जूनागढ़ गुजरात के प्राचीन शहरों में से एक है| जूना का अर्थ होता है पुराना और गढ़ - किला| अगर आप को हैरीटेज से प्रेम है तो एक बार जूनागढ़ घूमने जरूर आना चाहिए| जूनागढ़ में आपको सब कुछ मिलेगा पैलेस, महल, मंदिर, पहाड़, गुफाएं, मकबरा, मयूजियिम, चिड़ियाघर आदि| इसके साथ आप जूनागढ़ के पास गुजरात के सबसे ऊंचे पहाड़ गिरनार पर्वत की भी यात्रा कर सकते हो| जूनागढ़ में अशोक शिलालेख, किला, बौद्ध गुफाएं आदि ईतिहासिक जगहों पर भी जा सकते हैं| आज हम बात करते हैं जूनागढ़ में घुमक्कड़ कया देख सकते हैं|
महाबत मकबरा जूनागढ़
इस जगह को आप गुजरात का ताजमहल भी बोल सकते हो| इस मकबरे की भव्यता और खूबसूरती लाजवाब है| यह दिलकश मकबरा जूनागढ़ के नवाब महाबत खान -2 को समर्पित है | इस मकबरे का निर्माण 1892 ईसवीं में हुआ | इसके साथ ही उनके वजीर शेख बहरूदीन का मकबरा है| महाबत मकबरा जूनागढ़ इंडो-इसलामिक आर्किटेक्ट और युरोपियन का बेजोड़ नमूना है| दिखने में ताज महल की तरह खूबसूरत है |
जूनागढ़ शहर के मध्य में भारत के वास्तुशिल्प स्मारको में से एक है, जो गॉथिक और इस्लामी अलंकरण का मुंहतोड़ मिश्रण है, महाबत मकबरा परिसर भारत के सबसे अच्छे रहस्यों में से एक है।
महाबत मकबरा और बहाउद्दीन मकबरा जूनागढ़ में मकबरे हैं, वे क्रमशः 1892 और 1896 में पूरे हुए थे और जूनागढ़ राज्य के नवाब महाबत खान द्वितीय और उनके मंत्री बहाउद्दीन हुसैन भर को समर्पित हैं। अगर आप को हैरीटेज ईमारतों से प्रेम है तो जूनागढ़ आपको निराश नहीं करेगा|
अशोक शिलालेख
जूनागढ़ गुजरात
जूनागढ़ शहर में बहुत कुछ है देखने के लिए इससे पहले मैं जूनागढ़ मयूजियिम के बारे में लिख चुका हूँ। आज बात करुंगा जूनागढ़ शहर के बहुत ऐतिहासिक सथल अशोक के शिलालेख की । शिला का मतलब होता हैं पत्थर या चट्टान । शिलालेख - किसी पत्थर या चट्टान पर लिखी हुई लिखावट को कहा जाता हैं। गिरनार पर्वत की यात्रा करने के बाद मैं भवनाथ तालेटी से शेयर आटो में बैठकर 20 रुपये में जूनागढ़ शहर के सोनापुरी ईलाके में मौजूद अशोक शिलालेख मयूजियिम के बाहर पहुंच गया।
जूनागढ़ शहर में अशोक का बनाया हुआ बहुत विशाल शिलालेख हैं जिसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने बहुत बढिय़ा मयूजियिम बना कर संभाल कर रखा हुआ हैं। अशोक शिलालेख जूनागढ़ से गिरनार पर्वत की तरफ जाने वाले रोड़ पर ही बना हुआ है। मैंने 5 रुपये की टिकट लेकर कुछ सीढियों को चढ़ कर सफेद रंग की एक ईमारत में प्रवेश किया। इसी सफेद रंग की ईमारत में एक बहुत विशाल चट्टान हैं जिस पर अशोक सम्राट ने पाली भाषा में जो ब्रहमी लिपी में लिखी जाती हैं में शिलालेख लिखा हैं। यह चट्टान बहुत बड़ी हैं और तकरीबन 2400 साल पहले इस पर अशोक सम्राट द्वारा शिलालेख बनाया गया। इससे एक तो यह बात सिद्ध हो जाती हैं कि उस समय सौराष्ट्र तक अशोक का राज्य था। दूसरा जब सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया तो बहुत सारी शिक्षाओं का प्रचार किया। जिसके लिए अशोक ने बहुत सारे शिलालेख आदि बनाए और बौद्ध सतूप भी बनवाए। इस शिलालेख में सम्राट अशोक ने 14 आदेश लिखे हैं जैसे दया करना, औरत और जानवर के साथ जुल्म नहीं करना। गरीब की मदद करना आदि। यह पूरी चट्टान शिलालेख से भरी हुई हैं। मुझे पाली भाषा नहीं आती लेकिन कहते हैं पत्थर पर लकीर जैसी बात मतलब पत्थर पर लिखा हुआ कभी मिटता नहीं वह बात यहां अशोक के शिलालेख में देखने को मिलेगी 2400 साल पहले शिलालेख पर लिखा हुआ आज तक नहीं मिटा। आओ कभी जूनागढ़ इस ईतिहासिक शिलालेख को देखने के लिए।
