अगर आप जयपुर आये होंगे तो यहां का मशहूर यंत्र मंत्र तो जरूर घुमा होगा , अगर नहीं भी आये तो जब भी आप यहाँ आओ तो इस जगह को देखना मत भूलना
यहाँ पे १४ प्रमुख यन्त्र हैं जो समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की गति एवं स्थिति जानने, सौर मण्डल के ग्रहों जानने को में सहायक हैं
गुलाबी शहर जयपुर के जंतर—मंतर (Jantar Mantar) को 11 साल पहले विश्व विरासत (World Heritage) का खिताब मिला। यूनेस्को ने 31 जुलाई, 2010 को जंतर—मंतर को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया।
विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित जंतर-मंतर का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 1734 ईस्वी में करवाया गया था.
सवाई जयसिंह द्वितीय, जो खगोल शास्त्र के विद्वान थे, ने आकाशीय नक्षत्रों का अध्ययन करने के लिए 5 वेधशालाएं देश के विभिन्न क्षेत्रों में निर्मित की थी, जिनमें जयपुर में अवस्थित वेधशाला, जो जंतर-मंतर के नाम से प्रसिद्ध है, सबसे विशाल है.
सवाई जयसिंह द्वितीय ने जयपुर के अतिरिक्त दिल्ली, उज्जैन, वाराणसी एवं मथुरा में वेधशालाएं निर्मित करवाई थी.
जयपुर में अवस्थित जंतर-मंतर राजस्थान की प्रथम ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे विश्व धरोहर घोषित किया गया था.
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