटन स्थल नहीं होने की वजह से यहाँ लोगों की भीड़ ज्यादा नहीं रहती है।
दोपहर करीब 2 बजे हम हमलोग फिर पशुपति मार्केट पहुँचे। आप यहाँ से कुछ नेपाली सामान खरीद सकते हैं। वापस दार्जिलिंग जाने के बाद हम बटेसिया लूप, दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर भी घूमे।
इस दिन हम लोगों ने एक शेयर वाली टैक्सी से कुछ रंगीन गाँवों को पार करते हुए कलिम्पोंग पहुँचे। आपके पास अगर समय रहे तो उस रास्ते में तिस्ता घाटी भी पड़ती है जहाँ आप ठहर भी सकते हैं। शेयर वाली टैक्सी से दार्जिलिंग से कलिम्पोंग तक जाने में 4-5 घंटे का समय लगेगा और इसका किराया करीब ₹200 है।
हम लोग दार्जिलिंग से सुबह 8 बजे निकले थे और दोपहर 1 बजे कलिम्पोंग पहुँच गए थे। यहाँ ₹700 किराया वाला एक कमरा लिया था। दोपहर में यहाँ पहुँचने की वजह से दर्शनीय स्थलों पर घूमने के लिए साझा टैक्सी नहीं मिली तो निजी टैक्सी लेना पड़ी। इस टैक्सी से ₹1100 खर्च करके हम डेओलो हिल्स, मंगल धाम, डरपिन मठ, कैक्टस फार्म समेत अन्य स्थलों पर घूमें। अगर आप सुबह 7-8 बजे तक कलिम्पोंग पहुँच जाएँगे तो आपको साझा टैक्सी मिल जाएगी।
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इसके बाद वाले दिन हमलोगों ने कलिम्पोंग से पश्चिम सिक्किम स्थित पेलिंग जाने और वहाँ एक दिन ठहरने की योजना बनाई थी। कलिम्पोंग से पेलिंग तक के लिए कोई डायरेक्ट टैक्सी उपलब्ध नहीं होने की वजह से हमें पहले तो साझा टैक्सी से जोरीथन फिर वहाँ से गेजिंग जाना पड़ा। यहाँ जाने में करीब 6 घंटे लगे थे और प्रति व्यक्ति लागत ₹400 आई थी।
गेजिंग से फिर साझा टैक्सी लेकर हम 30 मिनट में पेंलिग पहुँच गए। यहाँ दोपहर 2 बजे पहुँचने के बाद एक रात के लिए ₹500 किराया वाला एक कमरा लिया। यहाँ भी दोपहर में पहुँचने के कारण साझा टैक्सी नहीं मिली। और फिर हमें निजी टैक्सी से ₹1300 किराया में पेलिंग के प्रमुख पर्यटन स्थलों को देखने का मौका मिला। जैसे कंचनजंगा जलप्रपात, खोचोपारी झील, सिंग सांग ब्रिज आदि।
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इस दिन के अंत में हम हेलीपैड क्षेत्र में पहुँचे, जहाँ आपको सूर्यास्त का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलेगा। इसे देखने के बाद रात को हम कमरे में लौट गए।
अगले दिन हमलोग सुबह ही गंगटोक के लिए रवाना हो गए और पूरे दिन घूमते रहे। ध्यान रहे कि पेलिंग से गंगटोक जाने के लिए आपको साझा कैब पहले से ही बुक करनी होगी।
हमलोगों को इस बारे में जानकारी नहीं थी तो हमें डायरेक्ट साझा कैब नहीं मिल सकी। हमने सिंगटम के लिए ₹180 में एक साझा टैक्सी ली और फिर वहाँ से गंगटोक के लिए ₹60 में एक टैक्सी ली। पूरे दिन की इस यात्रा के बाद हम शाम 6-7 बजे गंगोटक पहुँच गए।
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रात के वक्त हमने गंगटोक मॉल रोड के बारे में पता लगाया जहाँ अच्छे रेस्तरां और खाने-पीने की व्यवस्था थी। गंगटोक में हमने गोआइबिबो के माध्यम से ₹400 किराए में 3 रात के लिए होटक बुक किया। इसलिए यहाँ ठहरने के लिए हमें किसी तरह की चिंता नहीं थी।
पहले दिन गंगटोक में हमने एक पैकेज टूर लिया जिसमें रूमटेक, फोडोंग जैसे कई और क्षेत्र समेत कुछ सुंदर झरने भी शामिल थे। ₹1500 के इस पैकेज में हमारा पूरा दिन लग गया।
इस दिन सबसे पहले हम रूमटेक मठ के लिए रवाना हुए और वहाँ भिक्षुओं के दैनिक जीवन यापन को देखा। फिर लिंग्डम मठ जाकर कुछ देर वहाँ ठहरे। यहाँ से एक खूबसूरत स्थान बंझाकरी जलप्रपात देखने पहुँचे, यहाँ आप स्थानीय कपड़े पहन कर फोटो भी क्लिक करवा सकते हैं।
