कश्मीर से लद्दाख तक रोडट्रिप मुख्य रूप से बाइक ट्रिप का क्रेज आजकल भारत में चरम सीमा पर हैं। जिसे देखो ,उन्हें सड़क मार्ग से लद्दाख घूमना हैं ,होगा भी क्यों नहीं , रोडट्रिप के दौरान यहाँ दिखाई देती खूबसूरती ऐसी कि मानो तस्वीर केनवास पर उकेरी हुई हो। इस ट्रिप में मुख्यत: राइडर्स , मनाली-लेह -कश्मीर या कश्मीर -लेह-मनाली का सर्किट पूरा करते हैं मतलब मनाली से लेह होते हुए कश्मीर तक जाना या फिर इसका उल्टा। यह ट्रिप करीब 10 दिन में पूरी होती हैं ,अगर सुकून से हर एक मुख्य जगह को घूमे तो। इस ,एक राज्य और दो केंद्रशासित प्रदेश की रोड यात्रा में यात्री मनाली ,जिस्पा ,सरचू ,लेह ,कारगिल ,सोनमर्ग एवं कश्मीर जैसी मुख्य जगह पर रात्रि विश्राम करते हैं। खुद लेह में भी पगोंग लेक ,खारदुंगला पास ,नुब्रा घाटी ,तुरतुक जैसी जगहें एक सर्किट मार्ग बनाती हुई करीब 3 से 4 दिन एक्स्ट्रा लेती हैं।
इस मनाली-लेह -श्रीनगर मार्ग पर अभी पिछले महीने ही मेरा भी बुलेट पर जाना हुआ। मनाली से लेह के बीच कुछ जगह सड़क सही तो कई जगहे काफी चुनौतीपूर्ण। इसी तरह पेगोंग एवं नुब्रा घाटी की सड़के भी कुछ जगह ही अच्छी थी। बाकी जगहें तो बस टूटी फूटी सड़के ,गड्ढे वाली रोड ,पानी से भरी सड़के ,झरनो के बहते पानी के बीच से निकलते रोड्स ,भयंकर बहती नदी के साथ चलते मार्ग के अलावा खतरनाक u -टर्न्स ,ये चीजे मिलती हैं यहाँ। यात्रा को और रोमांचक एवं खतरनाक बनाने के लिए ओलावृष्टि ,तेज बारिश ,बर्फ़बारी ,गिरता ऑक्सीजन लेवल भी आपके खूब मजे लेते हैं क्योकि इनके कारण हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं ,थकान आने लग जाती हैं ,बारिश की बुँदे सुई की तरह आँखों एवं मुँह पर चुभती हैं ,बर्फ से फिसलन बढ़ती हैं ,अँधेरा भी छा जाने से करीब 5 फ़ीट आगे भी साफ़ नजर नहीं आता ,तो एक्सीडेंट का खतरा। कई लोगों का एक्सीडेंट्स भी होता हैं ,यहाँ तक कि मैं तो खुद बाइक के फिसलने से खाई के थोड़ा ही पास गिर गया था ,फिर बाइक के टूटफूट के कारण बिना हेडलाइट और फुटरेस्ट के दो दिन तक गाडी चलानी पड़ी। हां ,मेरे अंदर कोई ख़ास टूट फुट नहीं हुई या कहो बिलकुल ही नहीं हुई ,क्योकि राइडिंग गियर्स ने मेरे शरीर की होने वाली टूट फुट को खुद अपने पर ले लिया। इसीलिए राइडिंग गियर्स पहनना काफी जरुरी हैं। लेकिन फिर भी हर साल हज़ारो लोग इस रोडट्रिप पर आते हैं ,और अपनी बकेट लिस्ट से यह नाम काट देते हैं। क्योकि ये चीजे ही यहाँ का असल रोमांच हैं। जितना ज्यादा खतरनाक , टूटा फूटा रास्ता और चुनौतीपूर्ण रास्ता ,उतना ही ज्यादा मजा इस रोमांच का मजा होता हैं, (मेरी निगाह में )।
वैसे ,अब ये रास्ते इतने चुनौतीपूर्ण नहीं रहेंगे क्योकि काफी जगह शानदार सड़के बन चुकी हैं और बची हुई बाकी जगहों पर भी सड़क निर्माण का कार्य चालू हैं। अब वो पानी से भरे रास्ते काफी कम हो गए हैं ,और आने वाले केवल कुछ ही सालों में सब जगह शानदार सड़के बन जाएगी। तो एक तो ,अगर आपको असल मजा लेना हैं तो आने वाले कुछ ही सालों में यह ट्रिप कर ही लो। वैसे ,इस से कई गुना ज्यादा चुनौतीपूर्ण रास्ता स्पीति घाटी बताया जाता हैं ,जहाँ प्लेन सड़के हैं ही नहीं। तो अब लद्दाख के बाद आपको खतरनाक रास्ते स्पीति में मिलेंगे।
