झारखंड आइये और प्रकृति नजारों में सराबोर हो जाइये

Tripoto
2nd Jul 2019
Day 1

झारखंड यानी पेड़ो और जंगल की धरती।

वैसे झारखंड के सफर पर तो बहुत कम ही लोग आते हैं, ना के बराबर। लोगों को पता नहीं झारखंड की प्रकृति के बारे में। मैं आपको पूर्ण रूप से एशिया के सबसे घने जंगल झारखंड में ले चलूँगा।

Photo of झारखंड आइये और प्रकृति नजारों में सराबोर हो जाइये by Aman Jaiswal

अचानक हमारे शहर जमशेदपुर में जो कि झारखंड की सबसे बड़ा और खूबसूरत शहर है, मौसम बदला और दोस्तों से चाय पर मुलाकात हुई, और अचानक घूमने की इच्छा सब ने जाहीर की। अगले दिन सुबह 5 बजे शहर से निकल कर जंगल की और हमने 5 जगह तय की जहाँ हमें घूम कर शाम तक वापस आना था।

हमेशा की तरह मैं एक घंटे लेट से पहुँचा, मेरे दोस्त नए वाले पुल के पास इन्तज़ार कर रहे थे और गुस्सा भी हो रहे थे, मैंने पहुँचते ही उनसे माँफी माँगी और हम लोग चल दिए।

मेरे इन्तजार मे दोस्त कुछ तो इतने गुस्से में की फोटो नई खीचने दिए, एक घंटे मैंने लेट जो किया था

Photo of झारखंड आइये और प्रकृति नजारों में सराबोर हो जाइये by Aman Jaiswal

गाड़ी हवाओं से बाते कर रही थी। सपाट वा साफ रास्ते और दोनों ओर पहाड़ी सफर को और भी रोमांचित बना रहे थे। हम सभी पूरे धुन मे ड्राइव कर रहे थे।

रास्ते से दिखते ये जंगल के नजारे

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इन रास्तों को 120 कि.मी. पार करने के बाद हम रांची शहर पहुँचे जो झारखंड की राजधानी है। वहाँ से और 36 कि.मी. के करीब हमारा पहला पॉइंट था, पतरातू वैली। हम 10 मिनट रुके, पानी पिया और रांची से निकल गए, 45 मिनट के सफर के बाद हम पहले पॉइंट पर पहुँच गए।

Photo of पतरातू, Jharkhand, India by Aman Jaiswal
Photo of पतरातू, Jharkhand, India by Aman Jaiswal

बहुत ही सुंदर घाटी है, ऊपर से पूरी रामगढ़ घाटी नज़र आती है और पतरातू लेक भी। नज़ारे तो हमने देख लिए, हमें बहुत भूख लगी थी सुबह से हमने कुछ नहीं खाया था, घाटी के किनारे 2-4 ठेले लगे हुए थे हम सभी आगे बढ़े हमे टिकिया चाट मसाला मिला। सभी ऐसे खा रहे थे जैसे 2 दिन से ना खाया हो। पैसे देने के वक़्त सूरज का हमेशा का ड्रामा जान कर उसे ऐसा करने मे मज़ा आता है। ये शगुन की तरह है हमारे सफर का।

टिकिया चाट और पतरातू के नजारे

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खा कर हम तुरंत निकल गए अपने दूसरे पॉइंट की ओर, जो घने जंगल के बीच थी। यहाँ से 60 km की दूरी पर 1.15 घंटे ड्राइव के बाद हम पहुँचे हुनडरू जलप्रपात। पहले तो हमने जलप्रपात के उपर से नजारे देखते ही वहाँ रुक गए कुछ तस्वीर ली।

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फिर जलप्रपात के नीचे की ओर जाने के लिए हमने अपनी बाइक खड़ी की। बाइक के 12 रुपए और एक व्यक्ति के 7 रुपए जमा करने पड़े जो कि झारखंड सरकार के फ़ंड मे जाता है वहँ की साफ सफाई के लिए।

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नीचे पँहुचने के लिए सीढ़ी बनी है। 400 सीढ़ी उतरने के बाद हमें झरने का दीदार हुआ और दिल गार्डन गार्डन हो गया। खुशी से हम सभी उछल पड़े।

