यात्राओं में बड़ी बड़ी ठगी के समाचार तो आप लोगों ने काफी पढ़े होंगे। लेकिन कई जगह कुछ 'क्षेत्रीय ठगी' भी होती रहती हैं और हमें कुछ समय बाद पता चलता हैं कि हम ठगे गए हैं। यह ठगी ज्यादा बड़ा आर्थिक नुक्सान नहीं पहुँचाती इसीलिए लोग इसे सहन कर लेते हैं। इसीलिए इनकी जानकारी किसी अखबार या न्यूज़ चेंनल में नहीं दिखाई देती। कुछ ऐसी ही घटनाओं के बारे में बताता हूँ ,यह मुझे पता नहीं कि अभी भी ऐसी लूट वाली चीजें उन जगहों पर होती हैं या नहीं -
1. कश्मीर में डल झील की केसर : जब आप डल झील पर शिकारा राइड कर रहे होते हैं तो केसर बेचने के लिए दूसरी नाव पर सवार कई लोकल्स आपके पीछे पड़ जाते हैं। अगर एक बार आपने केसर में इंटरेस्ट जो दिखा दिया ,तो वो तब तक आपको फुसलाने का प्रयास करेंगे ,जब तक आप उनसे वाकई में कुछ ग्राम केसर खरीद ना ले। एक तो ये लोग बहुत ही सस्ती दाम में केसर देंगे ,दूसरा ये आपको रेंडमली एक केसर उठा कर उस पर कुछ पानी की बूँद गिराकर उसके असली केसर होने का भरोसा भी आपको दिलवा देंगे। फिर आप ख़ुशी ख़ुशी केसर खरीद भी लेंगे। लेकिन असल में यह सब उनके हाथों का खेल होता हैं। जो केसर की डिब्बी आप ले लेते हैं वो सब केसर घर आकर नकली ही निकलती हैं। केसर की परख के लिए कोशिश करे ,खरीदते समय आप अपने हाथ से डिब्बी में से केसर निकाले और खुद अपने हाथों से चेक करे।2013 में हमने ऐसे ही डल झील पर एक वेंडर के बार बार पीछा करने पर केसर खरीद तो ली,बाद में देर रात हमारे टैक्सी ड्राइवर ने हमें उनकी सच्चाई बताई और उस केसर का भी फर्जी केसर होना बताया। घर आकर चेक किये वो ड्राइवर की बातें सही निकली। अच्छा रहा था हमनें एक परिचित की बतायी दूकान से असली केसर भी खरीद ली थी और वह सही निकली।
2.कटरा में कमरें : 2016 वह साल था ,जब मैंने पहली बार केवल एक दोस्त के साथ राजस्थान से अमरनाथ तक की ,इतनी दूरी की यात्रा की थी। अमरनाथ के बाद हम दोनों कटरा चले गए। कटरा के प्राइवेट बस स्टेण्ड पर कई लोग हम जैसे यात्रियों से फ्री कमरे देने की बात कर रहे थे। हम उस समय यात्रा और ठगी की दुनियादारी से ज्यादा परिचित नहीं थे। थके हुए तो थे ही ,सोचा कि बस से उतरते ही कमरा मिल रहा हैं वो भी फ्री में ,तो क्यों पैसा लगाए और कमरे ढूंढने में समय लगाए? मुझे लगा धार्मिक जगह हैं और अमरनाथ यात्रा भी चल रही हैं तो शायद श्रद्धालुओं के लिए यह कोई मुफ्त सुविधा होगी। एक बन्दे के साथ थोड़ा ही दूर छोटी छोटी गलियों से गुजरते हुए एक बंद गली में हम पहुंचे। वहां ही होटल मौजूद थी ,लेकिन यहाँ सूनापन काफी था। हमें कहा गया कि एक शर्त यह रहेगी कि आपको प्रसाद यहाँ से लेना होगा और वो भी सुबह ही लेना ,चढ़ाई करते समय।