अंत में ताशी व्यू प्वाइंट पर एक घंटा बिताने के दौरान हमें ताज़ी हवा और सूर्यास्त का खूबसूरत नज़ारा अनुभव करने का भी अवसर मिला।
यहाँ हमने एक दिन पहले ही ₹750 का पैकेज बुक किया था, जिसमें त्सोंगमो झील और नाथुला दर्रा जाने की तैयारी थी। लेकिन बर्फ भरी सड़कों की वजह से हम नाथुला दर्रा नहीं जा सके। इसिलए हमें त्सोंगमो झील तक की यात्रा के लिए सिर्फ ₹400 का ही भुगतान करना पड़ा।
हमारी यह यात्रा सुबह 8 बजे शुरू हो गई थी, जो परमिट के इंतजार में थोड़ी देरी से शुरू हुई थी। हम लोग करीब 1.5-2 घंटे में त्सोंग मो झील पहुँच गए थे। यहाँ हमने आसपास के खूबसूरत पहाड़ों की वादियों में बर्फ के साथ खेलते हुए कुछ घंटा बिताया।
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फिर यहाँ से गंगटोक के लिए निकले और शाम लगभग 3-4 बजे वहाँ पहुँच गए। वहाँ जाते ही बारिश होने लगी तो फिर हम बाहर निकल ही नहीं पाए और घर के अंदर ही रुकना पड़ा।
यहाँ इतनी ज्यादा बारिश हुई कि हमे लग रहा था कि अब उत्तरी सिक्किम की यात्रा रद्द करनी पड़ेगी। ऐसे में कुछ किया भी नहीं जा सकता था तो हमने कुछ समय गंगटोक मॉल रोड में विभिन्न तरह की बेकरी और कैफे में समय बिताया।
मौसम साफ होने के बाद हमारी उत्तरी सिक्किम की यात्रा शुरू हुई। इसकी लागत करीब ₹1300 थी। 2 दिन 1 रात की इस यात्रा में हम लाचुंग, युमथांग घाटी और जीरो प्वाइंट घूमने गए।
इस यात्रा की शुरुआत हमने सुबह थोड़ी देरी की थी। रास्ते में भी हम झरने समेत अन्य दृश्यों को देखने के लिए ठहरे थे। हमारी यात्रा तो देर से शुरू हुई थी लेकिन हम भाग्यशाली थे कि लाचुंग में हमें पहली बर्फबारी देखने का अवसर मिला।
वैसे लाचुंग में बर्फ नहीं पड़ती है लेकिन हमारी टैक्सी वहाँ पहुँचते ही बर्फबारी शुरू हो गई थी। थोड़ी ही देर में पूरा गाँव बर्फ से ढ़क गया। यहाँ से हम होमस्टे के लिए निकले और वहाँ स्वादिष्ट खाने का आनंद लिया।
कुछ देर यहाँ ठहर कर हमने नजारों का आनंद उठाया लेकिन जब ठंढ बढ़ी तो हम सोने के लिए अपने कमरे में वापस आ गए।
पिछली रात हिमपात होने की वजह से युमथांग घाटी का रास्ता बंद हो चुका था। इसलिए हम वापस गंगटोक लौट गए लेकिन लाचुंग में बर्फ का आनंद हमने खूब उठाया।
वापस शहर जाते समय हमलोगों ने लाचुंग से 25 कि.मी. दूर स्थित कटाओ जाने की योजना बनाई। एक घंटे में हम यहाँ पहुँच गए और यहाँ स्नोबॉल स्नो एंगल्स बनाकर हमने बर्फ में खूब मजे किए।
मेरी मानिए अगर आप लाचुंग जाते हैं तो बर्फ में मजा करने के लिए इस ऑफबीट गाँव की यात्रा करना मत भूलें।
रात करीब 9-10 बजे हम गंगटोक वापस लौट कर सो गए क्योंकि अगले दिन सुबह वापस सिलिगुड़ी के लिए निकलना था।
हमारी यात्रा का अंतिम दिन था। बागडोगरा के लिए हमने एक टैक्सी ली था क्योंकि अगले दिन सुबह हैदराबाद के लिए हमारी फ्लाइट थी। गंगटोक से बागडोगरा एयरपोर्ट जाने में 4 घंटे का समय लगा था। इसलिए टैक्सी का किराया ₹1000 लगा था।
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नोट: यहाँ निजी कैब के बारे में दी गई जानकारी 2 लोगों के लिए है। अगर आप अकेले यात्रा करेंगे तो कम खर्च के लिए साझा टैक्सी आपके लिए बेहतर विकल्प होगा। जबकि ग्रुप में यात्रा करने पर आप सभी मिलकर टैक्सी की लागत शेयर कर सकते हैं।
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