यात्रा - एक ही समय में खो जाने और पा लेने का सबसे अच्छा तरीका..
इसी भाव के साथ हम निकल पड़े दक्षिण के मोती कर्नाटक की सैर पे।
दिल्ली हवाई अड्डे से रात 10 बजे की फ्लाइट लेकर हम करीब 12:30 बजे कैम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र बंगलौर पहुंचे।
वहां से सुबह 6 बजे मैसूर बस अड्डा और मैसूर से KSRTC(Karnataka State Road Transport Corporation) की बस से दोपहर बाद कुर्ग पहुंचे। लगभग 3 -3 1/2 घण्टे का ये सफर बहुत ही आनंदित करदेने वाला था।
अगर आप प्रकृति प्रेमी है तो यह जगह आपको तनिक भी निराश नहीं करेगी।
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कुर्ग या कोडागु, कर्नाटक के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। कूर्ग, कर्नाटक के दक्षिण पश्चिम भाग में पश्चिमी घाट के पास एक पहाड़ पर स्थित जिला है। कूर्ग को भारत का स्कॉटलैंड कहा जाता है और इसे कर्नाटक का कश्मीर भी कहा जाता है..। कोडगु, दक्षिण भारत के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है। मुख्यतः कूर्ग के नाम से विख्यात, यह क्षेत्र कर्नाटक का एक प्रभावशाली आकर्षण है। मदिकेरी इस क्षेत्र की राजधानी है और कावेरी नदी का उद्गम स्थल है, जो दक्षिण भारतीय सभ्यता की आत्मा है|
80% पर्यटन स्थल मदिकेरी में है और 20% कुशलनगर में। मेरे साथ मेरा मित्र हरीश भट्ट था।
यहाँ रहने के लिए आपके बजट के हिसाब से हर तरह के होटल , गेस्ट हाउस आदि हैं।
अगले दिन हम निकल पड़े कुर्ग की सैर पर..पहला पड़ाव था ऐबी झरना.. ऑटो से हम लगभग 10 मिनट में वहां पहुंच गए।
1. एब्बे वॉटरफॉल
यह वॉटरफॉल कॉफी के सुंदर बागानों से चारों तरफ से घिरा है। आपको वॉटरफॉल तक पहुंचने के लिए लंबी सीढ़ियां उतारनी पड़ेगी। लेकिन उसके बाद जो प्राकृतिक नज़ारा आपको दिखेगा वो आपकी सारी थकान मिटा देगा।
एब्बे वॉटरफॉल को पहले जेस्सी वॉटरफॉल के नाम से जाना जाता था। जेस्सी एक अंग्रेज़ अधिकारी की पत्नी थी। बाद में इसका नाम एब्बे पड़ा। यहां बरसात के मौसम में वॉटरफॉल अपने रौद्र रूप में होता है।
2. हारांगी बांध स्थल
हमने एब्बे झरने से ही एक ऑटो पूरे दिन के लिए बुक किया। एब्बे से हारांगी बांध पहुंचे.. यह एक बांध है जिसे दुबारे जंगल के पार, कुशलनगर के पास, कावेरी नदी पर बनाया गया है। इस बांध की ऊंचाई 47 मीटर और लम्बाई 846 मीटर है। मानसून के दौरान, पर्यटक इस बांध की सैर पर अवश्य आएं।
3. चिकलहोल जलाशय
यह मदिकेरी और कुशालनगर के बीच स्थित है। चिकलहोल जलाशय आपके कूर्ग यात्रा पर जाने के लायक स्थान है। यह कुशालनगर और मदिकेरी से लगभग 15 किमी दूर है। चिकलीहोल जलाशय कर्नाटक के कावेरी कटोरे के माध्यम से आने वाली धारा है। बांध की यात्रा करने का सबसे अच्छा अवसर बारिश और सर्दियों (जून से मार्च) की अवधि के दौरान है जब जलवायु आकर्षक होती है और बांध में जल स्तर बढ़ता है। इसके आस -पास कोई भी दुकानें नहीं हैं, इसलिए पर्यटकों को भोजन, पानी, और स्नैक्स के साथ इस जगह में व्यवस्थित होना चाहिए कि उन्हें बांध के क्षेत्र में दिन में एक या दो घंटे से गुजरना पड़े तो वो शक्तिशाली महसूस करें।
4. दुबारे हाथी कैंप
यहां आप हाथियों को नहाते – खेलते देख सकते है और अगर आप चाहे तो हाथियों को नहला भी सकते है।कर्नाटक के कोडागु क्षेत्र में धारा कावेरी के तट पर एक वुडलैंड शिविर है। यह कर्नाटक वन विभाग के हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है।