अमरनाथ यात्रा से थके हारे हम एक डबल बेड कमरे में जाकर सो गए। सुबह जल्दी प्रसाद लेने के लिए बात की तो उन्होंने प्रसाद के सामान के करीब 500 रूपये ले लिए जिसमे केवल चुनरी ,मिश्री का प्रसाद ,नारियल और शायद 2 -3 चीजें और थी।अन्य प्रसाद के भी पैकेज बताये जिसमे हज़ारों रूपये के पैकेज थे,हम मजबूरी में सबसे सस्ता वाला ले लिए। अगले दिन जब हम यात्रा करके वापस लौटे ,तब तक हमें पता चल गया था कि हम ठग लिए गए। ऊपर श्राइन बोर्ड का प्रसाद मिलता हैं जिसमे काफी कम रुपयों में काफी प्रसाद सामग्री होती है वो भी एक बेग और सिक्के के साथ।
जब हम वापस अगले दिन कमरे पर आये ,तो वो हमसे 5000 रुपये की डिमांड करने लगे। उन्होंने हमको बोला कि आपको कमरा केवल एक रात के लिए ही दिया था। हमने कहा कि आपने हमे बताया क्यों नहीं हम उसी सामान को लॉकर रूम में छोड़ कर कमरा खाली करके चले जाते।उसपर वो बातें घुमाने लगे। वो क्षेत्र सुना था ,वो 5 लोग थे और होटल पूरी खाली। हम भी उनकी हर बातों का उन्ही के टोन में जवाब देने लगे ,मैंने ऑडियो रिकॉर्डिंग भी शुरू कर दी। अपने सामान छोड़ हम दोनों कमरे से बाहर आ गए। बाहर कुछ अन्य यात्रियों के वहां आ जाने पर ,ऑडियो रिकॉर्डिंग वाली बात जानकर और हमारे ना डरने पर उन्होंने हमे हमारे बेग दे दिए। अगर हम डर जाते या कोई अन्य बाहरी उधर ना आता तो वें शायद उस दिन धक्का मुक्की या बदतमीज़ी पर आ सकते थे।फिर उसी दिन एक ऑटो वाले ने हमको इनके इसी 'बिजनेस मॉडल' के बारे में हमे सब समझा दिया। हालाँकि उस समय यह मेरा पहला बाहरी अनुभव था ,लेकिन कम से कम पहली बार ही मुझे एक बढ़िया सीख मिल गयी थी कि 'संसार में मुफ्त कुछ नहीं मिलता हैं। '
3. चोरी के पेनड्राइव : इंजीनियरिंग के दौरान 2012 में हमको मनाली और चंडीगढ़ की ट्रिप पर ले जाया गया।इस से पहले किसी बर्फीली जगह पर में शायद 2003 में चार धाम की यात्रा के दौरान गया था। मनाली में मॉल रोड पर एक बंदा हम 3 -4 दोस्तों के ग्रुप के पास आया और बोला कि "भाई लोगों ,मैं चंडीगढ़ में एक मोबाइल की दूकान पर काम करता था ,मेरा मालिक मुझे सेलेरी नहीं देता था। इसीलिए मैं उसके यहाँ से 10 -15 पेनड्राइव ,कुछ मोबाइल ,मेमोरी कार्ड चोरी करके भाग गया और मनाली आ गया। " हम तो कॉलेज के 19-20 साल के छात्र थे ,उसकी बात सुनकर हमे उसके साथ सहानुभूति हो गयी। उसने कहा कि ''मुझे पैसों की अर्जेन्ट जरुरत हैं ,आप भाई लोग मेरे ये पेन ड्राइव ,मेमोरी कार्ड सब कुछ सस्ते में खरीद लो।'' उसने अपने लेपटॉप में हमे सब पेण्ड्रीवे चला कर भी बताये। जो पेन ड्राइव उस समय करीब 1000 रूपये के आते थे वो उनके 700 से 800 रूपये मांगने लगा। छात्र थे ,हमारे पास तो लिमिटेड जेब खर्चा था। सोचा घर वालों को सरप्राइज देंगे कि देखो हम कितने सस्ते में सामान खरीद ले आये। केवल 200 रूपये प्रति नग के हिसाब से हमने सबने 2 -2 पेन ड्राइव ले लिए।
