यात्रा ग्रुप में मिलने वाले अलग अलग प्रकार के सहयात्री 

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Photo of यात्रा ग्रुप में मिलने वाले अलग अलग प्रकार के सहयात्री by Rishabh Bharawa

जब आप किसी अनजान लोगों के ग्रुप के साथ किसी यात्रा पर जाते हैं ,तो मौका मिलता हैं आपको देश के अलग अलग राज्य से आये लोगों से मिलने का। यह संगम होता हैं अलग अलग उम्र ,संस्कार ,धर्म ,संस्कृति परन्तु एक ही रूचि (ट्रैवेलिंग) के लोगों का। जब आप पहली बार आपस में मिलते हैं तो उनमे से जिन 2 -3 लोगों से आप बातों में मशगूल हो जाते हैं ,पूरी संभावना होती हैं कि पूरी यात्रा के दौरान आप उन्ही के साथ रहते हैं।

सोलो ट्रैवेलिंग के विपरीत यहाँ आपको पूरी यात्रा में अलग अलग स्वभाव एवं सोच के लोगों के साथ रहना ,खाना ,सोना पड़ता हैं। कुछ आपकी कोई आदत उन्हें अच्छी नहीं लगती ,कुछ उनकी आदते आपको अच्छी नहीं लगती। फिर भी यात्रा के समाप्त होते तक तो आप कई लोगों से इतने अपनत्व के साथ जुड़ जाते हैं जैसे कि आप आपस में कोई बरसों पुराने मित्र हो और इस तरह की यात्रायें आपके लिए जीवन भर तक यादगार हो जाती हैं।

खैर ,टॉपिक पर आते हैं,अगले ग्रुप ट्रेवल में आप नोटिस करना कि आपके ग्रुप/बैच के साथी इन 10 में से किसी न किसी एक केटेगरी से जरूर ताल्लुक रखते मिलेंगे -

1. मारवाड़ी (राजस्थानी) या गुजराती :

किसी भी ट्रेवल ग्रुप में राजस्थानी या गुजराती ना हो ,क्या ये हो सकता हैं ? ये दोनों कम्युनिटीज पैसा कमाने के साथ साथ घूमने के लिए भी प्रसिद्द हैं। राजस्थानी एवं गुजराती सबसे विश्वसनीय एवं इज्जतदार कम्युनिटीज हैं। ट्रेवल से जुडी, इनकी एक बात काफी प्रसिद्द हैं और वो यह हैं कि इनके पास कोई अत्यंत जरुरी सामान या दवाई हो ना हो ,लेकिन एक पूरा बैग भर के खाने के सामान (खाखरा ,फाफड़ा ,नमकीन ,डॉयफ्रुइट्स ,बिस्किट्स आदि ) हमेशा मिल जाएगा। यूँ मानो ,अगर इनको ट्रिप के दौरान भोजन ना भी मिले, तो भी इन्हे कोई दिक्क्त ना आने वाली और ना ही इनके साथ रहने वाले सहयात्रियों को। क्योंकि ये हमेशा खुद के लिए ही नहीं बल्कि 1 -2 लोगों के लिए एक्स्ट्रा स्टॉक साथ ले चलते हैं कि जरूरत पड़ने पर किसी भी सहयात्री या अनजान को भी खिला सके।

राजस्थान एवं गुजरात में शाकाहारियों की संख्या ज्यादा हैं और मेरे हिसाब से इतना खाद्य सामान ये लोग इसीलिए साथ रखते हैं क्योकि अगर कही शुद्ध शाकाहारी खाना ना मिला तो भूखे मरने की नौबत ना आये। मैं भी राजस्थान से हूँ ,और अपने साथ काफी कुछ खाने के सामान लेकर ही निकलता हूँ, मेरा तो खाना साथ रखने का उद्देश्य यह शाकाहारी भोजन वाला ही होता हैं। वैसे भी गुजराती एवं मारवाड़ी प्राचीन समय से ही व्यापार के लिए काफी यात्राएं करते थे ,तो अपने साथ इन लम्बे दिनों की यात्राओं में भूख मिटाने के लिए सामान रखते ही थे। तभी से शायद यात्रा यह प्रथा अभी तक चल रही हैं।

