यही मंदिर तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम जिले में स्थित है..
यह एक हिनफू मंदिर है जो परम देवी ललिता महा त्रिपुरा सुंदरी कामाक्षी को समर्पित है..मदुराई में मीनाक्षी मंदिर,तिरुचिरापल्ली के पास थिरुवनैकवल में अकिलंदेश्वरी मंदिर और यह कामाक्षी मंदिर तमिलनाडु राज्य में देवी पूजा के प्रमुख मंदिर है..मंदिर पल्लव राजाओ द्वारा बनवाया गया था..जिनकी राजधानी कांचीपुरम थी..
यहाँ माँ कामाक्षी एक राजसी पद्मासन पर विराजित है..कांचीपुरम में कामाक्षी देवी मंदिर के अलावा और कोई देवी मंदिर नही है।.एक पारंपरिक शहर में असामान्य है जिसमें सैकड़ों पारंपरिक मंदिर हैं।..
कामाक्षी कांचीपुरम के सभी शिव मंदिरों में केंद्रित एकमात्र शक्ति मंदिर है जिसमें अम्मान के लिए अलग मंदिर नहीं हैं। कामाक्षी को इस प्रकार परब्रह्म स्वरूपिनी के रूप में पूजा जाता है ।...
मंदिर 5 एकड़ (2.0 हेक्टेयर) के क्षेत्र में फैला हुआ है। गर्भगृह में बैठे मुद्रा में कामाक्षी की छवि है..यहाँ त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु,महेश की मूर्ति भी है..प्रतिदिन मंदिर की रस्में गो पूजा और गज पूजा से शुरू होती हैं।..मंदिर का रखरखाव प्रशाशन द्वारा ही किया जाता हैं..
प्रत्येक दिन चार पूजा सेवाएं दी जाती हैं। वार्षिक त्योहार वसंत ऋतु में पड़ता है, मासी के तमिल महीने में, जो फरवरी के मध्य से मार्च के मध्य तक चलता है। इस समय के दौरान रथ उत्सव (थेर) और फ्लोट उत्सव, आयोजित किए जाते हैं।..
श्री कामाक्षी के गर्भ गृह के सामने स्थित मंदिर ऋषि दुर्वासा का है, जिन्हें क्रोध भट्टारक के नाम से भी जाना जाता है। देवी के बत्तीस प्रमुख उपासक हैं जैसे मनु, चंद्र, कुबेर आदि। इनमें कामराज, लोपामुद्रा और दुर्वासा प्रमुख उपासक हैं।