असली मुसाफिर वही है जिसको पता ही न हो जाना कहां है, इस बार की यात्रा के लिये हमारे पास बजट और समय दोनों ही सीमित थे, प्लान सिर्फ देहरादून और मसूरी घूम कर वापसी का था । बैग पैक कर हम निकले थे देहरादून में रहने वाले अपने मित्र के घर के लिये लेकिन पता नहीं था ये प्लान औली जाकर कर खत्म होगा ।
यात्रा कार्यक्रम-
लखनऊ-देहरादून-औली
ट्रेन टिकट - लखनऊ से देहरादून - 855 रुपये (3टियर ए0सी)
टैक्सी - देहरादून से जोशीमठ से देरादून - 9400 रुपये (फुल बुक देहरादून से वापस देहरादून तक के लिये )
रोप-वे - 750 रुपये प्रतिव्यक्ति (जोशीमठ से औली से वापस जोशीमठ)
निकटतम रेलवे स्टेशन- हरिद्वार रेलवे स्टेशन
निकटतम हवाई अड्डा- जॉलीग्राण्ट हवाई अड्डा देहरादून
मसूरी व देहरादून भ्रमण-
सुबह मित्र के घर पहुंच, फ्रेश होकर छत पर नाश्ता करते हुए हम लोग वहां की आसपास की टूरिस्ट जगहों के बारे में उससे जानकारी ले रहे थे क्योंकि वह काफी वक्त से देरहादून में रह रहा था । तो प्लान यह बना की आज हम उसी की कार द्वारा मसूरी के लिये निकलते हैं फिर आगे का देखा जायेगा । हम थोड़ी ही देर में तैयार होकर मसूरी के लिये निकल लिये । कुछ ही देर की यात्रा के बाद हम मसूरी पहुँच गये । मसूरी एक विकसित पर्यटक स्थल होने के कारण काफी भीड़-भाड़ वाला पर्यटक केन्द्र हैं । काफी घना मार्केट व दुकानें मुझे फिर से वही शहर की शोरगुल याद दिलाने लगे, इसलिये मसूरी के बारे में बताने के लिये मेरे पास ज्यादा कुछ भी नहीं है । हम कुछ वक्त मसूरी में बिताने के बाद नीचे गुच्चुपानी के लिये चल दिये । रॉबर्स केव (गुच्चु पानी) एक प्राकृतिक रुप से निर्मित गुफा है जिसके अन्दर से नदियां बहती है इसी कारण इस गुफा का निर्माण हुआ है, यह 600 मी0 लम्बी है तथा इसमें सबसे ऊँचा झरना 10 मी0 से गिरता है । इसकी इन्ट्री फीस 25 रुपये प्रति व्यक्ति है । इसमें टिकट लेकर आपको पैदल अन्दर जाना होता है ठण्डा शीतल जल आपके पैरों को व उपर से आते पानी के फौव्वारें आपको आन्नदित करेंगे, जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेगे पानी का वेग व गहराई ज्यादा नहीं लेकिन कुछ बढ़ जाती है । इससे निकलकर गुच्चुपानी में ही स्थित रेस्टोरेण्ट में हम लोगों ने मैगी का आन्नद लिया । कमरे पर आने के बाद आगे के प्लान की चर्चा के दौरान एक नाम आया औली का लेकिन औली वहां से करीब 200 कि0मी0 से ज्यादा दूर था, लेकिन हम चारों ने औली को ही फाइनल किया । कुछ टैक्सी वालों से बात करने के बाद हमें 9400 रुपये में औली जाने व वापसी के लिये एक टैक्सी मिल गयी, जिसनें हम लोगों को अगले दिन सुबह 0600 बजे तैयार होकर बाहर मिलने के लिये बोला । इसके बाद ठण्ड को देखते हुये कुछ देर की पार्टी का दौर चला, अगले दिन की तैयारी रात को ही कम्पलीट कर हम सो गये ।
देहरादून टू जोशीमठ
