इरादा तो था अपनी सालाना गोआ यात्रा पर जाकर बीच पर लेटने, वाइन गटकने और जुल्फों से होकर गुजरती ठंडी हवाओं का लुत्फ उठाने का ही, मगर फिर ख्याल आया कि क्यों न इस बार ट्रिप में हल्का बदलाव कर, कुछ और जगहों पर घूम लिया जाए। तो उसी बात को ध्यान में रखकर प्लानिंग शुरू हो गई।
मैंने ट्रेन यात्रा की खूबसूरती के बारे में बहुत सुना था। इसलिए जहाँ भी सम्भव हो सका, मैंने अपनी ट्रिप पर सड़क से ज्यादा रेलमार्ग को तरजीह दी। यात्रा की शुरुआत हुई बैंगलोर से उडुपी के लिए, और फिर वहाँ से याना की गुफाओं से होते हुए गोकर्ण और फिर गोआ!
यात्रा से जुड़ी सभी जानकारियों, खर्चों, रुट व वहाँ बिताए गए समय की विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ना जारी रखें।
पहला दिन:- बैंगलोर से उडुपी
उडुपी कर्नाटक में अरब सागर का एक तटीय शहर है। मैंने बैंगलोर से 'करवर एक्सप्रेस' पकड़ी और फिर सकलेशपुरा, भंटवारा, मंगलोर होते हुए 12 घन्टे में उडुपी पहुँच गया। अगर सफर की साथी एक क़िताब या कुछ।खूबसूरत गाने हों, तो रास्ता और भी मनमोहक नजर आने लगता है।
दूसरा दिन:- मलपे और संत मैरी द्वीप
यूँ तो उडुपी अपनी विश्वप्रसिद्ध कृष्ण मंदिर के लिए जाना जाता है, मगर यहाँ के बाजार और समुद्रतट इसकी मनोरमता पर चार चाँद लगा देते हैं। सिटी सेंटर से ₹40/- रुपये में रिक्शा आपको मलपे पोर्ट पर छोड़ देती है, जहाँ कदम रखते ही वहाँ की जीवंतता आपको थामकर रख लेगी। जहाजों का आना-जाना, मछुआरों का जाला बुनना, कौओं का काँव-काँव के बीच मछलियों का मचलना, सब खूबसूरत लगता है। पोर्ट से मलपे तट तक जाने के लिए आपको थोड़ा चलना पड़ेगा, जहाँ जाकर आप प्राइवेट नावों में।बैठकर संत मैरी द्वीप भी जा सकते हैं। संत मैरी द्वीप खुद में एक अलग खूबसूरती है। वहाँ जाकर आप अपना पूरा दिन गुजरकर, शाम में वापस तट पर भी आ सकते हैं।
घूमने की जगहें:- कृष्ण मंदिर, मलपे, संत मैरी द्वीप, उदयवार पिथरोड़ी और कपु द्वीप।
तीसरा दिन:- याना की गुफा
उडुपी से 180 किलोमीटर दूर स्थित है भैरवेश्वर शिखर और मोहिनी शिखर। ये अनोखे पर्वत समुद्रतट के किनारे घने जंगलों के पीछे बसे हैं। याना की।गुफाओं तक जाने के लिए ट्रैक बने हैं, जिससे होते हुए आप आसानी से इस जगह पहुँच सकते हैं। प्रकृति के बीच बने इस गुफा की खूबसूरती बढ़ाने में विभूति झरना भी अपना बहुत योगदान देती है। याना की गुफा घूमने के लिए आधा दिन काफी है। ध्यान रहे, आसपास कोई रेस्टोरेंट या होटल नहीं। इसलिये खाने और रहने के लिहाज से आपको सिरसी और कुमटा जाना पड़ सकता है।
घूमने की जगहें:- ट्रैक, गुफा, विभूति झरना, मरवनथे (सड़क मार्ग लेने पर)।
चौथा दिन:- गोकर्ण
सड़क मार्ग से लगभग 1 घन्टे की ड्राइव के बाद आप याना से 50 किलोमीटर दूर बहुप्रसिद्ध गोकर्ण पहुँच जाते हैं। कुमटा से आप ट्रेन द्वारा 20 मिनट में ही यहाँ पहुँच सकते हैं। पार्टी और शोर-शराबों से दूर गोकर्ण प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं। रहने के लिए ओम बीच और कुडले बीच पर रहने की सुगम व्यवस्था है। मनोरंजन के लिए यहाँ भी पर्याप्त जलीय खेलों की व्यवस्था है।
घूमने की जगहें:- ओम बीच, महागणपति और महाबलेश्वर मन्दिर, पैरेडाइज बीच, कुडले बीच और हाफ मून बे।
पाँचवा दिन:- गोआ
130 किलोमीटर की ड्राइव या अरबी तट की खूबसूरत ट्रेन यात्रा कर आखिर में आप पहुँचते हैं सफर के अंतिम पड़ाव और भारत की पार्टी कैपिटल- 'गोआ'। यहाँ का बेनौलिम बीच आपके मन को लुभा लेगा। समुद्रतट पर बने इस बीच पर मनोरंजन और रहन-सहन से लेकर खाने-पीने की भी पूरी व्यवस्था है। ऐसी ही किसी समुद्रतट पर लेटकर आप सामने फैले समुद्र, ऊपर आकाश में चमकते सितारों और पीछे बजते पार्टी सॉन्ग्स का लुत्फ उठा सकते हैं।
बैंगलोर से लेकर गोआ तक की ये यात्रा काफी लुभावनी है, और कहना न होगा, काफी सस्ती भी। इन्सान को अपने जीवन में एक बार तो गोआ आ ही जाना चाहिए। एक तरफ पर्वत, एक ओर समुद्र। ऐसा नजारा ज्यादा कहाँ देखने को मिलता है...
(अनुवादित:- https://tripoto.page.link/pMkQ)