थाईलैंड- एक ऐसा देश जो आम भारतीयों के पसंदीदा विदेशी ठिकानों की सूची में जरूर कहीं न कहीं शामिल रहता ही है। कारण स्पष्ट है- भारत से कम दूरी के कारण सस्ती हवाई यात्रा का उपलब्ध होना, आसान वीजा प्रक्रिया और सस्ता बजट! दक्षिण-पूर्व एशिया में बसा यह छोटा सा देश आज दुनिया भर में पर्यटन का पर्याय बन चुका है और पर्यटकों को आकर्षित करने के मामले में पश्चिमी देशों को मात भी दे रहा है। वैसे आंकड़े तो हर साल बदलते रहते हैं फिर भी थाईलैंड की राजधानी बैंकाक आज दुनिया का वह शहर (Most Visited City of the World) बन गया है जहाँ सबसे अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं, परन्तु किसी खास शहर के बजाय सबसे अधिक विदेशी पर्यटक खींचने वाले पूरे देश (Most Visited Country of the World) की बात की जाय तो शायद फ्रांस पहले नंबर पर है। कहा जाता है की आज थाईलैंड ही वो जगह है जहाँ पूर्व पश्चिम का स्वागत करता है।
उपरोक्त कारणों से स्वाभाविक ही है की हमारी भी इच्छा इस देश को देखने की पिछले कुछ वर्षों से थी। दोस्तों के साथ मैंने भी 2012 में ही पासपोर्ट तो बनवा लिया था, पर किसी कारणवश उस समय यात्रा का कोई संयोग नहीं बन पाया, फिर आगे के कुछ वर्षों तक अपने देश के ही अलग-अलग कोने घूमता रहा। पासपोर्ट की वैधता दस वर्ष होती है जिनमें अब पांच वर्ष गुजर चुके थे। थाईलैंड के लिए बहुत सारे दोस्तों के साथ बातचीत होती रहती पर सफल नहीं होती। अंततः यह यात्रा उसी मित्र (रवि) के साथ संपन्न हुई जिनके साथ मिलकर मैंने पासपोर्ट बनवाया था, साथ में एक और नए मित्र थे मुकेश।
थाईलैंड जाने का सबसे अच्छा समय दिसंबर-जनवरी का ही होता है, परन्तु हवाई टिकट लेने में कुछ देरी के कारण किराया काफी बढ़ चुका था और हमें मार्च की टिकट लेनी पड़ी। बैंकाक में दो एयरपोर्ट हैं- एक सुवर्णभूमि औरदूसरा डॉन-मुएंग। सुवर्णभूमि मुख्य एयरपोर्ट है जो मुख्य शहर से 20 किमी की दूरी पर है जबकि डॉन मुएंग लगभग 40 किमी पर, पर इससे कुछ ख़ास फर्क नहीं पड़ता। पर हाँ, एयर एशिया की सारी फ्लाइट डॉन मुएंग ही उतरती है। सुवर्णभूमि उतरने वाली उड़ानों जैसे स्पाइस जेट वगैरह का किराया कुछ अधिक भी हो सकता है। अगर आप एयर एशिया की टिकट ले रहे हों तो ध्यान दें की उनकी सस्ती टिकटों में सिर्फ सात किलो हैंड लगेज ले जाने की ही अनुमति होगी, अधिक लगेज का किराया अलग। हमारी भी टिकट कोलकाता से बैंकाक की एयर एशिया की ही थी। थाईलैंड के तीन शहर बैंकाक, पटाया और फुकेत हमारे कार्यक्रम में पहले से शामिल थे ही, अंत में हमने मलेशिया के कुआलालम्पुर को भी शामिल कर लिया। इस प्रकार चार उड़ाने हुई- कोलकाता से बैंकाक, बैंकाक से फुकेत, फुकेत से कुआलालम्पुर और कुआलालम्पुर से वापस कोलकाता। इनमें से सिर्फ बैंकाक से फुकेत की एक घरेलू उड़ान वियतनाम की एयरलाइन विएटजेट की थी, बाकी तीन एयर एशिया की।
थाईलैंड की वीजा प्रक्रिया काफी आसान है। भारत में रहकर ही अग्रिम वीजा (Pre-visa) और वीजा ऑन अराइवल (Visa on Arrival) दोनों की सुविधा उपलब्ध है। वैसे भारत स्थित थाईलैंड के किसी दूतावास में जाकर वीजा की फीस करीब ढाई हजार रूपये है जबकि वीजा ऑन अराइवल में यह दो हजार थाई भट यानि चार हजार रु से भी कुछ अधिक ही है, जो की पिछले साल तक सिर्फ एक हजार थाई भट यानि दो हजार रु ही था। एक थाई भट करीब दो रूपये के बराबर होता है। पहले से वीजा लेने में थोड़ी-बहुत कागजी प्रक्रिया से बचने के लिए हमने वीजा ऑन अराइवल को ही चुना। वीजा ऑन अराइवल के लिए कुछ ही जरुरी दस्तावेज चाहिए- पासपोर्ट, पासपोर्ट साइज फोटो, वापसी