भारत अपनी संस्कृति और मंदिरों के लिए जाना जाता है। भारत में बहुत से मंदिर है, हर मंदिर की अपनी एक विशेषता है परन्तु भारत मे कुछ ऐसे मंदिर भी है जो की सबसे अलग है और जिनके बारे में आपको बहुत कम लोगों से सुनने मिलेगा।
ऐसे ही एक जगह के बारे में मैं आपको आज बताने जा रहा हूँ जो की भारत के मध्य प्रदेश मे छतरपुर जिले मे स्थित है। छतरपुर जिले से 65 किलोमीटर की दुरी पर स्थित खजुराहो के मंदिर अपनी अद्भुत शिल्पकला और अकल्पनीय मूर्तिकला के लिए पूरी दुनिया भर में मशहूर है।
वहीं इन मंदिरों की दीवारों पर बनी कामोत्तेजक मूर्तियाँ यहाँ आने वाले सभी सैलानियों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करती हैं। UNESCO के द्वारा घोषित वर्ल्ड हेरिटेज साइट मे शुमार खजुराहो के मंदिर अपनी तरफ पर्यटकों को खासा आकर्षित करते है
खजुराहो ग्रुप आफ मॉन्यूमेंट्स - हिन्दू और जैन मंदिरो का एक समूह है जो की नगारा आकृति में बने हुए है, देखने में ये इतने प्यारे लगते है जिसकी भव्यता को शब्दों मे बया नहीं किया जा सकता। खजुराहों के इस प्राचीन मंदिर को तीन अलग-अलग समूहों में बाँटा गया है, जिसमें पूर्वी समूह, पश्चिमी समूह एवं दक्षिणी समूह आदि हैं।
कैसे पहुँचे
इस नगर की लोकप्रियता का अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला या बड़ा शहर ना होने के बावजूद भी यहाँ रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट है। जी हाँ, सही पढ़ा आपने, भारत में शायद ही ऐसी कोई जगह होगी या सही मायने में कहा जाये तो एक गाँव जहा एयरपोर्ट हो।
खजुराहो के रेलवे स्टेशन से आपको दिल्ली कानपुर, उदयपुर, दिल्ली आदि जगह के लिए नियमित ट्रैन मिल जाएँगी।
खजुराहो में खजुराहो हवाई अड्डा है जहाँ से आपको दिल्ली, वाराणसी, मुंबई, कोलकाता आदि जगह के लिए डायरेक्ट फ्लाइट मिल जाएँगी। यह हवाई अड्डा खजुराहो शहर से 4 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। राजमार्ग से भी खजुराहो अच्छी तरह से जुड़ा है। यह झांसी, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर से NH -75 से जुड़ा है। मैं दिल्ली से विमान मे सवार होकर खुजराहो पहुँचा।
कहाँ रुकें
खजुराहो एक प्रमुख टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने के कारण यहाँ आपको बहुत से होटल और हॉस्टल मिल जाएँगे। यहाँ कई बड़े 5 स्टार होटल भी हैं जो मंदिर के समूह के सामने स्थित हैं, जहाँ से आपको मंदिर के समूह का भव्य व्यू दिखाई देगा।
विदेशी पर्यटको के अधिक आने के कारण आपको होटल थोड़े मेहेंगे मिलेंगे।
तैयार होकर मैं निकल पड़ा इन मंदिरो के समूह को देखने के लिए। मंदिर के सामने ही बहुत सारे खाने के होटल मिल जाएँगे, वहाँ हमने लंच किया और उसके बाद मंदिर मे एंट्री की
एंट्री फीस = ₹40
एंट्री करते ही मनमोहक दृश्य आँखो के सामने था। चारो तरफ हरे भरे गार्डन और थोड़ी थोड़ी दूर पर मंदिर स्थित थे। थोड़ा बारीकी से जानने के लिए हमने एक गाइड किया जिसने ₹400 में हमें सटीक जानकारी दी। उनके अनुसार 950 और 1050 ईसवी के बीच खजुराहों के इस प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण चंदेला वंश के शासक चंद्रवर्मन ने करवाया था जिसमें से लक्ष्मण और शिव जी को समर्पित विश्वनाथ जी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है।
12 वीं शताब्दी तक खजुराहों के मंदिर का सौंदर्य और आर्कषण बरकरार था, लेकिन वहीं इसके बाद 13वीं से 18 सदी के बीच मध्यप्रदेश के खजुराहों के ऐतिहासिक और अद्भुत मंदिर मुस्लिम शासकों के नियंत्रण में थे। इस दौरान अपनी अद्भुत कलाकृति और शाही बनावट के लिए मशहूर इन मंदिरों को नष्ट भी कर दिया गया था।
आपको बता दें कि लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने 1495 ईसवी में बलपूर्वक खुजराहों के कई प्रसिद्ध मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था। पहले मंदिरों की संख्या 85 थी, जो कि पहले 20 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए थे, और अब इनमें से सिर्फ 20 मंदिर ही ऐसे बचे हैं, जो कि 6 किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं।
खजुराहों के मंदिर में दीवारों पर बनी इन अद्धितीय मूर्तियों की बेहतरीन कारीगिरी और नक्काशी की हर कोई तारीफ करता है। हालांकि, इस मंदिर में बनी हुई कामुक कलाकृतियाँ को लेकर इतिहासकारों और विद्दानों के अपने अलग-अलग विचार है।