एक अतिथि अनिवार्य रूप से हाथियों को देख सकता है और जाहिर है, उनका अध्ययन कर सकता है। एलिफेंट इतिहास, पर्यावरण और विज्ञान के विभिन्न हिस्सों को स्पष्ट करने के लिए एक तैयार प्रकृतिवादी के करीब है। पर्यटक हाथियों को देखने और सीखने के साथ-साथ विभिन्न अभ्यासों में भाग ले सकता है।
कुर्ग में हमने एक दिन में उपरोक्त चार स्थानों का भ्रमण किया।
कूर्ग की यादों के साथ मैसूर पहुंचे।
कुछ देर होटल में आराम करने के बाद शाम को हम पहुंचे मैसूर राजभवन जो कि हमारे होटल से पास ही था।
1. मैसूर पैलेस
यह मैसूर शहर का प्रमुख आकर्षण है जो इंडो – सरकेनिक शैली की वास्तुकला एक अच्छा उदाहरण है। मैसूर पैलेस कर्नाटक राज्य में मैसूर में स्थित एक बेहद खूबसूरत इमारत है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मैसूर पैलेस ताजमहल के बाद स्थानीय और विदेशी पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखी जाने वाली ऐतिहासिक इमारत है। इसके साथ ही मैसूर पैलेस अपने लाइट एंड साउंड शो और जीवंत दशहरा समारोह के लिए प्रसिद्ध है। मैसूर पैलेस को वर्ष 1912 में वोडेयार राजवंश के 24 वें शासक के लिए बनाया गया था और इसे देश के सबसे बड़े महलों में गिना जाता है।
जैसा सोचा था उससे भी ज्यादा भव्य और सुंदर है ये भवन और रात में लाइट एवं साउंड शो बहुत ही शानदार होता है।
:- जानने योग्य बातें।
पैलेस के लिए एंट्री वराहा गेट से होती है।
मैसूर पैलेस में लाइट और साउंट शो के लिए अलग-अलग फीस है। अडल्ट्स के लिए 40 रुपये प्रति व्यक्ति फीस है।
7 से 12 साल के बच्चों के लिए फीस 25 रुपये प्रति व्यक्ति है।
मैसूर पैलेस का लाइट ऐंड साउंड शो सिर्फ सोमवार से शनिवार होता है और इसका समय शाम 7 बजे से 7:40 बजे है।
रविवार और सरकारी छुट्टी वाले दिन मैसूर पैलेस बंद रहता है।
वहीं विदेशी टूरिस्टों के लिए यह फीस 200 रुपये प्रति व्यक्ति है।
2. चामुंडेश्वरी मंदिर:-
चामुंडेश्वरी मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है जो चामुंडी हिल्स पर 1000 फीट की ऊंचाई पर मैसूर के पूर्वी किनारे पर स्थित है। चामुंडेश्वरी मंदिर देवी दुर्गा के नाम चामुंडा देवी को समर्पित है। इस मंदिर में देवी की मूर्ति के अलावा नंदी और महिषासुर की मूर्ति भी स्थापित है। चामुंडेश्वरी मंदिर को शक्ति पीठ माना जाता है और यह 18 महा शक्ति पीठों में से एक है।
हमने मैसूर से ऑटो बुक किया और चामुंडेश्वरी मंदिर पहुंचे।
मंदिर के दर्शन करके मानसिक सुकून की अनुभूति हुई।
3. मैसूर रेत संग्रहालय
यह संग्रहालय ज्यादा लोकप्रिय नहीं है, लेकिन आपको इसे अपनी मैसूर यात्रा में जरुर घूमना चाहिए। इस म्यूजियम में कलाकार एम एन गौरी के द्वारा बनाये गये कई रेत मूर्तियां स्थापित हैं। इन्हें देखने के बाद यकीनन आप भौचक्के रह जायेंगे।
कूर्ग और मैसूर में घूमने के और भी ज्यादा मनोरम स्थान हैं लेकिन हमने समय के अभाव में कुछ ही स्थानों को देखा।
लेकिन जो भी स्थान हमने देखे उनको देखकर और समझ कर एक नई संस्कृति को समझा।
नए स्थानों में रहना , घूमना हमेशा से सुखदायी और आनंदमय होता है। सच कहूं तो यह यात्रा एक शानदार यात्रा रही जहाँ ना सिर्फ प्रकृति के करीब रहा बल्कि नयी संस्कृति देखी और नए-नए लोगो से मिला।
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