जूनागढ़ मयूजियिम
दोस्तों गुजरात का जूनागढ़ शहर बहुत ही ईतिहासिक , धार्मिक महत्व वाला शहर हैं कयोंकि यहां से ही गिरनार पर्वत को रास्ता जाता हैं। जूनागढ़ में आप मयूजियिम , चिड़ियाघर, अशोक शिलालेख , नवाब के मकबरा , शानदार किला और बौद्ध धर्म से बनी हुई गुफाएं आदि देख सकते हो । कुल मिला कर टूरिस्टों के लिए फुल पैकेज शहर हैं जूनागढ़।
कुछ दिन पहले मुझे भी जूनागढ़ घूमने का मौका मिला जूनागढ़ गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में आता हैं । भारत की आजादी से पहले सौराष्ट्र में कुल 222 राजाओं की छोटी बड़ी रियासतें थी जिसमें जूनागढ़ भी अमीर और बहुत महत्वपूर्ण रियासत थी । जूनागढ़ पर नवाबों ने राज्य किया। 1748 ईसवीं से लेकर 1947 ईसवीं तक तकरीबन 8 नवाबों ने जूनागढ़ पर राज्य किया। जूनागढ़ राज्य की अपनी रेलवे लाईन और अपना एयरबेस था केशोद नामक शहर में । जूनागढ़ के नवाब जूनागढ़ सटेट में अपना दरबार या कचहरी लगाते थे जिसे दरबार हाल या कचहरी कहा जाता था । 1947 ईसवीं को जूनागढ़ के आखिरी नवाब महाबतखान (तीसरे) भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए तो जूनागढ़ रियासत भारत में शामिल हो गई। राजकोट के रीजनल कमिश्नर ने 9 नवंबर 1947 ईसवीं को भारतीय सरकार के आदेश के अनुसार जूनागढ़ रियासत की सभी ईमारतों , वस्तुओं को सरकार ने अपने हाथ में ले लिया। दरबार हाल को 1964 ईसवीं में एक मयूजियिम में तब्दील करके मयूजियिम डिपार्टमेंट को सौंप दिया गया। पुरानी बिल्डिंग की रीपेयर करके इसको अच्छे तरीक़े से संभाला गया। दरबार हाल मयूजियिम के अलग अलग भागों में पिक्चर गैलरी , कपड़ें , गहनों, हथियारों आदि को रखा गया। फिर 26 जून 1977 ईसवीं को इस मयूजियिम को आम जनता के लिए खोल दिया गया। दरबार हाल मयूजियिम हिसटरी के सटूडैंटों, टूरिस्टों आदि में बहुत दिलचस्प जगह बन चुकी हैं जो भी जूनागढ़ यात्रा करता हैं। इस दरबार हाल मयूजियिम को अब जूनागढ़ मयूजियिम का नाम भी दिया गया है।
मयूजियिम खुलने का समय ः 10.00 बजे सुबह से 1.15 बजे दोपहर तक
फिर दुबारा 2.45 बजे दोपहर से 6.00 बजे शाम तक
मयूजियिम की टिकट ः मयूजियिम देखने की टिकट मात्र 5 रुपये हैं ।
अगर आप अंदर कैमरे या मोबाइल से फोटोज खींचना चाहते हो तो आपको 100 रुपये देने होगे।
वीडियो बनाने के लिए 500 रुपये
मयूजियिम हर बुधवार , दूसरे और चौथे शनिवार और पब्लिक छुट्टी वाले दिन बंद रहता हैं।
दोस्तों मुझे तो मयूजियिम देखने बहुत पसंद हैं कयोंकि इस में आपको उस जगह राज्य की हिसटरी , भूगोल , कलचर आदि को देखने का मौका मिल जाता हैं। यह तसवीरें जूनागढ़ मयूजियिम की बाहर की बिल्डिंग की हैं अगले भाग में जूनागढ़ मयूजियिम के अंदर की तस्वीरें और वस्तुओं की जानकारी दूंगा। यह मयूजियिम जूनागढ़ बस स्टैंड से आधा किमी की दूरी पर सरदार बाग क्षेत्र में हैं। जूनागढ़ जाए तो इसे जरूर देखना।
जूनागढ़ संग्रहालय एक बहुत ही सुंदर संग्रहालय है जहां जूनागढ़ के नवाबों से संबंधित सामान जैसे हथियार, घरेलू सामान, बिस्तर, दरबार, कालीन, सिक्के, चांदी के बर्तन, विभिन्न देशों के उपहार, पेंटिंग आदि रखे हुए हैं।
