झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई (मनु) एक ऐसा नाम जो भारतीय स्त्रियों के गौरव और सम्मान को इतिहास में अमर कर गया! ये किसी एक स्त्री का नाम नहीं है, ये भारत की उन लाखों स्त्रियों के गौरव की गाथा है जो इतिहास में कहीं गुम हो गई!
भारत भूमि ही ऐसी भूमि है जहाँ स्त्रियों ने मातृ भूमि की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति दी! जिसमे झाँसी की रानी की गौरव गाथा आज भी झाँसी की भूमि सुना रही है! झाँसी के किले के अवशेष आज भी अपनी रानी के सम्मान में खड़े होकर ये बता रहे हैं कि हाँ देखी है हमने हिमालय सी हिम्मत वाली भारतीय नारी जिसकी एक हुंकार से अंग्रेजो के रोंगटे खड़े हो जाते थे!
आप जब झाँसी का किला देखेंगे तो आपको भी उस ऊर्जा का एहसास होगा ! जहाँ से झाँसी की रानी ने अपने पुत्र को पीठ पर बांध कर किले से छलांग लगाई थी उस स्थान को देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं! किले के अवशेष को देखकर उसकी भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है!
![Photo of Jhansi by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652241287_1652241283823.jpg.webp)
![Photo of Jhansi by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652241289_1652241284073.jpg.webp)
![Photo of Jhansi by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652241293_1652241284388.jpg.webp)
![Photo of Jhansi by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652241295_1652241284660.jpg.webp)
![Photo of Jhansi by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652241298_1652241284947.jpg.webp)
![Photo of Jhansi by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652241300_1652241285227.jpg.webp)
दतिया दरबार
झाँसी का किला देखने के बाद कारवाँ पहुँचा दतिया दरबार (माँ पीतांबरा पीठ और धूमावती माँ) ! राजनीतिज्ञों की राजधानी, राजनीति करने वाले ऐसा मानते हैं कि यहाँ आकर दर्शन करने पर उनकी राजनीतिक पारी पर माँ की कृपा बरसेगी!
माँ पीतांबरा का दर्शन वास्तव में मन को मोह लेता है, मन करता है बार बार देखते रहे! इतनी सुंदर छोटी सी प्रतिमा कहीं और देखने को नहीं मिलेगी, ऐसा लगता है मानो माँ अभी आपसे बोलेंगी!
उसी प्रांगण मे माँ धूमावती का भी दरबार है जो सुबह शाम केवल एक घंटे के लिए ही खुलता है! ऐसा माना जाता है कि नवविवाहित महिलाओं को माँ के दर्शन नहीं करने चाहिए!
![Photo of Datia by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652242348_1652242344261.jpg.webp)
ओरछा (राम राजा सरकार)
ओरछा की कहानी बहुत दिलचस्प है! ये कहानी इतिहास और आस्था के मध्य पुल की तरह बयां होती है! अयोध्या पर बाबर का हमला होने पर राम भक्तों को यह चिंता हुई कि इस आक्रमण से प्रभु की पवित्रता को कैसे सुरक्षित रखे?
तभी उन्हें ये खयाल आया कि मध्यप्रदेश में ओरछा जो प्राकृतिक दृष्टि से प्रभु श्रीराम के लिये सुरक्षित और पवित्र स्थान है सही रहेगा! क्योंकि ओरछा के राजा औ रानी वैष्णव संप्रदाय को मानते थे और विष्णू के उपाशक् थे!
एक दिलचस्प कहानी और है! राजा और रानी दोनों ही भगवान के भक्त थे! राजा कृष्ण भक्त थे और रानी श्रीराम की भक्त थी! राजा ने एक भव्य मंदिर निर्माण योजना बनाई! रानी ने अपने प्रभु श्रीराम के लिए मंदिर बनवाने की बात राजा से कही, जबकि राजा का मन था की मंदिर में कृष्ण की मूर्ति रखी जाये! लेकिन राजा रानी की बात भी नहीं काट सकते थे, तो उन्होंने रानी से कहा कि अगर वो अपने प्रभु श्रीराम को अयोध्या से लेकर आ जाएं तो मंदिर में उन्हीं की स्थापना कर दी जायेगी!
रानी ने राजा की ये शर्त मान ली और अपने प्रभु को साथ लाने के लिये अयोध्या निकल पड़ीं! अयोध्या पहुँच कर रानी ने प्रभु से विनती की परंतु उन्हें प्रभु श्रीराम का कोई इशारा नहीं मिला तो वो सरयू नदी में आत्मदाह करने के लिये उतर गयीं! रानी जब डूबने ही वाली थी तभी भविष्य वाणी हुई और रानी के हाथ में प्रभु श्रीराम की मूर्ति आ गई लेकिन भविष्यवाणी मे एक शर्त थी कि पहली बार रानी इस प्रतिमा को जहाँ रख देंगी वहीं इसकी स्थापना हो जायेगी!
रानी खुशी खुशी ओरछा की तरफ चल पड़ी! पुरानी किवदंती है कि जब प्रभु श्रीराम को लेकर रानी ओरछा आयीं तब नीम के पेड़ पर जो फूल होते हैं वे स्वर्ण मे बदल गये और उन स्वर्ण के फूलों की वर्षा हुई! रानी जब महल पहुचीं तब रात हो चुकी थी तो रानी ने सोचा कि राजा को यह खुशखबरी सुबह दूंगी! खुशी के मारे रानी भविष्यवाणी की चेतावनी भूल गयीं और मूर्ति को रसोईघर मे रख दिया (क्योंकि रसोई महिलाओं का सबसे पसंदीदा स्थान होता है)!
आज भी प्रभु श्रीराम की मूर्ति महल के रसोईघर मे ही स्थापित है! उधर राजा जो मंदिर बनवा रहे थे वह खंडहर बन गया!
दोनों कहानियों को मिलाया जाए तो (बाबर द्वारा अयोध्या आक्रमण और राजा- रानी की मंदिर के लिये शर्त) यह कहा जा सकता है कि ओरछा मे राम राजा सरकार की स्थापना की कहानी इतिहास और आस्था के मध्य पुल की तरह है!
ओरछा मे राम दरबार के साथ ही और भी बहुत सी चीजें हैं!
राजा का महल
जहाँगीर का महल
बेतवा नदी का तट
![Photo of Shri Ram Raja Mandir by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652249680_1652249675867.jpg.webp)
![Photo of Shri Ram Raja Mandir by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652249685_1652249676072.jpg.webp)
![Photo of Shri Ram Raja Mandir by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652249689_1652249676323.jpg.webp)
![Photo of Shri Ram Raja Mandir by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652249693_1652249676623.jpg.webp)
![Photo of Shri Ram Raja Mandir by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652263100_1652263096545.jpg.webp)
![Photo of Shri Ram Raja Mandir by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652263103_1652263096874.jpg.webp)
![Photo of Shri Ram Raja Mandir by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652263105_1652263097130.jpg.webp)
![Photo of Shri Ram Raja Mandir by digvijay singh chandel](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2228084/SpotDocument/1652263107_1652263097372.jpg.webp)