अगले दिन सुबह 06 बजे हम लोग रेडी होकर औली के लिये निकल लिये । जनवरी का महीना होने के कारण सुबह के वक्त काफी ठण्ड थी, हम हरिद्वार में चाय पीने के लिये रुके और फिर चल दिये । जिस मकसद से हम आये थे, शायद अब वह पूरा होता नजर आ रहा था, रास्ते की खूबसूरती को मैं इस ब्लाग में बयां नहीं कर सकता वो आपको फोटो बयां कर देगीं, लग रहा था इन वादियों में ही खो जाऊ, पानी का कोलाहल बेचैन कर रहा था, आखिर एक प्वाइंट पर पानी के कोलाहल ने हमें रोक ही लिया काफी देर रुक हम लोगों ने वहीं नाश्ता किया व आपपास की वादियों को अपनी आंखो मे हमेशा के लिये कैद कर रहे थे । पूरे दिन की यात्रा के बाद शाम को हम लोग जोशीमठ पहुंच चुके थे । जोशीमठ मे ही हम लोगों को रात बीताकर फिर अगले दिन सुबह हम लोगों औली के लिये निकलना था । रात व्यतीत करने के लिये हम लोगों ने वहीं एक होमस्टे में 600 रुपये में कमरा ले लिया, कमरा काफी बड़ा व बेड वगैरह काफी अच्छा था, बस गरम पानी की व्यवस्था नहीं थी, हमारी रिक्वेस्ट पर उन्होंने बताया वह गरम पानी घर से गरम कर दे देगें । फिर क्या था हम लोग वहीं रुक गये । इसके बाद हम जोशीमठ भ्रमण पर निकल गये, यहां पर एक कल्प वृक्ष है जिसको हम लोग देखने गये बताते हैं कि यह यहां 2500 वर्ष से है । इसके दर्शन उपरान्त हम डिनर कर वापस रुम पर आकर सो गये ।
औली वाया रोप-वे
अगले दिन सुबह को हम तैयार होकर औली के लिये कार से निकल लिये ठण्ड बहुत ज्यादा थी और आसमान में बादल थे, स्थानीय लोग व ड्राइवर बता रहे थे कि बर्फ गिरने वाला मौसम बन रहा है, हम कुछ ही दूर चले थे कि पानी गिरने लगा, जैसे ही हम कुछ ऊपर की ओर बढ़े पानी बर्फ में तब्दील हो चुका था ये देखते ही मानो हम हवा में थे व रोमांच से गदगद हो गये । औली से वापस आती गाड़ियों से बात करने पर पता चला ऊपर काफी बर्फ गिर रही है आप लोग कार से आगे न जाये नहीं तो कार फंस सकती है । ये सुनते ही ड्राइवर ने आगे जाने से मना किया लेकिन हम लोगों के कहने पर थोड़ा सा सफर तय करते ही बर्फ और ज्यादा बढ़ गयी, कार स्कीट करने लगी हम लोग भी डर गये और ड़्राइवर को वापस लोटने को भारी मन से बोला लेकिन जैसे ही ड्राइवर ने बताया आप लोग रोप-वे से भी औली जा सकते हैं हम लोग वापस रोंमांच से भर गये । जल्दी से कार पार्किंग में लगवा कर हम लोग ने टिकट लिया । रोप-वे का किराया 750 रुपये प्रतिव्यक्ति है । बताते है यह एशिया सबसे बड़ा रोप-वे हैं । काफी भीड़ होने के कारण हमें कुछ देर बाद का नम्बर मिला । हम लोगों ने नाश्ता वगैरह किया व रोप-वे के बारे काफी जानकारी प्राप्त की । पहले तो रोप-वे का किराया काफी ज्यादा लग रहा था लेकिन रोप-वे से कुछ दूरी का सफर तय करते ही जोशीमठ के नजारे आसमान से देख व जैसे ही बर्फ की सफेद चादर लिपटे हुये पेड़ व औली की सरजमी को देखा तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था क्योंकि चारों तरफ बर्फ ही बर्फ थी हम जैसे-जैसे उपर की ओर बढ़ रहे थे बर्फबारी बढ़ती जा रही थी और हम लोगों में रोमांच । बर्फबारी इतनी तेज थी कि सही से कुछ दिखाई भी नहीं पड़ रहा था । वहीं रोप-वे स्टेशन पर एक कैंटीन थी, तथा बाहर ही एक दुकान से बर्फ के लिये कपड़े, जूते मिल रहे थे । वहां का नजारा ही बिल्कुल अलग था ऐसा हम पहली बार देख रहे थे । हम एक अलग ही दुनिया में थे जहां बर्फ की सफेदी के अलावा कुछ भी नहीं था, हम भी यह नजारा देख स्तब्ध थे ।