Kashmir

Tripoto
15th Feb 2019
Photo of Kashmir by Sanjeev Joshi

अक्सर कश्मीर सुनते ही हमें श्रीनगर गुलमर्ग पहलगांव की याद आती है। कोई शक नही की ये सारी जगह बेहद खुबसूरत है लेकिन कश्मीर सिर्फ ये चार छ जगहों का ही नाम नही है। यहाँ प्रकृति ने कदम कदम पर खूबसूरती बिखेर रखी है ।सामान्य जन अक्सर इन्हें अनदेखा कर देते है,इन्ही अनदेखी या कम देखी जगहों में एक है पटनीटॉप...

सर्दियों में यूथ हॉस्टल एसोसिएशन का सानासर कैंप यही से आयोजित होता है अतः यही जाने का प्रोग्राम बनाया(14 फर.) और एक एक कर दस लोगो का समूह तैयार हो गया.। मालवा एक्स.से रिजर्वेशन करा के अगले दिन रात 10 बजे उधमपुर स्टेशन (जो की सिर्फ 45 किमी की दुरी पर है) उतरे।रात वही एक होटल में बिताई ।

दूसरा दिन (16 फर.)सुबह नाश्ते के बाद एक वैन बुक की (1800/-) और 8 बजे निकल पड़े। जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन बनाने का काम जोरो पर था तो वैन की गति धीमी हो रही थी। लगभग 20 किमी पश्चात बनिहाल टनल आती है जो श्रीनगर के लिए जाती है।किन्तु हमें पुराने मार्ग से ही जाना था और जैसे जैसे ऊपर की ओर बढ़ने लगे ठंडक भी बढ़ने लगी थी। रास्ता देवदार के वृक्षों से ढकने लगा था। और अब बर्फीली चोटियाँ दिखाई देने लगी थी। ड्राईवर ने बताया की वही पटनीटॉप भी स्थित है,सुनकर सभी आनंदित और रोमांचित हो गये थे। आगे बढ़ने के साथ ही रास्ते के चारो ओर बर्फ भी बढती जा रही थी। खिडकिया बंद थी अतः अन्दर ठंडक का अहसास नही हो रहा था पर अनुमान था की बाहर भीषण ठण्ड होगी। जब पटनीटॉप मात्र 4 किमी रह गया तब तक बर्फ ने सड़को पर भी कब्ज़ा कर रखा था,अर्थात जो सोच कर आये थे वही नज़ारा बाहर हर तरफ बिखरा पड़ा था। हमारे होटल रोज़ वैली पहुच के जब गाडी से बाहर आये तब लगा जैसे डीप फ्रीजर में आ गये। बाहर का तापमान -4°था और रगों में खून जम जायेगा ऐसा लग रहा था। हड्डियाँ कंपकंपाने लगी थी। पहला काम सब ने अपने अपने जैकेट्स पहनने का किया। सर/माथे/कान ढंकने का इन्तेजाम किया। थोड़ी देर में प्रकृतीस्थ हुए तब आसपास नज़र दौड़ाई और बस वाह निकल पड़ी सब के मुह से,होटल के चारो ओर लॉन पे या पेड़ो पर या छत पर और सीढियों पर हर तरफ बरफ ही बरफ गिरी हुई थी।

Photo of Kashmir 1/5 by Sanjeev Joshi

हमारे होस्ट श्री आशीष ने (जो pye resorts sanasar के सर्वेसर्वा है )हमारी अगवानी की और सब से पहले गर्मा गर्म चाय से स्वागत हुआ जो इतनी ठण्ड में हमें अमृत समान जान पड़ी।यहाँ यह बताना आवश्यक होगा की उधमपुर (2000 फीट) में तब तापमान 20/22° था और मात्र 45 किमी के अंतर में इतना जबरदस्त अंतर उंचाई के कारण हुआ था पटनी टॉप लगभग 6800 फीट की उंचाई पे स्थित है।नाश्ते के बाद ग्रुप के अन्य सदस्यों से परिचय का दौर हुआ जो मुंबई हैदराबाद दिल्ली भोपाल सिलवासा और थाईलैंड से भी एक महिला सदस्य..

