शुरुआत में लोग अक्सर अपने दम पर ट्रेक पर जाने से डरते हैं, और बिना सोचे समझे वो उन ट्रेक्स के लिए भी ट्रेक गाइड कर लेते है जिन ट्रेक्स को वो खुद अकेले, अपने दम पर कर सकते है । भारत में ऐसे कई ट्रेक हैं जो ना केवल आसान हैं, बल्कि जिन्हे कोई भी नया ट्रेकर बिना किसी सहायता और गाइड के भी पूरा कर सकते हैं।
आपके काम को आसान बनाने के लिए, मैंने भारत में कुछ शुरुआती और आसान ट्रेक्स की एक लिस्ट तैयार की हैं, साथ ही इसमे कैंप साइट की उपलब्धता व ट्रेक के रास्तों के बारे में जानकारी भी है।
खुद अपना ट्रेक चुनें और विश्वास रखें आप ये ट्रेक खुद के दम पर पूरा कर सकते हैं।
1. त्रिउंड ट्रेक
कहाँ: हिमाचल के कांगड़ा जिले में स्थित, त्रिउंड हिल के लिए ट्रेक मैकलॉडगंज से शुरू होता है। मैकलॉडगंज पहुँचने के लिए, दिल्ली से धर्मशाला और फिर मैकलॉडगंज के लिए टैक्सी या रात की लोकल बस लें ।
रूट: त्रिउंड से अपना ट्रेक शुरू करने के लिए, सबसे पहले धर्मकोट पहुँचे। आप धरमकोट प्राइमरी स्कूल पहुँचने के लिए ₹60 में आटो रिक्शा ले सकते है या पैदल चल कर जा सकते हैं । जंगल ट्रेल पर चलना शुरू करें और आपके रास्ते में पहला लैंडमार्क गालू देवी मंदिर आएगा । यहाँ से 3-4 घंटे वहाँ बने साइन-बोर्ड्स के साथ-साथ चलें। आप वहाँ के फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के गेस्ट हाउस में रात बिता सकते हैं। ( जिसकी बुकिंग धर्मशाला पुलिस स्टेशन के पास बने फॉरेस्ट कॉम्प्लेक्स में की जा सकती है) या आप वहाँ हिल-टॉप पर अपने लिए कैंप बुक करा सकते है।
ट्रेक का समय : 3-4 घंटे
कहाँ: हिमाचल के मंडी जिले में स्थित, पाराशर झील की यात्रा बग्गी गाँव से शुरू होती है। बग्गी गाँव तक पहुँचने के लिए, दिल्ली से ओवर-नाइट बस ले और मंडी पहुँचे, फिर मंडी से बग्गी के लिए आप टैक्सी या लोकल बस ले सकते हैं।
रूट: बग्गी गाँव से जीप-ट्रेल पकड़े और लगभग 40 मिनट उस पर चलते रहे । जल्द ही, आपके सामने 2-3 रास्ते आएँगे जिसमे से आपको सीधे हाथ की तरफ जाने वाला रास्ता चुनना है । बस यही से आपको घने जंगल मे खड़ी चढ़ाई शुरू करनी होगी । ट्रेक के रास्ते में पर्याप्त साइन-बोर्ड्स बने हुए है जिनकी मदद से आप 4 घंटे मे सीधे पराशर झील तक पहुँच जाएँगे । वहाँ का सरकारी गेस्टहाउस अस्थायी रूप से बंद है, लेकिन आपके पास अपना खुद का कैंप लगाने के लिए पर्याप्त जगह है।
ट्रेक का समय : 5-6 घंटे
कहाँ: उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित, नाग टिब्बा की यात्रा पंतवारी गाँव से शुरू होती है। पंतवारी तक पहुँचने के लिए, दिल्ली से देहरादून के लिए रात की बस या ट्रेन लें और फिर देहारादून से एक टैक्सी या लोकल बस से पंतवारी गाँव तक जाएँ।
रूट: नाग टिब्बा ट्रेक शुरू करने के लिए, सबसे पहले नाग देवता मंदिर तक जाएँ। वहाँ बने सीमेंटेड ट्रेल पर चलना शुरू करे जब तक आप पथरीले, व चरवाहो के निशान तक नहीं पहुँच जाते। पहला लैंडमार्क वहाँ बहती एक छोटी सी नदी होगी - यह रात बिताने और कैंप करने के लिए सबसे बड़िया जगह है। यहाँ से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर नाग टिब्बा बेसकैंप है, जहाँ पर आप यहाँ से सिर्फ 3 कि.मी. ट्रेक करते हुए पहुँच सकते है ।
ट्रेक का समय: 8-9 घंटे
