

पिछले 2 साल से मैं इसी कोशिश में था की केदारनाथ - तुंगनाथ चंद्रशिला जाना है ,लेकिन जॉब के चलते मुमकिन नहीं हो रहा था की वक़्त कैसे निकालू और कोई साथ जाने वाला भी नहीं था | 11 अक्टूबर 2020 अभी एक हफ्ता ही हुआ था हिमाचल से दिल्ली आये हुए की अचानक रात को करीब 11 बजे मुझे दोस्त का फ़ोन आया की केदारनाथ - तुंगनाथ चंद्रशिला जा रहे है 29 अक्टूबर को तुम चल लेना, बिना सोचे समझे मैंने हाँ तो कह दिया कोरोना का समय भी था और मेरी जॉब भी नहीं थी,मौका भी मिल रहा था जाने का 2 साल बाद । हम 16 लोग थे और 29 अक्टूबर की रात हम टेम्पो ट्रैवलर से ऋषिकेश के लिए निकल पढ़े।।

अगले दिन जब मैं ऋषिकेश पहुँचा वह दिन की शुरुआत ही कुछ अलग थी मानो की पहाड़ो ने दुबारा बुला लिया अपने पास ,दोपहर को करीब 2 दो बजे हम सबने बंजी जंपिंग और रिवर राफ्टिंग करने का मन बनाया और चल दिए | रिवर राफ्टिंग मेरे लिए दूसरी बार था और बंजी जंपिंग पहली बार, ऊंचाई से मुझे डर लगता था लेकिन मन में यह भी था की अगर यह नहीं किया तो स्काई डाइविंग कैसे करुंगा ;कोशिश करके आखिर मैंने कर लिया |
31अक्टूबर 2020 सुबह के 7 :30 बजे हम ऋषिकेश से केदारनाथ के लिए निकल गए |रात करीब 10 बजे होटल पहुंचने के बाद हमने दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जो कि जरूरी था , 01 नवंबर 2020 हमने बाबा केदरनाथ की आरती देखी और दर्शन किए और उसी दिन हमने चोपता पहुंचना था जहाँ पर हमारा रात का कैंप था | 11 बज चुके थे अगर पैदल उतरते तो ज्यादा समय लगता जितना आने था पूरा एक दिन , हमने यह तय किया हम हेलीकाप्टर से वापिस जायेंगे जो की काफी हद तक नामुमकिन था | लाख कोशिश करने के बाद हमे 7 लोगो की टिकट मिली और हम 6 लोग वापिस नीचे होटल आ गए और हमारा एक दोस्त मौसम ख़राब होने की वजह से ऊपर ही रह गया । 4 घण्टे के बाद जब वह नीचे आया हम चोपता के लिए रवाना हो गए |
02 नवंबर 2020 तुंगनाथ चंद्रशिला के लिए सुबह 4:30 बजे हमने ट्रेक शुरू किया क्योकि मैं चंद्रशिला से सूर्य उदय देखना चाहता था | शाम को रास्ते में लाइट न होने की वजह से थोड़ा टाइम लगा और 6:30 बजे तक हम सब नीचे आ गए । अगली दोपहर 03 नवंबर 2020 को वापिस दिल्ली के लिए रवाना हो गए ।