Photo of Kashmir 2/5 by Sanjeev Joshi

लगभग 25 लोगो के समूह को ग्रुप लीडर श्री मुराद के हवाले कर के आशीष जी अन्य व्यवस्थाओ के लिए निकल गये। अब चेक इन के पश्चात लगभग 10 किमी दूर नाथाटॉप पहुचने का प्रोग्राम था। अब रास्ते के साथ बर्फ का गीलापन और ठण्ड दोनों का अनुभव हो रहा था।

Photo of Kashmir 3/5 by Sanjeev Joshi

ग्रुप में दुरी या थकान का अनुभव नही होता ये कई बार अनुभव में आ चूका था अतः 2 घंटे में पहुच गये।रास्ते में देवदार और चिनार के वृक्षों का जंगल था और बीच में बर्फ से ढके मैदान खूबसूरती की मनमोहक छटा फैला रहे थे।

Photo of Kashmir 4/5 by Sanjeev Joshi

लगभग 2 घंटे वहा बिताए।स्लेज पे सदस्यों ने फिसलने का आनंद भी लिया।फिर सब ने भारत का झंडा फहराया।अब सायंकाल होते ठण्ड भी बढ़ रही थी तो मन ना होते हुए भी लौटना ही पड़ा।रात भोजन पश्चात कैंप फायर का आयोजन था पर ठण्ड और थकान के कारण अधिकांश सदस्य नींद के आगोश में चले गये थे अतः स्थगित किया गया।तीसरा दिन (17 फर)अगले दिन सभी सदस्यों ने चाय नाश्ता किया ही था की हमारे दुर्भाग्य से एक खबर आयी की भीषण हिमपात के कारण सनासर का रास्ता बंद हो गया है एवं वहा छः से आठ फीट बर्फ जमी हुई है।सब निराश हताश हो गये।अब स्थानीय स्पॉट्स देखने के अलावा कोई चारा नही था।पुनः बर्फीले रास्तो पे चलते हुए वही स्थित एक नाग मंदिर भ्रमण किया। कुछ लोगो ने घुड़सवारी का आनंद लिया।आगे एक स्थानीय पार्क विकसित किया गया था जिसमे स्कीइंग स्लेज और ज़िपलाइन की सुविधा थी। यहाँ भी हर ओर बर्फ का ही साम्राज्य था। बेहद ठण्ड में सभी ने अपने रूचि अनुसार विभिन्न खेलो का आनंद लिया। लगभग 4 घंटे बिता के होटल लौटे पर सुबह की हताशा आनंद में बदल चुकी थी। सभी प्रसन्न थे खेल कर।

Photo of Kashmir 5/5 by Sanjeev Joshi

2 दिन हो गये थे और सब को इंतज़ार था स्नो फॉल का जो की अब भी स्वप्न ही था।कल आखरी दिन था कैंप का पर उम्मीद कायम थी ।चौथा दिन (18 फर)सुबह 3 बजे बाहर शोर सुनकर सब लोग अपने कमरों से निकले और पता चला बारिश शुरू हो गयी है और अब कभी भी स्नो फॉल हो सकता है, सब की उत्सुक आँखों से नींद गायब हो चुकी थी और इंतज़ार शुरू हुआ। लगता है प्रकृति को भी हम पर दया आ गयी थी और बारिश के 10/15 मि.बाद बहुप्रतीक्षित स्नो फॉल शुरू हो गया। रुई के फोहे जैसा बरफ का गिरना सभी की अपेक्षाओं के अनुरूप लगभग 3 घंटे तक गिरता रहा और अब सुबह चारो ओर सफेदी की चादर के सिवा और कुछ भी दिखाई नही दे रहा था। सड़को पर,पेड़ पौधे,घास फूस सब लुप्त....सिर्फ सफेदी...चहु ओर...आँखे और मन तो क्या ऐसा लगा आत्मा तक तृप्त हो गयी थी। सनासर का मलाल ख़त्म हो चूका था। सब तरह की(रोड ब्लाक आदि) समस्या मंजूर थी क्योकि स्नो फॉल देखने का स्वप्न अब वास्तविकता में बदल चूका था।बर्फ़बारी अंततः रुकी और हमारी वापसी यात्रा का आरंभ हुआ।हम 7 लोग वैष्णो देवी जाने वाले थे बाकी अपने अपने घर।एक दुसरे से बिदाई और फोन न.के आदान प्रदान का दौर शुरू हुआ।बड़ी सी ट्रेवेलर में चलते हुए गाते हुए आधे लोग उधमपुर उतर गये बाकी हम लोग कटरा के लिए रवाना हुए।इस बार हेलीकाप्टर से वैष्णो देवी जाने के अतिरिक्त आकर्षण के साथ।इस तरह एक अनछुए कश्मीर की यात्रा का सुन्दर सुखद समापन हुआ।संजीव जोशी