यात्रा वित्रांत
सोलो ट्रिप
ज़िंदगी का पहला सोलो ट्रिप, काफी खुशी थोड़ा सुकून और बहुत कम डर, मोबाईल में बजते सूफ़ी गाने, खिड़की से छन के आती हल्की सी धूप , हाईवे पर एक पुराना कैफे और वहाँ की चाय। कहीं दूर पटरी पर देखती रेल गाड़ी कुछ तुम्हारी यादें । बस का सफ़र काफी अच्छा रहा । नीचे उतरते ही खाना ज़रूरी है तो इंद्रा कैफे वहाँ पर डोसे का हिसाब किताब रहा। फिर क्या अंजान शहर अंजान डगर और अंजाने से लोग उसी बीच ठिकाना ढूँढने की जद्दो-जहद खैर ठिकाना ढूँढने को काफ़ी चलना पड़ा, तब कहीं जाके मिला मुझे एक हॉस्टल मिला। काफी सुंदर और बहुत ही प्यारे दो विदेशी रूममेट मिले जिनसे थोड़ा अंग्रेज़ी में हेल्लो- हाय किया। फिर बैग पैक किया और निकल पड़ी मैसूर पैलेस को । सफ़र ऑटो का रहा।
मैसूर एक छोटा शहर है, घर सा लग रहा था मुझे, अपना सा । मैसूर पैलेस पहुँची जो काफी ही रॉयल जगह है। शानो शौकत, रुतबा और हमारी विरासत का संगम। आगे की मंज़िल मुझे मालूम नहीं थी, तुरंत ही एक दोस्त को कॉल घुमाया तो उसने कहा " तांती तू करांगी लेक घूम आ । फिर किया ऑटो बुक और निकल पड़ी। थोड़ा वक़्त वहाँ पौधों और पक्षियों के बीच बिताया, although I have Bird phobia तो दूर से देखना ही सही था मेरे लिए । वहीं मुझे मेरी रूममेट जोरा मिल गई और हम वापस आते वक़्त थोड़ा बहुत शहर घूमें । Sorry I didn't tell about yet about Mr. Peter French guy । बहुत ही सुंदर दिल रखते है और खाना वाह क्या बनाते है । चाय पर हमारी काफी चीज़ो पर चर्चा हुई relationships , jobs and how human will be more Little more human ,ऐलान और आयशा बहुत ही प्यारे लोग शामें बहुत अच्छी रही।
थोड़ा सुकून के पल किताबों को सिरहाने रख सो गई मैं क्यूंकि दूसरे दिन जल्दी उठना था p.s ( I am suttar kinda of person ???? ) - Nitika tanti
Day 2 to be continued ...