अब आते हैं ,आज के मुद्दे पर। जब हम लेह से श्रीनगर की तरफ बढे तो लेह से कारगिल तक का रास्ता तो एकदम फर्स्ट क्लास बना हुआ था ,गाड़ियां तेज दौड़ी और झटपट किलोमीटर कवर होते गए। लेकिन कारगिल से कश्मीर तक का रास्ता काफी चैलेंजिंग हैं ,कारण -सड़क निर्मांण कार्य चालू ,दिन भर तेज बारिश और फिर ,रास्ते में पड़ता 'ज़ोजिला दर्रा'। करीब 11500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित इस दर्रे तक तो पहुंचते पहुंचते हमारा शरीर टूट गया था। गाडी 30 -40 की स्पीड से भी कम पर चल रही थी। यह दिन सबसे थकान भरा पर मजेदार निकला था। लेकिन कई लोगों को ऐसे रस्ते पसंद नहीं आते ,उन्हें चाहिए सीधे साफ प्लेन रोड्स। तो भाई उनके लिए आपको दिखाई देगी रास्ते में निर्माणाधीन- 'जोजिला टनल '। हालाँकि तेज बारिश में यहाँ कोई फोटोज मैं ले नहीं पाया क्योकि शरीर भी टूट चूका था। लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी सारा कार्य और टनल का मुख्य प्रवेश भी रास्ते में आपको दिखाई देता हैं।
क्यों हैं यह टनल इतनी खास :
हर साल के करीब 6 महीने तक कश्मीर से लद्दाख का यह रास्ता पूर्णतया बंद रहता हैं क्योकि यहाँ रास्ते पर सर्दियों में भारी बर्फ जमी रहती हैं। कश्मीर से लद्दाख के बीच द्रास और कारगिल शहर सैन्य दृष्टि से सबसे मुख्य शहर हैं ,जहाँ तक सर्दियों में सड़क मार्ग से पंहुचा नहीं जा सकता हैं।लद्दाख -कश्मीर का यह रास्ता,NH -1 ,बंद हो जाने के कारण लद्दाख ,देश के अन्य शहरो से छह महीनो के लिए एकदम कट सा जाता हैं। तब यहाँ सिर्फ वायुमार्ग से पंहुचा जा सकता हैं ,उसमे भी फ्लाइट्स केवल सुबह 10 -11 बजे तक ही टेक ऑफ या लेंड करती हैं। इस से लद्दाख टूरिज्म भारी प्रभावित होता हैं। साथ ही साथ चीन और पाकिस्तान बॉर्डर नजदीक होने से ,किसी भी केस में आर्मी का यहाँ पहुंचना भी काफी मुश्किल हो जाता हैं , आर्मी की अन्य सप्लाई भी रुक सी जाती हैं। लेकिन अब इस NH -1 पर बन रही हैं एशिया की सबसे लम्बी टनल।
श्रीनगर से लेह पहुँचते समय श्रीनगर से कारगिल तक ही रास्ता काफी जगह ऊँचे दर्रो से होकर गुजरता हैं। जिसमे दो जगह काफी चुनौतीपूर्ण होती हैं ,जहाँ काफी मात्रा में बर्फ जम जाती हैं। उन्ही दो में से एक जगह हैं ज़ोजिला पास। इन्ही दोनों जगहों के पास से ही निचे की ओर से दो अलग अलग टनल बनाई जा रही हैं। कार्य तो 2018 से ही शुरू हो चूका था।
पहली टनल साढ़े छह किमी की बन रही हैं जो कि सोनमर्ग से कंगन के बीच बन रही हैं। इसे 'z -morh' टनल का नाम दिया गया हैं। इसके आगे बन रही हैं 'ज़ोजिला टनल' ,जिसे एशिया की , इतनी ऊंचाई पर बनी सबसे बड़ी डबल लेन टनल माना जा रहा हैं। यह बालटाल से मिनामार्ग के बीच बन रही हैं जिसमे जोजिला दर्रा पड़ता हैं। अब सर्दियों में चाहे , ज़ोजिला दर्रे वाला रास्ता ब्लॉक हो जाए ,हमको ज़ोजिला दर्रे से ना गुजर कर इस टनल से होकर गुजरना होगा। इस ज़ोजिला टनल की लम्बाई 14.15 किमी की होगी। पहले यह प्रोजेक्ट 2026 तक खत्म होना था ,लेकिन कुछ ही दिनों पहले गडकरी जी ने बताया हैं कि यह टनल 2023 में ही बन कर तैयार हो जाएगी।