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2. शौकिया फोटोग्राफर : हर ट्रेवल ग्रुप में कम से कम एक बंदा ऐसा होता ही हैं तो शौकिया फोटोग्राफर होता हैं एवं अपने साथ एक DSLR लेके घूमने आता हैं। यात्रा से जुड़े सभी खूबसूरत फोटो एवं ग्रुप फोटोज खींचने की जिम्मेदारी खुद ही उसपर आ जाती हैं। हाँ , इन्हे एक दो लोग ऐसे भी मिल जाते हैं जो पूरी यात्रा पर इन्हे कहते हैं कि -'मुझे तो थोड़ा बहुत कैमरा चलना सीखा दो या कुछ टिप्स दे दो। '

कुछ भी करलो ,इनको एक शिकायत हमेशा रहती हैं- 'मैं सबकी खूबसूरत फोटो खींचता हूँ ,पर मेरी कभी कोई अच्छी तस्वीर नहीं निकालता। '

3. Selfieworm /सेल्फी लवर : ये अकेले नहीं होते ,सामान्यतः 2 -3 की संख्या में साथ रहते हैं।बैच के सभी लोग इन्ही से परेशान हो जाते हैं कारण -'भाई, बस मेरा एक लास्ट फोटो लेने दो ' , 'भाई, एक ऐसा प्रोफाइल फोटो खींच दो कि 40000 लाइक्स आ जाये।'

बैच के जो शौकिया फोटोग्राफर होते हैं उनसे हमेशा अच्छी दोस्ती ये कर लेते हैं। पूरी बैच के प्रोग्राम अगर लेट हो जाए ,कारण कुछ भी रहे ,सभी लोग इसका ठीकरा इनके माथे पर फोड़ देते हैं कि इनके जगह जगह खुद के फ़ोटोज लेने के कारण ही ऐसा होता हैं।एक ही जगह पर 15 20 एक ही तरह के फोटोज खिचवाने के बाद भी ये फोटोग्राफर को अंत में बोल ही देते हैं कि -'भाई तूने मेरे सारे फोटो बिगाड़ दिए।'

4. तरह तरह के कपल : ये या फिर तो नए नए शादीशुदा कपल होंगे तो कोई दिक्क्त नहीं परन्तु दूसरे तरह के कपल होते हैं - एक ही साथ जॉब कर रहे एक लड़का -लड़की जो कि बस एकसाथ घूमने आते हैं लेकिन सभी उन्हें कपल ही समझेंगे। बस बाकी पूरी ट्रिप पर वे सभी को समझाते रहेंगे कि हम कपल नहीं हैं ,केवल साथ जॉब करते हैं और अच्छे दोस्त हैं। और अगर रेडीमेड कपल बैच में नहीं आया होगा तो पूरी श्योरिटी हैं कि एकाध कपल ट्रिप के दौरान खुद ही बन जाता हैं।

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5. 'पार्टी' करने वाले : इनको एक ही चीज रात दिन चाहिए और वो हैं बस-नशा। जिस भी जगह पैर रखेंगे , 15 -20 मिनट में लोकल दोस्त बना लेंगे और जब तक कि ग्रुप के अन्य लोगों को कमरे अलॉट होंगे तब तक ये एक दो दिन का फूल प्रबंध करके वापस आ भी जाएंगे और रात का तो इनका एक ही शेड्यूल रहता हैं 2 -3 लोगों की नशा पार्टी एवं साथ में बहाएंगे अथाह ज्ञान की नदिया।जहाँ दूर दूर तक पानी भी नहीं मिलता वहा ये लोग पलक झपकते ही अपनी व्यवस्था ढूंढ लेते हैं। हालाँकि मैं नशे से पूरा दूर रहता हूँ ,लेकिन ग्रुप ट्रेवल के मेरे अनुभव से यह मानता हु कि ये लोग बैच को सबसे ज्यादा एंटरटेन करते हैं और अपने हाल में मस्त रहते हैं। और हां ,दोस्त बनाने और नशा ढूंढने में इनका कोई सानी नहीं हो पाता।बैच के सभी लोगों के साथ इनकी बढ़िया पटती हैं क्योकि ये सबसे घुलमिल जाते हैं।