की टिकट, होटल बुकिंग की प्रति, और दस हजार थाई मुद्रा या थाई भट (Thai Baht) जो आम तौर पर वे जाँच नहीं करते, फिर भी कोई भी जोखिम न उठाते हुए हमने एक लोकल ट्रेवल एजेंट से दस हजार थाई भट खरीद लिए जिसके लिए हमें इक्कीस हजार से कुछ अधिक ही चुकाने पड़े। एक थाई भट की कीमत लगी- दो रु चौदह पैसे (1THB = 2.14INR). वहीँ मलेशिया के वीजा के लिए ये सब कुछ करना नहीं पड़ता। मलेशिया के ऑफिसियल साइट www.windowmalaysia.my पर जाकर आसानी से वीजा प्राप्त किया जा सकता है। मलेशिया के सामान्य ई-वीजा की फीस करीब छब्बीस सौ रु है, लेकिन मार्च 2018 तक एक खास ऑफर के तहत एंट्री नोट (eNTRI Note) नामक खास वीजा की फीस सिर्फ भारतीयों के लिए आधी यानि सिर्फ चौदह सौ रु ही थी जिसका लाभ हमने उठाया।
तो यात्रा आरम्भ की तिथि थी 14 मार्च 2018 की। 15 मार्च की रात दो बजे की फ्लाइट थी, जिस कारण हमें 14 की शाम ही जमशेदपुर से कोलकाता प्रस्थान करना था। रात की उड़ानों में तारीख बदलने के कारण कभी-कभी उड़ान के समय को समझने में गड़बड़ी भी हो सकती है। उदाहरण के लिए इस फ्लाइट में समय लिखा था 15 मार्च, 2.05 AM, यानि 14 से 15 मार्च वाली रात, न की 15 से 16 वाली। चार घंटे की ट्रेन यात्रा कर हम रात आठ बजे कोलकाता पहुंचे, वहीँ हमारे घुमक्क्ड़ी दिल से ग्रुप के एक सदस्य किसन जी को आने की आकस्मिक सूचना देकर मैंने उन्हें जरा परेशानी में डाल दिया। उन्हें किसी अन्य पार्टी में जाना था, परन्तु हमारे लिए पार्टी की कुर्बानी दे दी और कुछ समय हमारे साथ बिताये। उनका साथ एयरपोर्ट तक रहा।
कोलकाता एयरपोर्ट पर अंतर्राष्ट्रीय उड़ान का यह पहला मौका था। बैंकाक जाने वाले बहुत सारे भारतीय होते है, परन्तु सारे पर्यटक नहीं होते, बहुत से लोग किसी बिजनेस के सिलसिले में भी नियमित तौर पर आना-जाना करते रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में घरेलू उड़ानों की तुलना में कुछ अतिरिक्त औपचारिकताएं करनी पड़ती है। एयरलाइन काउंटर वालों ने वापसी की टिकट के बारे भी पूछा। फिर इमीग्रेशन वालों ने कुछ सवाल किये- साथ में कौन-कौन है? यात्रा का उद्देश्य, वीजा का प्रकार, पेशा आदि। आगे कस्टम की भी एक लाइन होती है परन्तु जब तक कोई आपत्तिजनक सामान साथ न हो, वे नहीं रोकते।
फ्लाइट का समय हो चला और बोर्डिंग शुरू हो गयी। ढाई घंटे की फ्लाइट थी जो सुबह छह बजे बैंकाक स्थानीय समयनुसार पहुंचाने वाली थी। थाईलैंड का समय भारत से डेढ़ घंटे आगे है। फ्लाइट में हमें एक अराइवल-डिपार्चर कार्ड दिया गया जिसे भरना था। बाद में इसे बैंकाक पहुँचने पर वीजा के काउंटर पर दिखाना था। लैंडिंग से पहले रात के अँधेरे में बैंकाक चकाचक चमक रहा था, बहुत बड़ा कोई शहर होने का आभाष दे रहा था। सही समय पर सुबह छह बजे हम डॉन मुएंग एयरपोर्ट पर उतर गए। उतरने के तुरंत बाद कुछ इमीग्रेशन पुलिस वाले खड़े थे। वे किसी को भी बुला बुला कर पासपोर्ट वगैरह जाँच रहे थे। हम भी बच नहीं पाए और उन्होंने हमें भी सारे कागजात दिखाने को कह डाला, फिर जाने दिया।
आगे वीजा ऑन अराइवल की काउंटर की तरफ हम बढे। भीड़ तो थी पर अगर हम सुवर्णभूमि एयरपोर्ट पर उतरते तो इससे अधिक भीड़ का सामना करना पड़ता। यह फायदा हमें डॉन मुएंग एयरपोर्ट पर मिला। फिर भी सारी प्रक्रिया में एक-डेढ़ घंटे का वक़्त लग ही गया। वैसे वीजा ऑन अराइवल का फॉर्म हम पहले ही प्रिंट कर और भरकर ले गए थे, जिस कारण कुछ समय की बचत जरूर हुई।
अब हम थाईलैंड में प्रवेश कर चुके थे। बड़े बड़े अक्षरों में एयरपोर्ट के बाहर लिखा था- SAWASDEE यानि नमस्ते! WELCOME TO THAILAND !