कुछ 4 -5 दिन बाद जब घर आये ,पेन ड्राइव कंप्यूटर में लगाया। पेन ड्राइव चल तो गया ,लेकिन उस से ना कोई चीज कॉपी हुई या उसमें कुछ हम डाल सके। सभी के पेन ड्राइव ऐसे ही खराब निकले। खराब निकले वो तो ठीक ,सिस्टम में वायरस भी छोड़ गया। फिर हमने कंप्यूटर को फॉर्मेट करके ठीक किया और ये बाते सुनके घर वालों ने हमको। ऊपर से ,हम मनाली से ऐसी अखरोट खरीद ले आये ,जिसे फोड़ने के लिए अगर हथोड़ा भी मारों तो हथोड़े के दो टुकड़े हो जाए ,पर अखरोट ना फूटे।फिर घर वालों ने अच्छे खासे भजन हमें सुनाये।#traveltalesbyrishabh
4.जम्मू के चिंगु : 2013 में जब हम परिवार के साथ जम्मू गए। तो पहली बार वहां के किले की तरफ गए। वहां कुछ शॉल की दूकान पर हम गए तो उन्होंने हमे 'चिंगु' के बारे में बताया। पता नहीं क्या चीज थी ,समझ नहीं आया। सभी दुकानदार चिंगु के कंबल ही बेच रहे थे। कुछ हज़ारों रूपये की हमें कंबल बताई और पीछे पड़ गए। बोला कि यह आप खरीद लोगे तो कुछ साल बाद हम वापस ऊँची रेट में आपसे मंगवा लेंगे ,साथ में आपके राजस्थान से वैष्णोदेवी तक का मुफ्त पैकेज भी देंगे और पता नहीं क्या क्या प्रलोभन दिए। वो अलग बात हैं मेरे पिताजी को इनकी ठगी का अंदाजा था और हमने नहीं लिए। लेकिन काफी लोग वहा से ये खरीद रहे थे। कंबलों को सीधा घर पर कूरियर कर केश ऑन डिलीवरी का भी ऑप्शन दिया जा रहा था।
5.अन्य : कुछ अन्य में वो चीजें बताऊंगा जो मेरे साथ नहीं लेकिन किसी न किसी परिचित के साथ हुई हैं।याद रहे मोटरसाइकिल या स्कूटी किराए लेते समय उसका वीडियो अवश्य बनाये जिसमें वो डीलर भी दिख रहा हो आपकी गाडी के साथ। कई जगह ,टूरिस्ट गाडी किराए ले जाते हैं। जब जमा करवाने आते हैं तो उनसे बोलते हैं कि इसमें यह स्क्रेच लगा हैं ,फलाना चीज गायब हैं।जबकि वह सब पहले के ही होते हैं। आपके पास सबूत ना होने के अभाव में आपको धमकी देकर पैसे लूट लिए जाते हैं। जैसलमेर में ,सम नामक केम्पिंग साइट में केम्प पहचान वाले एजेंट से ही बुक करवाए ,या वही पहुंच कर ही बुक करे। वहाँ हजारों टेंट्स हैं और आसानी से मिल भी जाते हैं। जैसलमेर में केम्पिंग के लिए कभी भी गूगल का भरोसा ना करे। यहाँ काफी ऐसे केस सुनने को मिलते है। अमरनाथ और चार धाम यात्रा में हेलीकाप्टर बुकिंग में भी फ्रॉड काफी होता हैं ,कोशिश करे वेरिफ़ायड कंपनी से ही बुकिंग करे।
आपकी घुम्मकड़ी के शुरुवाती दौर में भी ऐसे कुछ किस्से जरूर हुए होंगे ,आप कमेंट में शेयर कर सकते हैं।
फोटो :नुब्रा घाटी गया हुआ हर एक यात्री इस जगह को जान लेगा। फोटो 2021 में लद्दाख बाइक ट्रिप के दौरान की है।
-ऋषभ भरावा