अगले साल के वीकेंड तो तय हो जाते हैं पर दोस्तों के साथ उन वीकेंड पर प्लान बनाना बहुत ही दर्दनाक और थका देने वाला काम है। ऐसे ही एक वीकेंड प्लान करते हुए मैं काफी परेशान हो गई और फिर मैंने फैसला किया अकेले जाने का। इंडिया में अकेले घूमने का कांसेप्ट काफी नया है और लड़कियों के लिए यह एक अलग ही दिक्कत है। माँ बाप से लेकर बॉयफ्रेंड सब आपको अलग अलग तरीके से यह बताने लग जाते हैं कि यह आपके लिए सही नहीं है। पर लड़ने और बहस कि जगह मैं तो यही सलह दूँगी कि बस बुकिंग करो और निकल पड़ो। केरला जाने का बहुत मन था पर छुट्टियाँ थी सिर्फ तीन। दोस्तों ने तो धोखा दे ही दिया था और मैंने भी कसम खा ली थी कि इस वीकेंड तो मैं बैकवाटर्स में कश्ती पर सवार हो कर ही रहूँगी।
तो दिल्ली से सुबह पाँच बजे मैंने एयर इंडिया की फ्लाइट पकड़ी और पहुँच गयी कोच्ची हवाई अड्डा। केरला पहुँचने के लिए दूसरा एयरपोर्ट तिरुवनन्थपुरम में हैं। वहाँ मेरी ज़ूमकार मेरा वेट कर रही थी। अब सोलो ट्रेवल करने के लिए अपनी चलाई हुई गाड़ी से ज़्यादा बढ़िया क्या हो सकता है! वहाँ से मैं सुबह सुबह ही निकल पड़ी अल्लेप्पी के लिए जो कोच्ची से 53 कि.मी. दूर था। बढ़िया सी इडली-सेट डोसा के नाश्ते के बाद, फुल वॉल्यूम पर गाने लगाकर मैं ड्राइव करने लगी। इतना आज़ादी का एहसास शायद मुझे पहले कभी नहीं हुआ था। सालों से आप यह सुनते आये हो कि लड़कियों को यह नहीं करना चाहिए, वो नहीं करना चाहिए, पर ऐसे कुछ ख़ास लम्हें ही होते हैं जब आपको लगता है कि ज़िन्दगी में उत्साह हो तो सब मुमकिन है। अल्लेप्पी में मैं ज़ॉस्टल जो इंडिया की प्रसिद्ध हॉस्टल चेन है में एक बेड बुक किया हुआ था। ज़ॉस्टल में रहना काफी सस्ता पड़ता है और आप देश विदेश से आये पर्यटकों से घुल मिल भी सकते हैं।
ज़ॉस्टल में चेक इन के बाद मुझे दो जर्मनी के लोग मिले। उनको भी बैकवाटर में बोटिंग करनी थी। अल्लेप्पी अपनी हॉउसबोट्स के लिए फेमस हैं। आलीशान हॉउसबोट्स ₹10,000 रात के हिसाब से भी मिलती हैं और सिर्फ सैर करने के लिए आपको ₹400 में 3 घण्टे वाली छोटे बोट भी मिल जाएगी। तो दिन में थोड़ा आराम करने के बाद हम तीनों निकल पड़े बोटिंग के लिए। ₹1200 में हम तीन लोगों ने तीन घंटो के लिए बोटिंग शुरू की। जितना बताया गया था, उतना ही खूबसूरत नज़ारा था। इतनी शान्ति, इतना सुकून देखकर मन काफी खुश था। हम तीनों लड़कियों ने खूब साड़ी तसवीरें निकाली। ढलते हुए सूरज की वजह से रंग बहुत प्यारे और खिले हुए दिख रहे थे। आप खुद तस्वीरों से देख लीजिये इस खूबसूरती को।
इस यादगार बोटिंग के बाद हम ज़ॉस्टल वापिस आए जो अल्लेप्पी बीच के एकदम साथ था। शाम को वहाँ पर अच्छी हवा चल रही थी और मेरे ख्याल और लज़ीज़ खाना। दिन ख़त्म होने तक मैं में काफी संतुष्टि थी, उसी ख़ुशी को मैंने घर पर फोन करके ज़ाहिर किया पर वहाँ पर वही सावधानी से रहने का लेक्चर मिला। पर मेरा उत्साह और ख़ुशी इतनी ज़्यादा थी कि मैं मुस्कुराते हुए सो गई। अगले दिन सुबह मैं निकल पड़ी वर्कला के लिए। वर्कला एक छोटा सा ज़िला अल्लेप्पी से 100 कि.मी. दूर जहाँ की बीच काफी चर्चित हैं। करीब 1 बजे के करीब मैं वहाँ पहुँच गयी और ब्लैक बीच रिसोर्ट में चेक इन किया। क्या नज़ारा था, क्या आलम था उस जगह का। वर्कला बीच के साथ एक पहाड़ी चलती है जिस पर सारे रिसोर्ट और रेस्टोरेंट हैं। आपके तबियत वहाँ पहुँच कर अपने आप बढ़िया हो जाएगी।
भारी लंच और बीयर पीने के बाद मैंने समंदर में जाने का सोचा। वर्कला बीच बाकी बीच से काफी ज़्यादा साफ़ और शांत थी। अगर आपको स्विमिंग नहीं भी आती फिर भी आप अंदर तक आसानी से जा सकते हो। सर्फिंग के लिए भी यह एक अच्छी जगह है। ढलते हुए सूरज और हल्की -हल्की लहरों के बीच मैं कहीं खो गयी थी। पर जहाँ भी थी, खुश थी। रात को मैंने पूरी पहाड़ी का एक चक्कर लगाया। वर्कला विदेशी पर्यटकों से भरा रहता है और इसी वजह से आपको हर तरीके का खाना यहाँ मिलेगा। रास्ते में लोग एक ताज़ी मछली और झींगा बेचते हुए भी नज़र आयेंगे। रेस्टोरेंट में आप अपनी मछली खुद पसंद करके भी खा सकते हो। रास्ते में आपको काफी सारे मसाज पारलर भी नज़र आएँगे जो ₹500 से ₹1000 में फुल बॉडी मसाज करेंगे। यही खूबसूरती में खोकर और दो चार बीयर पीकर मैं सो गयी क्योंकि अगले दिन मुझे फिर त्रिवेंद्रम के लिए निकलना था। मैंने त्रिवेंद्रम से फ्लाइट इसलिए बुक की क्योंकि वो वर्कला से सिर्फ 65 कि.मी. दूर है। तो सुबह बढ़िया-सा नाश्ता करके मैं अपनी गाड़ी में सवार निकल पड़ी त्रिवेन्द्रम एयरपोर्ट के लिए। सोलो ट्रैवल की कहानियाँ तो बहुत सुनी थी पर मैं अपनी कहानी खुद रचूँगी यह कभी सोचा ना था।