सामान्य नागरिक से लेकर आर्मी तक को अब ऐसे होगा फायदा -
इन टनल के बनने से कई घंटो का खतरनाक सफर अब चंद मिनटों के आसान सफर में बदल जायेगा। मतलब अब कश्मीर से कारगिल पहुंचने में ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा। देखा जाए तो इन ही टनल्स की जरूरत हमे कारगिल युद्ध के दौरान थी।
सबसे अच्छी बात यह हैं कि लद्दाख अब सड़क मार्ग से 12 ही महीने जा सकेंगे। इससे सबसे पहले तो फायदा हमारी आर्मी को होगा।अब किसी भी केस किसी भी महीने मे एक साथ शस्त्र एवं साधन के साथ हज़ारों फौजी लद्दाख पहुंच पाएंगे।चीन और पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी सैन्य कार्यवाही में यह टनल काफी उपयोगी साबित होगी।
रही बात पर्यटन की ,तो टनल के बनने के बाद काफी यात्रियों के इधर आने की संभावना बढ़ जाएगी। एशिया की सबसे लम्बी टनल यहाँ बने और घुम्मकड़ लोग इन्हे देखने न पहुंचे ऐसा तो हो ही नहीं सकता हैं। देख लो अटल टनल को ,हर ट्रेवल ग्रुप में रोज कोई न कोई अटल टनल या उसके आसपास की फोटो डाल ही देता था। हो सकता हैं अटल टनल की जगह यहाँ भी ऐसा बोर्ड लगा हुआ मिला जाए जिस पर लिखा हो -Stoppage in this Tunnel can result in stoppage in Jail.
इस टनल से लद्दाख के लोकल लोगों को भी रोजगार में काफी वृद्धि होगी। मतलब इससे देश में सुरक्षा और रोजगार दोनों बढ़ेगा। रोड अच्छी होने से आराम दायक रोडट्रिप करने वाले यात्रियों की संख्या में भी यहाँ इजाफा होगा। यह टनल अमरनाथ गुफा के पास ही स्थित होने के कारण ,अब अमरनाथ यात्रा करके भी लोग लद्दाख का प्लान बनाएंगे।
इतनी ऊंचाई पर बनने वाली इस टनल को बनवाने के लिए अनेक देशो की ऐसी टनल्स पर अध्यन किया गया ,फिर टनलिंग की एक प्रणाली NATM के आधार पर इसका निर्माण शुरू किया गया। इस टनल में गाड़ियों की रफ्तार 80 किमी प्रति घंटा की रहेगी। कुछ इमरजेंसी एस्केप रुट्स इसमें बनाये जायेंगे। तापमान सेंसर ,CCTV ,ऑटो फायर अलार्म ,इमरजेंसी कॉल जैसी कई सुविधाएं इसमें मिलेगी।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता हैं NH 1 पर बन रही इस टनल से आगामी सालों में कश्मीर और लद्दाख को कई तरीको से सुविधाएं मिलने वाली हैं।इस टनल के चक्कर में ये ना भूल जाना कि दुनिया का सबसे लम्बा एक्सप्रेस-वे भी भारत में ही बन रहा हैं दिल्ली से मुंबई के बीच जो कि राजस्थान ,हरियाणा ,मध्यप्रदेश ,गुजरात एवं महाराष्ट्र से गुजरेगा। इसमें एक सबसे इंटरेस्टिंग चीज ये लगी कि इसमें एशिया के सबसे पहले एनिमल ब्रिज दो जगह बनेंगे ,एक राजस्थान के मुकुंदरा सेंचुरी में से एवं दूसरा महाराष्ट्र के माथेरान में।जहाँ गाड़ियां इन ब्रिज के निचे बनी टनल से निकलेगी ,वन्य जीव जंतुओं को बिना डिस्टर्ब किये।
आशा हैं की हर आर्टिकल की तरह इस आर्टिकल से भी आपको ट्रेवल से जुडी अच्छी जानकारी मिली होगी। (यह वीडियो मेरी रीसेंट ट्रिप का ही हैं ,इसमें द्रास /Kargil से सोनमर्ग के बीच का रास्ता देख सकते हैं )
धन्यवाद
-ऋषभ भरावा (लेखक ,पुस्तक-चलो चले कैलाश )
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।