वैसे तो दक्षिण भारत मे स्थापत्य कला के बेजोड़ एक से एक नमूने स्थापित है । आइये इस बार आपको एक नई जगह लेकर चलते है। दक्षिण भारत के नवगठित राज्य तेलंगाना के करीमनगर जिले के वेमुलावाडा नामक कस्बे के पास एक ऐसा ही अनोखा मंदिर स्थापित है यकीन के साथ कह सकता हूं आपने ऐसा मंदिर पहले नहीं देखा होगा ।
मंदिर अपने आप मे बेहद ही अनूठा है। पूरा मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। भक्तों को कुछ 100 सीढ़ियां चढ़कर पहले तो ऊपर आना होता है । फिर यहां से एक सर्पाकार सुरंग जैसी संरचना के अंदर दाखिल होना होता है। यह किसी सांप के पेट के अंदर चलने जैसा है। इस यात्रा के दौरान आपको भगवान कृष्ण की लीलाओं के बारे में काफी कुछ जानने को मिलता है। रास्ते में काफी सारी कृष्ण बाल लीलाओं से संबंधित मूर्तियां भी मिलती हैं ।
मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है तथा काफी किलोमीटर दूर से ही नजर आता है । मंदिर की बनावट एक बड़े सर्प जैसी है। तथा उस सर के ऊपर कृष्ण नृत्य कर रहे हैं । जैसा कि आपने कहानियों में सुना हो या टीवी पर देखा हो। जब कृष्ण और कालिया नाग के बीच युद्ध हुआ था। तथा अंत में कृष्ण के हाथों में कालिया नाग मर्दन हुआ था यह ठीक उसी प्रकार से है ।
बाह्य रूप से तो ये मंदिर भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार को समर्पित लगता है। लेकिन वास्तव में यह मंदिर भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार तथा माता लक्ष्मी को समर्पित है यहां पर एक भगवान नरसिंह अवतार की भव्य प्रतिमा भी स्थापित है धीरे-धीरे मंदिर की ख्याति बढ़ती जा रही है तथा काफी दूरदराज से लोग इस मंदिर को देखने आने लगे हैं।
कैसे पहुँचे -- -- हैदराबाद से लगभग इस मंदिर की दूरी डेढ़ सौ किलोमीटर है । हैदराबाद से पहले आपको करीमनगर आना होगा । करीमनगर से लगभग 24 किलोमीटर दूर वेमुलावाड़ा के नजदीक यह मंदिर है । वेमुलवाडा कस्बा लगभग 4 किलोमीटर दूर है। मंदिर मुख्य सड़क के नजदीक की एक पहाड़ी पर है।
तो जब भी आपका जाना हैदरआबाद की तरफ हो तो ये मंदिर तो देखना बनता है।
((( लक्ष्मी - नरसिंहा स्वामी मंदिर ))) ... वेमुलावडा जिला करीमनगर तेलंगाना भारत ।