6. शांतिप्रिय या इंट्रोवर्ट :अब आते हैं उन लोगों पर जिन्हे देख कर ऐसा लगता हैं कि ये गलती से ग्रुप में आ गए। ये अकेले रहते हैं ,सबसे शांत। इन्हे जहा ,जैसा रखो ,भूखा प्यासा ,रह जाएंगे। हमेशा अकेले रहेंगे ,ना किसी से शिकायत ना खास दोस्ती,ना हसेंगे ना रोयेंगे, सबसे ज्यादा अनुशासित। ग्रुप कप्तान इनसे सबसे ज्यादा खुश रहता हैं क्योकि ये हमेशा हर जगह समय पर रहते हैं , चाहे कप्तान खुद देर रात तक नशे में होने के कारण सुबह देरी से उठे। इनको किसी के भी साथ एकोमोडेट करदो ,घटिया खाना देदो ,सभीको पहले फ्लोर पर और इन्हे 4th फ्लोर पर कमरा देदो , जहाँ 'पार्टी करने वाले ' कैटेगरी के लोग तलवार निकाल लेंगे और कप्तान से लड़ने लगेंगे वही ये बेचारे सब चुपचाप झेल लेंगे।

और यात्रा के अंत तक आप इन्हे भी पार्टी करते हुए ही पाओगे। ये जो ऊपर वाले 'पार्टी लवर ' साथी इनको देखते हैं ,शाम को बस अपने पास बुला लेते हैं ,एक घूंट के नाम पर बेचारों को खूब पीला कर ,रात भर उल्टिया करवाते हैं। और देखते ही देखते यह छठी केटेगरी खत्म होकर ,पांचवी केटेगरी ज्वाइन कर लेती हैं।

7. हिंदी न समझने वाले साउथ इंडियन यात्री : हर ग्रुप में साउथ इंडिया से जो यात्री होते हैं उनमे एक दो यात्री ऐसे होते हैं जो हिंदी ना बोल पाते हैं ना समझ पाते हैं।ऐसे में जब पुरे ग्रुप में कोई मस्ती मजाक वाली बात चल रही होती हैं और सब एक साथ किसी बात पर हसने लगते हैं ,तो उन्हें अंग्रेजी में वो बात बतानी पड़ती हैं। कभी कभी तो अंग्रेजी में भी वो थोड़ा अनकम्फर्टेबल होते हैं लेकिन फिर भी वो अधिकतर बाते समझ ही लेते हैं। दूसरे लोग भी उनसे ऐसी बाते पूछने से बाज नहीं आते जैसे - 'तमिल/तेलुगु में प्रोपोज कैसे करते हैं ? मुझे सिखाओ '

8. लड़ाकू : ये लोग ,यूँ मानो ,पहले ही दिन से शुरू हो जाते हैं। इन्हे हर एक यात्री से ,खाने से ,होटल से ,लीडर से यहाँ तक की यात्रा से भी समस्या होती रहती हैं। ये जिनको दोस्त बनाते हैं एक दो दिनों में उन्ही से लड़ने लग जाते हैं एवं माहौल को कभी कभी काफी टॉक्सिक कर देते हैं। हालाँकि फिर भी सहयात्रियों द्वारा इन्हे अच्छा ही रखा जाता हैं।

9. ब्लॉगर : ये अपने साथ वीडियो ब्लॉग्गिंग के सारे सामान लेकर आएंगे और पहले ही दिन से सभी को अपने चेंनल के बारे में बता बता कर सब्सक्राइबर बढ़वाने में लग जाएंगे। लेकिन हां ,यात्रा के सारे यादगार लम्हो को ये ही लोग कैद करके रखते हैं।

वैसे तो कुछ और कैटेगरी के यात्री भी शायद आपको मिलते हो ,जो मुझसे यहाँ लिखना छूट गए हो ,तो आप कमेंट में बता सकते हैं।

Photo of यात्रा ग्रुप में मिलने वाले अलग अलग प्रकार के सहयात्री  3/3 by Rishabh Bharawa

और हाँ ,यह फोटो मेरी हाल ही की मनाली -लेह -कश्मीर बाइक ट्रिप की हैं। जिसमे भी देश के कई राज्य के राइडर्स साथ थे ,ऊपर बताये गए अनेक प्रकार के यात्रियों में से कुछ इसमें भी साथ थे ,लेकिन शुक्र हैं 8 नंबर वाले यहाँ कोई साथ नहीं था।

-ऋषभ भरावा

Day 1

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