कहाँ: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित, फूलों की घाटी के लिए एक ट्रेक लोकप्रिय तीर्थस्थल गोविंद घाट से शुरू होता है। गोविंद घाट तक पहुँचने के लिए, दिल्ली से रात की बस या ट्रेन से हरिद्वार पहुँचे और फिर यहाँ से गोविंद घाट लोकल टैक्सी या बस से पहुँचा जा सकता है ।
रूट: ट्रेक के पहले दिन आपको एक कंक्रीट के बने हुए रास्ते पर चलना होता है जो गोविंद घाट के विकसित शहर से गुज़रता है। बैगपैकर्स को यहाँ पर खाना या खाना पकाने का समान ले जाने की ज़रूरत नहीं है । गोविंद घाट से घांघरिया 13 कि.मी. है और वहाँ पर कई ढाबे हैं जहाँ आप आराम कर सकते है और वहाँ आपको किसी भी समय खाना मिल सकता है। घांघरिया में कई गेस्टहाउस हैं, इसलिए आपको टेंट रखने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी। फूलों की घाटी घूमने के लिए आप सुबह के समय निकले, जो घांघरिया से केवल एक या दो घंटे की दूरी पर है। आप राष्ट्रीय उद्यान के अंदर शिविर नहीं लगा सकते, क्योंकि यह शाम 5 बजे तक बंद हो जाता है।
ट्रेक का समय : 9-10 घंटे
कहाँ: हिमाचल के कुल्लू जिले में स्थित, खीरगंगा ट्रेक बरशैणी या तोश से शुरू होता है। बरशैणी पहुँचने के लिए, दिल्ली से भुंतर तक रात की बस या ट्रेन लें और फिर बरशैणी या तोश के लिए एक टैक्सी या लोकल बस लें ।
रूट: ट्रेक की कुल दूरी 15 कि.मी. है और इस ट्रेक का फ़र्स्ट हाफ काफी आसान है। जब आप ट्रेक में पहले ढाबे को पार करते हैं, तो ट्रेक की खड़ी चड़ाई शुरू हो जाती है । ट्रेक का मध्य-बिंदु नकथान गाँव है, जो रुकने के लिए एक शानदार जगह है। आप अपने साथ एक रेनकोट ज़रूर लेकर जाएँ लेकिन कैंप ओर खाना बनाने की चीज़ों की ज़रूरत नहीं है क्योंकि खीरगंगा में खाने और रहने के लिए पर्याप्त विकल्प हैं। जहाँ पर ट्रेक खत्म होता है, वहाँ से कुछ मीटर की दूरी पर गर्म पानी का झरना और एक शिव मंदिर है, जो आराम करने और थकान उतारने के लिए एक शानदार जगह है।
ट्रेक का समय : 5-6 घंटे
कहाँ: कांगड़ा जिले में स्थित, करेरी झील का ट्रेक घेरा गाँव से शुरू होता है। घेरा गाँव तक पहुँचने के लिए, दिल्ली से धर्मशाला के लिए रात की बस और उसके बाद घेरा गाँव के लिए टैक्सी या लोकल बस आसानी से मिल जाएगी ।
रूट: ट्रेक मुख्य बाज़ार से शुरू होता है (जहाँ से आप अपने ज़रूरत की चीज़ें ले सकते हैं)। भोटे खोसी पुल पार करने के बाद, आपको लेफ्ट मुड़ना होगा और आप करेरी नदी के साथ-साथ ट्रेक करते हुए करेरी गाँव तक पहुँच जाएँगे । जंगल के रास्ते से गुज़रते हुए, आप साड़ी गाँव में एक सरकारी स्कूल से गुज़रेंगे। यहाँ से ज़रूरी सामान लेंं और करेरी गाँव की ओर बढ़ते रहें जहाँ से झील 5-6 घंटे की दूरी पर है, इसलिए करेरी गाँव में रात ज़रूर बिताएँ। हालांकि झील के पास मे कैंप करने के लिए एक अच्छी जगह है, लेकिन आप करेरी गाँव में फॉरेस्ट गेस्ट हाउस (अधिक जानकारी के लिए धर्मशाला में फ़ॉरेस्ट रेंजर से संपर्क कर सकते हैं) या गाँव के किसी लोकल के घर (स्थानीय लोगों को मेहमाननवाज़ी करने के लिए जाना जाता है) पर रुक सकते हैं।
ट्रेक का समय : 7-8 घंटे
कहाँ: दक्षिण कन्नड़ ज़िले में स्थित, कुमारा पर्वत पर ट्रेक कुक्के मंदिर से शुरू होता है। कुक्के मंदिर तक पहुँचने के लिए, बैंगलोर से कुक्कसुब्रमन्या के लिए रात की बस लें और वहाँ से टेम्पल रोड की तरफ पैदल चलें।
