हम जब यात्राओं के बारे में सोचते हैं तो ज्यादातर प्रकृति के करीब जाना चाहते हैं। शहरी आपाधापी और जीवनशैली से निकलकर रिफ्रेश होने की तमन्ना हमें पहाड़ों, जगलों की ओर रुख करने को मजबूर करती हैं। खूबसूरत छटाओं से जीवन के लिए ऊर्जा को समेटकर हम फिर से तरोताजा हो जाते हैं। ट्रैवल करने के लिए देश-विदेश की यात्रा करना आम चलन है। लेकिन देश के भीतर एक से एक छुपे नगीने हैं जिसके बारे में जानना तो बनता है!
कई पुरानी यात्राओं के ठिकाने आज के आधुनिक परिवेश में धुंधले जान पड़ते हैं लेकिन प्रकृति ने उन जगहों को आज भी सजाकर रखा है। इसी ख्याल से हम निकल पड़े घाटशिला की ओर जो लेखकों और शायरों का पसंदीदा जगह रहा है। वहाँ की लाल मिट्टी में अजीब आकर्षण है जिसे वहाँ पहुँचकर ही महसूस किया जा सकता है।
यूँ तो घाटशिला झारखंड में पड़ता है लेकिन इसका अधिकांश भाग पश्चिम बंगाल की सीमा में है। ये जगह पहाड़, नदी, जंगल, झरनों से लैस एकदम सुरम्य और शांत है। मुझे लगता है कि इसको जो भी लोकप्रियता हासिल है उसमें भारतीय फिल्मों, लेखकों और शायरों का बड़ा योगदान है।
दिलचस्प बात ये है कि 'सत्यजीत रे' सहित कई फिल्मकारों ने यहाँ न केवल फिल्मों को लिखा बल्कि इसे दिखाया भी! बता दें कि झारखंड के सिंहभूम जिले का घाटशिला जमशेदपुर से महज 60 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। आप कल्पना कर सकते हैं कि दो पर्वतों के बीच बहती नदी सुवर्णरेखा घाटशिला की खूबसूरती में कैसे चार चाँद लगाती हैं! यहाँ जानते हैं कि घाटशिला में देखने और अनुभव करने के लिए क्या कुछ खास हैं -
फूलडुंगरी हिल्स
मनोरम प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर फूलडुंगरी हिल्स को घाटशिला के मुख्य आकर्षण के तौर पर जाना जाता है। ये ना केवल पिकनिक मनाने वालों के लिए बल्कि ट्रेकर्स के लिए भी पसंदीदा जगहों में शुमार है। मुख्य शहर से लगभग 5 कि.मी. दूर ये पहाड़ियाँ प्रकृति प्रेमियों को जो सुकून और आनंद देती है, वो कहीं और मुश्किल है। यहाँ ट्रेकर्स घने जंगलों के बीच रोमांचकारी यात्रा के लिए आते रहते हैं। तभी तो इसे 'आउट ऑफ द वर्ल्ड एक्सपिरीएंस' कहा जाता है।
बुरूडीह झील
घाटशिला शहर से लगभग 8 कि.मी. दूर एक और दर्शनीय पिकनिक स्पॉट है 'बुरूडीह झील'। यहाँ तक जाने के लिए आप आदिवासी गाँवों से होकर गुज़रते हैं और एक अलग ही परिवेश देखने को मिलता है। बुरूडीह झील पहुँचने पर जंगलों-पहाड़ों के बीच ये मानव निर्मित झील आपको हैरान कर सकती है। झील के तीन ओर ऐसी पहाड़ियाँ देखने को मिलती हैं कि जैसे पहाड़ियाँ झील में तैर रही हों। फोटोग्राफी पसंद करने वाले लोगों के लिए भी ये एक बेहतरीन जगह है। इसकी खूबसूरती को शब्दों में बयाँ करना मुमकिन नहीं है!