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झरने की दूधिया पानी और जंगल का शांतिपूर्ण वातावरण मानो कानो में गुदगुदा रहा था। कुछ तस्वीरें खीचने के बाद झरने के नीचे जाने के लिए हम लोग आगे बढ़े और वहाँ पहुँचते ही हमारा झरने मे नहाने को दिल हुआ। अक्सर मैं सभी झरनों में नहाता हूँ। मै कपड़ा उतारा शॉर्ट्स पहना और कूद पड़ा। पीछे पीछे मेरे सभी दोस्त आ गए।

Photo of झारखंड आइये और प्रकृति नजारों में सराबोर हो जाइये by Aman Jaiswal
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झरने में हम सभी खो गए थे। तकरीबन 1 घंटे ठंडे पानी में नहाने के बाद ख्याल आया कि दूसरी जगह भी जाना है। तुरंत हमने कपड़े पहने और गीले कपड़ो को पॉलिथीन में डाल कर बैग मे भर लिए और वहाँ से निकले। अब तीसरे स्थान पर जाना था सीता फॉल जो कि यहा से 35 कि.मी. दूर था। हम तुरंत चल पड़े।

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घने जंगल से होते हुए ये घुमावदार और साफ रोड एक अलग ही मज़ा दे रहे थे। बता नहीं सकता हूँ आप पीछे बैठते तो आपको एहसास हो पाता। इस रोमांचक रास्ते को पार कर हम पहुचे सीता फॉल गाड़ी खड़ी कर 300 सीढ़ी उतरने के बाद जो मैंने देखा खो गया। सभी जगह पिछले वाले से अच्छे निकल रहे थे।

Photo of झारखंड आइये और प्रकृति नजारों में सराबोर हो जाइये by Aman Jaiswal
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सीता फॉल नाम से भी ज्यादा खूबसूरत है। यहाँ पहुँच कर जन्नत का एहसास हुआ। एकदम शांत और सुकून भरी जगह, एक भी लोग नहीं थे हमारे अलावा। यहाँ हमने नहाया तो नहीं पर कुछ देर बैठ कर प्रकृति का आनंद लिया। अब 4 बज चुके थे। हमें एक और झरने की ओर जाना था जो यहाँ से मात्र 5 कि.मी.  दूर था। हमने बाइक स्टार्ट की और निकल पड़े।

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10 मिनट बाद हम जोंहा फॉल पहुँचे पता चला कि यहाँ 700 सीढ़ी उतरनी हैं। हम लोग इतने थक चुके थे कि अब हिम्मत नहीं थी कुछ लोग उपर ही रुक गए हम तीन लोग एक शॉर्ट कट रास्ते से गए। रास्ते में हमे जामुन मिला दिल खुश हो गया

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जामुन खाते-खाते हम झरने तक पहुँच गए। साँसे फूल गई, कुछ देर बैठे फोटो खीचें और वापस 700 सीढ़ी चढ़ना हालत खराब हो गई, पसीना से भीग गए। ऊपर पहुँच कर पानी पिया और यहा खाने की अच्छी व्यस्था थी। हम ने खाना खाया लोकल लोगो के द्वारा बनाया गया लकड़ी की आग में।

मै और शाश्वत

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अब 5 बज चुके थे। हमें वापस जमशेदपुर पहुँचना था। हम रात होने से पहले हाइवे पकड़ लेना चाहते थे हम लोग देर ना करते हुए निकल पड़े तभी थोड़ी देर बाद शाश्वत को याद आया ग्रुप फोटो तो हुआ ही नहीं। फिर गाड़ी रोक एक ग्रुप फोटो ले कर निकले।

मै रोहित, सूरज, आदित्य, शाश्वत

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और फिर गाड़ी 70 कि.मी.  के बाद देवरि मंदिर के पास रोकी। यहाँ हमारा पहला स्टॉप था। यहाँ पूजा कर के हमलोग निकले थे। यहाँ पास ही ढाबे मे हमने चाय नश्ता किया और घर की और निकल गए। 400 कि.मी. बाइक ड्राइविंग  के बाद इतने थक चुके थे की घर पहुँचते ही सीधे बिस्तर पर गिर पड़े। माँ चिल्लाती रहीं कि खाना खा लो पर थकावट इतनी की 5 मिनट मे नींद आ गई और सपनो में फिर से सफर पर चल दिया।

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