खुजराहों के मंदिर में बनी कामोत्तेजक मूर्तियाँ इसकी प्रमुख विशेषता हैं, इन आर्कषक मूर्तियों के द्धारा जो कामुक कला के अलग-अलग आसन प्रदर्शित किए गए हैं। कुछ इतिहासकार और विद्धान यहाँ कामोत्तेजक प्रतिमा बनाए जाने के पीछे यह तर्क देते हैं कि यहाँ बेहद प्राचीन समय से कामुकता का अभ्यास किया जाता रहा है, जबकि कुछ इतिहासकारों ने चंदेला साम्राज्य के समय में बनाए गए इस भव्य मंदिर की दीवारों पर बनी कामोत्तेजक कलाकृतियां को हिन्दू परंपरा का एक हिस्सा बताया है, जो कि मानव शरीर के लिए बेहद जरूरी है।
कुछ लोगों के मुताबिक यह अद्भुत प्रतिमाएँ मध्यकालीन समाज की कमजोर नैतिकता को दर्शाती है, तो कुछ लोगों का मानना है कि यह कलाकृतियाँ कामशास्त्र के पौराणिक ग्रंथों के रचनात्मक आसनों का प्रदर्शन करती हैं, वहीं इन मूर्तियों पर बने स्त्री और पुरुष के चेहरे पर अलौकिक आनंदमयी भाव दिखाई देते हैं।
चौंसठ योगिनी मंदिर – खजुराहों यह मंदिर 64 योगिनियों को समर्पित सबसे प्राचीन मंदिर है। जिसका निर्माण ग्रेनाइट के सुंदर पत्थरों से किया गया है।
इस प्रकार हमने पुरे खजुराहो के प्राचीन मंदिर के दर्शन किए। उसके बाद हम म्यूजियम गए जो के पास में ही है, जहाँ जैन बुद्ध से रिलेटेड कुछ सामान आज भी रखे हुए है एवं चंदेल राज के सामान भी यहाँ संभाल कर रखे गए है।
टाइम ऑफ़ विजिट = सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक
एंट्री फीस = ₹10
इस प्रसिद्ध और भव्य मंदिर के अंदर भगवान शंकर जी को समर्पित विश्वनाथ जी का मंदिर बना हुआ है, जो कि यहाँ बने सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक हैं।
करीब 31 मीटर ऊँचे बने खजुराहों का यह कंदरिया महादेव मंदिर खुजराहों के मंदिरों में सबसे विशाल और भव्य मंदिर है, जो कि भगवान शिव जी को समर्पित है। इस मंदिर में कामुकता को दर्शाती हुईं करीब 872 मूर्तियाँ हैं, और प्रत्येक मूर्ति की ऊँचाई करीब 1 मीटर है।
अपनी आर्कषित और मनमोहक कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो का यह प्रसिद्ध मंदिर शिव वाहक नंदी को समर्पित है, जिसकी लंबाई कुल 2.20 मीटर है, और इसमें 12 खंभे बने हुए हैं। यह प्रसिद्ध मंदिर विश्वनाथ मंदिर के आकृति के सामान है।
लक्ष्मण मंदिर – दुनिया के इस भव्य मंदिर के अंदर पर लक्ष्मण मंदिर काफी प्रसिद्ध है, इसके रामचंद्र चतुर्भुज मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित ऐसा मंदिर है, जो कि चंदेल वंश के शासकों के समय में बनाया गया था।
देवी जगदंबा मंदिर
कुंडलीदार और बेहद जटिल रचना के आकार में बने इस विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के अंदर के अंदर देवी जगदंबा का मंदिर है, जो कि कंदरिया महादेव के उत्तर की तरफ बना हुआ है जो कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्द है।
वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल खजुराहो के मंदिर के अंदर माता पार्वती को समर्पित खूबसूरत मंदिर बना हुआ है, इस मंदिर में देवी गंगा भी विराजमान है।
मतंगेश्वर मंदिर, खजुराहों का सबसे प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण राजा हर्षवर्मन द्धारा करीब 920 ईसवी में करवाया गया था, इस मंदिर में 2.5 मीटर का शिवलिंग भी मौजूद है, जहां अभी भी पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिरों के अलावा यहाँ वराह एवं लक्ष्मी का मंदिर भी बना हुआ है।
वहीं पूर्वी समूह के मंदिरों में वामन, विष्णु के वामन अवतार को समर्पित वामन, जैन, जावरी मंदिर स्थित हैं, जबकि दक्षिण समूह के मंदिरों में चतुर्भुज, दूल्हादेव आदि प्रसिद्ध हैं।
इसके साथ ही यहाँ लाइट एवं साउंड शो भी होता है।
लाइट एंड साउंड शो फीस = ₹400
सूर्य मंदिर
अपनी विशेष कलाकृति के लिए मशहूर इस प्रसिद्द खजुराहो के मंदिर के अंदर भगवान सूर्य को समर्पित चित्रगुप्त का मंदिर बना हुआ है जिसमें भगवान सूर्य की एक बेहद आर्कषक करीब 7 फीट ऊँची मूर्ती रखी गई है, जो कि 7 घोड़े वाले रथ को चलाती हुई प्रतीत होती है।
अगर आप लम्बा टूर बनाये तो वहाँ से ही पन्ना टाइगर रिज़र्व जा सकते है। और साथ ही ओरछा का प्लान भी बना सकते है
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