धारागिरी वॉटरफॉल
घाटशिला की सुन्दरता जल स्रोतों से भी है और धारागिरी की भव्यता इसे और ख़ास बना देती है। ये जलप्रपात 25 फीट की ऊँचाई से नीचे आता है जिसे देखकर पर्यटक रोमांचित हो जाते हैं। खासकर मॉनसून के दौरान ये जलप्रपात अपने निखार पर होता है। इसे देखते ही आपको जो अनुभूति होगी वो आपकी थकान और चिंताएँ एकदम से दूर कर देगी। घाटशिला आएँ तो धारागिरी की धाराओं को देखे बिना ना लौटें!
पाँच पांडव रॉक
आदिम युग रॉक कार्विंग का नमूना है 'पाँच पांडव'। यहाँ चट्टानों पर मानव आकृतियाँ और चित्रकारी दिखती है। बताया जाता है कि इसे पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान बनाया था। जानकार बताते हैं कि ये रॉक कार्विंग 10 हजार साल से भी पुरानी है। यहाँ आकर प्रेमी जोड़े अपना नाम लिखना नहीं भूलते लिहाजा चित्रकारी प्रभावित हुई है। ये एक ऐतिहासिक और पौराणिक जगह के रूप में मशहूर है।
बिंदा मेला
अक्टूबर के आसपास मनाया जाने वाला बिंदा मेला स्थानीय रूप से खासा महत्वपूर्ण है। इसे शाही शासकों ने शुरू किया था जो कि अब जनजातीय आयोजनों का रूप ले चुका है। आप अगर ऐसे समय में यात्रा कर रहे हैं तो इस मेले का लुत्फ़ ज़रूर उठाएँ। यहाँ आपको घाटशिला की आदिवासी जनजाति के जीवन, कला और संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिलेगा।
सुवर्णरेखा नदी
ये वही नदी है, जिसके आंचल पर घाटशिला का सौन्दर्य खिल उठता है। इस नदी के ऊपर आकाश में तैरते बादल इसकी कहानियाँ कहते जान पड़ते हैं। भारत की अन्य नदियों की तरह ही ये नदी भी अपनी मूल स्थिति में नहीं है लेकिन मानसून के दिनों में इसे अपने सम्पूर्ण रूप में देखा जा सकता है। स्थानीय लोगों की मानें तो नदी के बीच एक हाथी पत्थर है जो कि बरसात के समय डूब जाता है। नदी पर बने पुल से इसे निहारते हुए हम अपने होटल की ओर निकल पड़े।
इन जगहों के अलावा अगर आपके पास समय हो तो आसपास की जगहों को और भी एक्सप्लोर कर सकते हैं। वैसे घाटशिला एक दिन की यात्रा के लिए काफी है। घुमक्कड़ यहाँ प्रकृति और शांति के लिए आना पसंद करते हैं।
कब और कैसे पहुँचें?
मॉनसून के दौरान यहाँ आना साहसिक कदम है। अगर आप बरसात के जोखिमों से बचना चाहते हैं तो अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच यहाँ की यात्रा कर सकते हैं। रहने के लिए यहाँ कई छोटे-बड़े किफायती होटल और धर्मशाला मौजूद हैं। यहाँ पहुँचने के लिए आप किसी भी माध्यम का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि घाटशिला अच्छी तरह कनेक्टेड जगह है।
हवाई मार्ग द्वारा - जमशेदपुर सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है। इसके अलावा हवाई यात्रा के लिए आप कोलकाता और रांची को भी चुन सकते हैं। और फिर बस या ट्रेन से घाटशिला तक पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा - घाटशीला स्टेशन खड़गपुर-टाटानगर रेलवे मार्ग पर स्थित है। यह हावड़ा से 215 कि.मी. दूर पड़ता है तो वहीं अन्य शहरों से भी जुड़ा हुआ है। आप जमशेदपुर आकर भी वहाँ से फिर घाटशिला पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा - घाटशिला सड़क से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। 60 कि.मी. की दूरी पर जमशेदपुर और कोलकाता से 240 कि.मी. दूर घाटशिला आप बस या टैक्सी से आसानी से पहुँच सकते हैं।
आप भी अगर किसी ऐसी यात्रा के बारे में जानकारी और अनुभव रखते हैं तो हमारे साथ यहाँ जरूर शेयर करें!
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