जबलपुर मध्यप्रदेश का एक प्रमुख शहर है| यहाँ का सबसे बड़ा आकषर्ण भेड़ाघाट है जहाँ पर नर्मदा नदी खूबसूरत झरना बनाती है| इसके अलावा भी इस शानदार शहर में देखने लायक जगहें है| जबलपुर के ईतिहास की बात की जाए तो किसी समय यह शहर गोंड राजाओं की राजधानी था| अठारहवीं सदी में जबलपुर पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया| प्राचीन काल में यहाँ पर जाबालि ऋषि रहा करते थे उनके नाम पर ही इस जगह को जाबालिपुरम कहा जाने लगा जो बाद में जबलपुर हो गया| ऐसा भी माना जाता है कि जबल का अर्थ होता है पत्थर | पत्थरों का शहर होने की वजह से भी इसका नाम जबलपुर पड़ गया| जबलपुर घूमने के लिए अकतूबर से फरवरी सबसे बढ़िया समय है| जबलपुर में आपको हर बजट के होटल मिल जाऐंगे| जबलपुर में बहुत सारे दर्शनीय स्थल है जो निम्नलिखित अनुसार है|
मदन महल जबलपुर
गोंड वंश के राजा मदन सिंह द्वारा 12 वीं शताब्दी में एक ऊंची चट्टान पर एक खूबसूरत महल का निर्माण करवाया गया| इस दोमंजिला महल की शिलपकला और वास्तुकला हर किसी को आचंभित कर देती है| इस महल के ऊपर जाने का रास्ता बना हुआ है| इसकी ऊपरी मंजिल से एक लंबी सुरंग बनी हुई है जो अब बंद कर दी गई है| इस जगह से जबलपुर शहर का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है| जबलपुर शहर घूमते समय मदन महल को भी देखना चाहिए|
संतुलित शिला
यह एक खूबसूरत जगह है जिसका निर्माण दो शिलायों के मध्य हजारों सालों से होते आ रहे जलधारा के बहाव की वजह से हुए कटाव से इस अद्भुत संतुलित शिला का प्राकृतिक रूप से हुआ है| ऐसा कहा जाता है कि इस शिला का वजन 15000 किलोग्राम के आसपास है| जबलपुर आने वाले टूरिस्ट इस जगह पर जरुर आते है| अंग्रेजी में इस जगह को बेलेंसिंग राक के नाम से भी जाना जाता है|
गवारी घाट जबलपुर
यह जगह जबलपुर शहर से 10 किलोमीटर दूर है| यहाँ पर नर्मदा नदी के ऊपर एक घाट बना हुआ है| इस घाट का असली नाम गौरी घाट था जो बाद में गवारी घाट के नाम से प्रसिद्ध हो गया| यहाँ पर नर्मदा नदी के उसपार एक ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब भी बना हुआ है जिसका नाम गुरुद्वारा गवारी घाट साहिब है| ऐसा कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी इस जगह पर आए थे| आप नर्मदा नदी को छोटी किशती में बैठ कर पार कर सकते हैं और गुरुद्वारा साहिब के दर्शन कर सकते हो|
पिसनहारी की मढ़िया
जबलपुर शहर से 10 किलोमीटर दूरी पर एक छोटी सी पहाड़ी के ऊपर जैन धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है पिसनहारी की मढ़िया| इस जगह के बारे में कहा जाता है कि इसको बनवाने के लिए राशि इकट्ठा करने के लिए एक वृद्धा ने आसपास के लोगों का अनाज पीसने के लिए चक्की चलाई थी| इसलिए इस जगह को पिसनहारी की मढ़िया कहा जाता है| यह मंदिर पांच सदी पुरानी गोंड कला का खूबसूरत नमूना है| अगर आप जबलपुर घूमने जाते हैं तो पिसनहारी की मढ़िया को भी अपने टूर में शामिल कर लीजिए|
भेड़ाघाट
जबलपुर शहर से 22 किलोमीटर दूर जबलपुर का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल है भेड़ाघाट| नर्मदा नदी यहाँ पर नीली गुलाबी पीली चट्टानों के बीच में से गुजरती है| इन चट्टानों को साफ्ट मार्बल के नाम से भी जाना जाता है| यहाँ पर नर्मदा नदी इन चट्टानों की ऊंची ऊंची दीवारों के बीच से गुजरती है| यहाँ पर आने वाले टूरिस्ट दो तीन किलोमीटर तक इस जगह में बोटिंग करते हैं| चांदनी रात में इस जगह की खूबसूरती और बढ़ जाती है|
धुआँधार वाटरफॉल
नर्मदा नदी को उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच एक सीमा रेखा के रूप में माना जाता है| नर्मदा नदी की कुल लंबाई 750 किलोमीटर के लगभग है जो मध्यप्रदेश में अमरकंटक से निकलकर 200 किलोमीटर तक सतपुड़ा के घने जंगलों से गुजरती हुई जबलपुर की सीमा तक पहुंचती है| लम्हेटा घाट पार करने के बाद धुआंधार तक आती है जहाँ से भेड़ाघाट प्रारंभ होता है| धुआंधार में नर्मदा नदी की जलधारा 10 मीटर नीचे तक गिरती है| इस जलधारा से उड़ते हुए जल कणों का समूह धुएं की तरह प्रतीत होता है| इसलिए इस जगह को धुआंधार वाटरफॉल कहा जाता है| इस वाटरफॉल का नाम भारत के मशहूर झरनों में आता है|
जबलपुर कैसे पहुंचे- जबलपुर मध्यप्रदेश का एक प्रमुख शहर है| यहाँ का निकटतम एयरपोर्ट भोपाल और नागपुर है| जबलपुर रेलवे मार्ग से भारत के सभी महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है| सड़क मार्ग से भी आप भारत के अलग अलग शहरों से बस मार्ग से पहुंच सकते हो| जबलपुर में रहने के लिए हर बजट के होटल आदि मिल जाऐंगे|