साथियों, जब मैं जूनागढ़ संग्रहालय के द्वार पर पहुँचा तो संग्रहालय का टिकट मिला जो मात्र पाँच रुपये का था। मैंने टिकट अधिकारियों से संग्रहालय के अंदर से तस्वीरें लेने के बारे में पूछा और उन्होंने कहा कि आप संग्रहालय के अंदर 100 रुपये की रसीद काटकर फोटोग्राफी कर सकते हैं और अगर आप वीडियो बनाना चाहते हैं तो आपको 500 रुपये का भुगतान करना होगा। मैंने 100 रुपये का भुगतान किया और एक रसीद प्राप्त की ताकि मैं संग्रहालय के इंटीरियर की तस्वीरें ले सकूं। मैं इस पोस्ट में सभी तस्वीरें दिखाऊंगा ताकि आप भी घर बैठे इस शानदार संग्रहालय का आनंद उठा सकें। टिकट के साथ मैं संग्रहालय में दाखिल हुआ, एक गार्ड ने मेरा टिकट देखा और मुझे आगे बढ़ने के लिए कहा। एक हॉल में प्रवेश करते हुए मैने देखा नवाबों के बड़े-बड़े चित्र लगे थे। उसके बाद मैं एक कमरे में दाखिल हुआ जहाँ सारा सामान चाँदी का बना हुआ था। चाँदी के बर्तन, चाँदी के खिलौने जिससे नवाबों के बच्चे खेलते थे। चांदी से बने कई अन्य उपहार भी हैं जो जूनागढ़ राज्य के नवाबों को अन्य राजाओं और जूनागढ़ राज्य की प्रजा द्वारा दिए गए हैं। जूनागढ़ गुजरात का एक बहुत प्रसिद्ध और समृद्ध राज्य था। चाँदी के बर्तन को देखने के बाद मैं शस्त्र कक्ष में दाखिल हुआ जहाँ नवाबों और उनके सैनिकों के हथियार रखे हुए थे। इस कमरे में भारतीय और यूरोपीय हथियार जैसे यूरोपीयन तलवारें, खंजर आदि रखे हुए हैं। हथियारों में कांच के डिब्बों में रखी बंदूकें, रिवाल्वर, पिस्तौल आदि शामिल हैं। मैंने अपने मोबाइल फोन के कैमरे में चांदी के बर्तन और हथियारों की तस्वीरें कैद कर लीं। फिर मैं लकड़ी की चौड़ी सीढ़ियाँ चढ़कर संग्रहालय की पहली मंजिल पर पहुँचा। संग्रहालय की पहली मंजिल संग्रहालय का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इसमें दरबार हॉल है।
पहली मंजिल पर क्रॉकरी की वस्तुओं से युक्त एक सुंदर कमरा है जहाँ देश-विदेश के सुंदर क्रॉकरी आइटम रखे जाते हैं जैसे कि सुंदर फूलदान, प्लेट, बर्तन आदि जिस पर की हुई कलाकारी कार्य आपके मन को मोह लेती है। मैंने इस खूबसूरत कलाकृति की कुछ तस्वीरें भी लीं। उसके बाद मैंने दरबार हॉल देखा।
#दरबार_हॉल
दरबार हॉल, या नवाबों का दरबार, संग्रहालय का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे हम नवाबों का शाही दरबार भी कह सकते हैं। इस दरबार हॉल में नवाबों की अपने मंत्रियों, अधिकारियों, अधिकारियों या शाही मेहमानों के साथ बैठकें होती थीं।इस दरबार हॉल में शाही परिवार के समारोह आयोजित किए जाते थे। दरबार हॉल यूरोपीय और सौराष्ट्र कला का एक संयोजन है। दरबार हॉल में विभिन्न प्रकार के लकड़ी, कांच और चांदी के फर्नीचर हैं जो बहुत सुंदर हैं। इस खूबसूरत फर्नीचर पर एक सुंदर डिजाइन है जिसे गिर के शेरों के रूप में दर्शाया गया है। बेल्जियम से आयातित चांदी की कुर्सियाँ, मेजें आदि बहुत अच्छी लगती हैं। दरबार हॉल को चेकोस्लोवाकिया, फ्रांस, इंग्लैंड और अन्य देशों से आयातित सामानों से सजाया गया है। दरबार हॉल में नवाबों को मिली फ्रेंच घड़ियां, पानदान, हुक्का, इत्र के डिब्बे आदि हैं। आप दरबार हॉल में प्रवेश नहीं कर सकते, लेकिन बाहर खड़े होकर देख सकते हैं। आप तस्वीरें ले सकते हैं।
दरबार हॉल के बगल में एक कांच का कमरा हैं जिसे गलास हाऊस कहते है। एक कमरे में चांदी की सुंदर डोलियां बनी हुई हैं। रानियां इन डोली में बैठकर शाही समारोहों में शामिल होती थीं। दूसरे कमरे में नवाबों के कालीन रखे हुए हैं।