रूट: कुमारा पर्वत ट्रेक चार खंडों में सबसे अच्छा माना जाता है, कुक्के मंदिर से बत्तर माने, बत्तर माने से कल्लुमन टॉप, कल्लुमन टॉप से शेष पार्वथा तक और अंतिम परशा पार्वत तक। कल्लुमन टॉप से लेकर शेष पार्वथा तक का ट्रेक काफी आसान हैं। बत्तर माने, खाना और पानी के अपने स्टॉक को फूल करने के लिए एक शानदार जगह है। कुमारा पर्वत में कई कैंपसाइट हैं। फॉरेस्ट ऑफिस के पास या फिर कल्लूचप्पारा के पास कैंप लगाए जा सकते हैं ( जो सूर्यास्त देखने के लिए भी एक शानदार जगह है ) या फिर जंगल के बाद शेषा पर्वत पर भी लगा सकते है जो आखिरी शिखर पर है ।
ट्रेक का समय: 8-9 घंटे
कहाँ: मदिकेरी जिले में स्थित ताडियंदामोल का ट्रेक कक्काबे के पास से शुरू होता है। कक्काबे तक पहुँचने के लिए, बैंगलोर से विराजपेट के लिए बस लें और वहाँ से भगमंडला (कक्काबे के पास अरामने में उतरें) के लिए एक लोकल बस या टैक्सी लें।
रूट: ताडियंदामोल चोटी का यह ट्रेक काफी सरल है, यह फुटहिल्स से शुरू होता है जहाँ से पानी की धारा गुजरती है। इस बिंदु से टॉप 2.6 कि.मी. है और खड़ी चड़ाई केवल 1 कि.मी. तक ही है। ट्रेक के दौरान कैंप लगाने का सबसे अच्छी जगह बड़ी चट्टान के पास है ( यहाँ एक बहुत बड़ी चट्टान है, आप इसे आसानी से देख पाएँगे)। लोग हिल-टॉप पर भी कैंप लगाते हैं, लेकिन लॉन्ग वीकेंड पर आपको यहाँ काफी लोगों की भीड़ देखने को मिलेगी । यहाँ पर आपको पानी नहीं मिलेगा इसलिए अपने लिए पर्याप्त पानी साथ में ले जाएँ और हाँ हाल ही में यहाँ हाथी के देखे जाने के कारण, रात भर आग जलाने का सुझाव दिया गया है।
ट्रेक का समय: 6-8 घंटे
कहाँ: वायनाड जिले में स्थित, चेम्बरा पीक तक की यात्रा फुटहिल्स से शुरू होती है। फुटहिल्स तक पहुँचने के लिए, बैंगलोर से कलपेट्टा के लिए एक बस लें, फिर एक स्थानीय बस या टैक्सी को मेप्पाडी ले जाएँ और फिर यहाँ से फुटहिल्स तक पहुँचने के लिए आपको एक जीप किराए पर लेनी होगी।
रूट: चेम्बरा पीक की तलहटी से ट्रेक शुरू करें और आपका पहला स्टॉप वॉचटावर हो सकता है, जो कुछ ही किलोमीटर दूर है। यहाँ से आपका अगला स्टॉप एक दिल के आकार की झील के किनारे होगा, आप इस झील तक वॉचटावर से जंगल के रास्ते होते हुए पहुँच सकते है, यहाँ तक पहुँचना तो बहुत आसान है पर सबसे कठिन चढ़ाई झील से शिखर तक है। अगर आपके ट्रेक के दौरान भारी बारिश हो रही है, तो इस ट्रेक को झील पर ही खत्म कर दें क्योकि चेम्बरा पीक पर कैंप लगाने की अनुमति नहीं है।
ट्रेक का समय : 4-5 घंटे
कहाँ: टुमकुर जिले में स्थित, मधुगिरि किले का ट्रेक कस्बे से शुरू होता है। मधुगिरी पहुँचने के लिए आपको आसानी से बैंगलोर से बस मिल जाएगी ।
मार्ग: मधुगिरि किला ट्रेक फूटहिल्स से शुरू होता है और इसमें आधे रास्ते तक सीढ़ियाँ हैं। उसके बाद एक आसान लेकिन खड़ी चढ़ाई है, जहाँ पर किला स्थित है। किले में कुछ समय बिताएँ और उसी रास्ते से ही नीचे जाएँ। आपको किले में कैंप लगाने की अनुमति नहीं है। चूंकि ट्रेक केवल दो घंटे का है, इसलिए यह बैंगलोर से वीकेंड के समय में बनाया जा सकता है।
ट्रेक का समय : 2-3 घंटे
क्या आप कभी बिना गाइड के ट्रेक पर गए हैं? कैसा था वो अनुभव, यहाँ लिखें।
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